एनआईएस पटियाला को राष्ट्रीय खेल अकादमी बनाने का सुझाव खारिज
अभिनव बिंद्रा की अध्यक्षता में गठित कार्यबल ने इसे प्रतिबंधात्मक और अस्थिर बताया
खेलपथ संवाद
नयी दिल्ली। पटियाला स्थित राष्ट्रीय खेल संस्थान को खेल प्रशासकों की ट्रेनिंग के लिये अकादमी बनाने के प्रस्ताव को खेल मंत्रालय द्वारा ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की अध्यक्षता में गठित कार्यबल ने खारिज कर दिया है और इसे ‘प्रतिबंधात्मक और अस्थिर’ बताया।
खेल प्रशासकों के सामर्थ्य निर्माण पर मंत्रालय ने भारतीय खेलों में भविष्योन्मुखी, टिकाऊ और पेशेवर प्रशासन व्यवस्था तैयार करने के लिये 2008 ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता राइफल निशानेबाज बिंद्रा की अध्यक्षता में कार्यबल का गठन किया था। कार्यबल से यह भी समीक्षा करने के लिये कहा गया था कि पटियाला स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस खेल संस्थान को क्या खेल प्रशासकों के सामर्थ्य निर्माण के लिये अकादमी में तब्दील किया जा सकता है।
एनआईएस पटियाला में मुक्केबाजी, भारोत्तोलन और एथलेटिक्स में ट्रनिंग दी जाती है। इसके अलावा देश में कोचिंग डिप्लोमा देने वाला भी यह प्रमुख संस्थान है। नौ सदस्यीय कार्यबल ने कहा,‘‘ एक राष्ट्रीय अकादमी का सुझाव अच्छा है लेकिन इसके प्रतिबंधात्मक और अस्थिर होने का खतरा है। एनआईएस खेल कोचिंग का प्रमुख संस्थान है और इसके विशेष दर्जे ने अनचाहे परिणाम भी दिये हैं। केंद्र और राज्य सेवाओं, पीएसयू में नियोक्ता एनएस एनआईएस से प्रशिक्षित कोचों को प्राथमिकता देते हैं जिससे दूसरे संस्थानों से निकले उम्मीदवारों के लिये मौके सीमित हो जाते हैं।’’
इसने कहा,‘‘ कई मामलों में अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से निकले कोचों को भी सरकारी या पीएसयू में नियुक्तियों के लिये योग्य नहीं समझा जाता। अगर एनएस एनआईएस को खेल प्रशासकों के लिये राष्ट्रीय अकादमी बना दिया गया तो यह असंतुलन खेल प्रशासन में भी आ जायेगा।’’ कार्यबल का मानना है कि ऐसे विशेष दर्जे से खेल प्रबंधन कार्यक्रम चला रहे अन्य संस्थानों और विश्वविद्यालयों के विकास का मार्ग अवरूद्ध होगा।
कार्यबल ने सुझाव दिया कि एनआईएस को अकादमी बनाने की बजाय प्रशासनिक सामर्थ्य निर्माण के मॉड्यूल चलाने वाले प्रमुख संस्थानों में से एक के तौर पर पैनल में शामिल किया जाना चाहिये। खेलमंत्री मनसुख मांडविया ने रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए कहा,‘‘ एनआईएस के पाठ्यक्रम के ढांचे में बदलाव पर विचार किया जायेगा ताकि अंतरराष्ट्रीय कोचिंग मानदंडों के अनुकूल बनाया जा सके।’’
