युवा एशियाई खेलों में भारत का प्रभावशाली प्रदर्शन

मुक्केबाजी में हमारे होनहारों ने जीते तीन स्वर्ण पदक

इन खेलों में भारत के पदकों की संख्या 41 हुई

खेलपथ संवाद

बहरीन। भारत ने एशियाई युवा खेलों में अपना प्रभावशाली प्रदर्शन जारी रखा है। भारत ने इस टूर्नामेंट में मुक्केबाजी में तीन स्वर्ण और एक रजत पदक जीतने के अलावा बीच कुश्ती में भी तीन स्वर्ण और दो रजत पदक जीते। भारतीय मुक्केबाजों खुशी चंद, अहाना शर्मा और चंद्रिका भोरेशी पुजारी ने स्वर्ण पदक जीते, जबकि लैंचेनबा सिंह मोइबुंगखोंगबाम को रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

इस तरह भारत के पदकों की संख्या 41 हो गई जिसमें 12 स्वर्ण, 15 रजत और 14 कांस्य पदक शामिल हैं। सुबह के स्वर्णिम सत्र में खुशी (46 किलोग्राम) ने चीन की लुओ जिनशियू के खिलाफ 4-1 से शानदार जीत के साथ भारत के लिए मुक्केबाजी में दिन का पहला स्वर्ण जीता। अहाना (50 किलोग्राम) ने इसके बाद एकतरफा जीत हासिल की जब पहले राउंड में ही दक्षिण कोरिया की मा जोंग हयांग के खिलाफ रैफरी को मुकाबला रोकने (आरएससी) के लिए मजबूर होना पड़ा।

इसके बाद चंद्रिका (54 किलोग्राम) ने उज्बकिस्तान की मुहम्मदोवा कुमरिनिसो को 5-0 से हराकर भारत की स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी की। पदक की गिनती और भी बढ़ सकती है क्योंकि हरनूर कौर (66 किलोग्राम) और अंशिका (80 किलोग्राम से अधिक) शाम के सत्र में अपने-अपने वर्ग में फाइनल में हिस्सा लेंगी जिसमें भारत की नजरें स्वर्ण पदक का रिकॉर्ड बनाने पर हैं। लड़कों के फाइनल में लैंचेनबा (50 किलोग्राम) को कजाखस्तान के नूरमाखान झुमगली के खिलाफ कड़े मुकाबले के बाद रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

बीच कुश्ती में भी जीते पदक

बीच कुश्ती में सानी सुभाष फुलमाली और अंजलि ने क्रमश: लड़कों और लड़कियों के 60 किग्रा और 55 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीते, जबकि अर्जुन रुहिल भी लड़कों के 90 किग्रा वर्ग में शीर्ष पर रहे। सुजॉय नागनाथ तनपुरे (70 किग्रा) और रविंदर (80 किग्रा) को अपने-अपने फाइनल मुकाबलों में हारने के बाद रजत पदक मिला। सानी सुभाष ने फाइनल में ईरान के अमीराली डोमिरकोलाई को 2-0 से हराया जबकि अंजलि ने वियतनाम की बुई एमगोक थाओ थॉम को 2-1 से शिकस्त दी। अर्जुन ने 90 किग्रा वर्ग में ईरान के मोहम्मदमहदी फोतोउही को हराया। सुजॉय ईरान के सिना शोकोउही से 1-2 से हार गए जबकि रविंदर को भी ईरान के ही तौराज खोडेई के खिलाफ 1-2 से हार का सामना करना पड़ा।

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