ब्रज के लोक जीवन का अभिन्न अंग है सत्य और संयम

विविधता में एकता के दर्शन सिर्फ ब्रज में ही सम्भव

खेलपथ संवाद

मथुरा। सत्य और संयम, विविधता में एकता के दर्शन सिर्फ ब्रज में ही सम्भव है। सत्य और संयम ब्रज के लोक जीवन का प्रमुख अंग है। यहां कार्य के सिद्धान्त की महत्ता और जीवों में परमात्मा का अंश मानना ही दिव्य दृष्टि है। देश के कोने-कोने से लोग यहां पर्वों पर एकत्र होते हैं। जहां विविधता में एकता के साक्षात दर्शन होते हैं।

ब्रज में प्राय: सभी मन्दिरों में रथयात्रा का उत्सव होता है। चैत्र मास में वृन्दावन में रंगनाथ जी की सवारी विभिन्न वाहनों पर निकलती है, जिसमें देश के कोने-कोने से आकर भक्त सम्मिलित होते हैं। ज्येष्ठ मास में गंगा दशहरा के दिन प्रात:काल से ही विभिन्न अंचलों से श्रद्धालु आकर यमुना में स्नान करते हैं। इस अवसर पर भी विभिन्न प्रकार की वेशभूषा और शिल्प के साथ राष्ट्रीय एकता के दर्शन होते हैं। इस दिन छोटे-बड़े सभी कलात्मक ढंग की रंगीन पतंग उड़ाते हैं।

ब्रज की खूबियां इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, समृद्ध साहित्य और संगीत, अनूठी परम्पराएं (जैसे लट्ठमार होली), प्राकृतिक सुंदरता (यमुना नदी के किनारे और अरावली पहाड़ियां) और स्वादपूर्ण भोजन (पेड़ा) में निहित हैं। यह क्षेत्र भक्ति और आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा है, जो कृष्ण और राधा के जीवन से गहराई से जुड़ा है।

ब्रज में भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था जिस कारण से ब्रज क्षेत्र में कृष्ण-भक्ति का माहौल बना रहता है, यहां के लोगों की दिनचर्या में कृष्ण यूं शामिल हैं जैसे वो उन लोगों के साथ ही उठते-बैठते हों। यहां लोग पद गाते हैं जो इसी तरह की भक्ति और कृष्ण-लीला में रमे हुए होते हैं।

मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री

मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री

ग्वाल-बाल सब सखा संग में गेंद को खेल रचायौरी

काहे की जाने गेंद बनाई काहे को डण्डा लायौरी

रेशम की जानें गेंद बनाई, चन्दन को डण्डा लायौरी

मारौ टोल गेंद गई दह में गेंद के संग ही धायौरी

नागिन जब ऐसे उठि बोली, क्यों तू दह में आयौरी

कैं तू लाला गैल भूलि गयो, कै काऊ ने बहकायौरी

कैसे लाला तू यहाँ आयो, कैं काऊ ने भिजवायोरी

ना नागिन मैं गैल भूल गयो, ना काऊ ने बहकायौरी

नागिन नाग जगाय दे अपनों याहीकी खातिर आयौरी

नाँय जगाये तो फिर कहदे ठोकर मारि जगायौरी

हुआ युद्ध दोनों में भारी, अन्त में नाग हरायौ री

नाग नाथि रेती में डारौ फन-फन पे बैंन बजायौरी

रमनदीप कूँ नाग भेज दियौ फनपै चिन्ह लगायौरी

‘घासीराम’ ने रसिया कथिके, भर दंगल में गायौरी।

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