दिग्गज रोहन बोपन्ना ने पेशेवर टेनिस को अलविदा कहा
'जिसने जीवन को अर्थ दिया, उससे विदाई कैसे लूं'
20 साल के लम्बे खेल करियर में देश को कई ऐतिहासिक पल दिए
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारतीय टेनिस की सबसे प्रतिष्ठित हस्तियों में से एक, रोहन बोपन्ना ने पेशेवर टेनिस से अपने संन्यास की घोषणा की है। यह घोषणा उनके करियर की आखिरी पारी का संकेत थी, लेकिन बोपन्ना ने इसे अलविदा नहीं कहा, बल्कि उन्होंने इसे एक धन्यवाद का रूप दिया। 20 साल से ज्यादा लम्बे करियर में उन्होंने भारत को कई ऐतिहासिक पल दिए और खुद को भारतीय टेनिस का स्थायी चेहरा बना लिया।
रोहन बोपन्ना का करियर प्रेरणा और निरंतरता का उदाहरण रहा है। उन्होंने 20 से अधिक वर्षों तक टेनिस के शीर्ष स्तर पर खेलते हुए भारत का नाम रोशन किया। डबल्स स्पेशलिस्ट के रूप में उनकी गिनती विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में की जाती रही। उन्होंने दो ग्रैंड स्लैम खिताब जीते और कई बार भारतीय ध्वज को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऊंचा किया। उनका संयम, खेल भावना और फिटनेस ने यह साबित किया कि उम्र केवल एक संख्या है।
यह वही खिलाड़ी हैं जिन्होंने 40+ की उम्र में भी ग्रैंड स्लैम फाइनल में जगह बनाई और युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल कायम की। बोपन्ना ने 2017 में फ्रेंच ओपन मिक्स्ड डबल्स का खिताब गैब्रिएला डाब्रोव्स्की के साथ जीता था और 2024 में मैथ्यू एबडन के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन खिताब जीतकर इतिहास रच दिया था।
'जिसने जीवन को अर्थ दिया, उससे विदाई कैसे लूं'
बोपन्ना ने अपने इस फैसले की घोषणा सोशल मीडिया पर की। उन्होंने लिखा, 'जिस चीज ने मेरे जीवन को अर्थ दिया, उससे विदाई कैसे लूं? 20 अविस्मरणीय वर्षों के बाद अब समय आ गया है कि मैं आधिकारिक तौर पर अपना रैकेट टांग दूं। कूर्ग में अपनी सर्व को मजबूत करने के लिए लकड़ी काटने से लेकर दुनिया के सबसे बड़े एरेना की रोशनी में खड़े होने तक, यह सब अविश्वसनीय लगता है। भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है। जब भी मैं कोर्ट पर उतरा, मैंने तिरंगे, उस भावना और उस गर्व के लिए खेला।'
'यह अलविदा नहीं, यह धन्यवाद है'
उन्होंने आगे लिखा, 'शायद मैं अब प्रतिस्पर्धा से दूर जा रहा हूं, लेकिन टेनिस के साथ मेरी कहानी खत्म नहीं हुई है। इस खेल ने मुझे सब कुछ दिया है और अब मैं इसे लौटाना चाहता हूं, ताकि छोटे शहरों से आने वाले युवा सपने देखने वाले यह विश्वास कर सकें कि उनकी शुरुआत उनके सीमाओं को तय नहीं करती। विश्वास, मेहनत और दिल से कुछ भी संभव है। मेरा आभार अनंत है और इस खूबसूरत खेल के प्रति मेरा प्यार कभी खत्म नहीं होगा। यह अलविदा नहीं है... यह धन्यवाद है उन सभी के लिए जिन्होंने मुझे आकार दिया, मेरा मार्गदर्शन किया, मेरा समर्थन किया और मुझसे प्यार किया। आप सभी इस कहानी का हिस्सा हैं। आप सभी मेरी कहानी का हिस्सा हैं।'
43 वर्ष की उम्र में नंबर एक खिलाड़ी बने
इन शब्दों ने उनके पूरे करियर की आत्मा को बयां कर दिया। उन्होंने अपने साथियों, परिवार, प्रशंसकों और कोचों को धन्यवाद दिया जिन्होंने उनकी इस यात्रा में योगदान दिया। उनका यह संदेश केवल टेनिस के लिए नहीं, बल्कि जीवन के हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को लंबे समय तक जिंदा रखता है। बोपन्ना का आखिरी मैच पेरिस मास्टर्स 1000 में हुआ, जहां उन्होंने एलेक्जेंडर बुब्लिक के साथ जोड़ी बनाई थी। अपने करियर में उन्होंने कई एटीपी खिताब जीते और भारत की ओर से डेविस कप और ओलंपिक में भी हिस्सा लिया। 2024 के ऑस्ट्रेलियन ओपन में खिताबी जीत के बाद, वह 43 वर्ष की उम्र में विश्व नंबर एक युगल खिलाड़ी बने, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
संघर्ष और समर्पण की मिसाल
रोहन बोपन्ना का सफर आसान नहीं था। भारत जैसे देश में टेनिस को लोकप्रिय बनाना, विश्व रैंकिंग में टिके रहना और लगातार प्रदर्शन करना किसी चुनौती से कम नहीं। उन्होंने कई बार नए साथियों के साथ तालमेल बैठाया, असफलताओं से सीखा, और हमेशा कोर्ट पर अपने संयम से फर्क पैदा किया। उनका खेल यह सिखाता है कि सफलता केवल ट्रॉफियों से नहीं मापी जाती, बल्कि उस निरंतर प्रयास से जो कोई खिलाड़ी हर दिन करता है।
एक युग का अंत, लेकिन प्रेरणा की शुरुआत
बोपन्ना का यह संन्यास भारतीय टेनिस के एक सुनहरे युग के अंत जैसा है, लेकिन उनके छोड़े हुए पदचिह्न आने वाली पीढ़ियों को रास्ता दिखाएंगे। उनकी कहानी बताती है कि समर्पण, फिटनेस और मानसिक दृढ़ता से कोई भी खिलाड़ी सीमाओं से परे जा सकता है।
