खेल प्रशासन में शीर्ष पद के लिए पात्रता नियम में बदलाव

पीटी ऊषा और कल्याण चौबे को हो सकता है फायदा

खेलपथ संवाद

नई दिल्ली। राष्ट्रीय महासंघों में शीर्ष पद के लिए खेल मंत्रालय पात्रता नियमों में बदलाव करने जा रहा है। युवा प्रशासकों और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ऐसा किया जा रहा है। अभी शीर्ष पदों के लिए दो कार्यकाल की पात्रता निर्धारित है, लेकिन अब यह एक कार्यकाल तक सीमित हो जाएगी। इस बदलाव से भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) की वर्तमान अध्यक्ष पीटी ऊषा और भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के प्रमुख कल्याण चौबे के लिए दोबारा चुनाव लड़ने का रास्ता भी साफ हो सकता है।

हाल ही में संसद के दोनों सदनों से राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक पारित हुआ था और इस विधेयक को औपचारिक रूप से एक अधिनियम बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है। इस विधेयक में राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) में अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष के पदों के लिए चुनाव लड़ने हेतु मानदंड निर्धारित किए गए हैं। शीर्ष तीन पदों के लिए इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए मूल रूप से कार्यकारी समिति में दो कार्यकाल अनिवार्य थे। सभी हितधारकों के साथ परामर्श के बाद इसमें संशोधन कर इसे न्यूनतम एक कार्यकाल तक सीमित कर दिया गया है।

खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि यह बदलाव प्रशासकों का एक बड़ा प्रतिस्पर्धी क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक संतुलन बनाता है। उन्होंने तर्क दिया, महासंघों के चुनावों में दावेदारी पेश करने के लिए न्यूनतम पूर्व कार्यकाल की शर्त को कम करने का निर्णय योग्य और सक्षम उम्मीदवारों के विकल्प को व्यापक बनाने के लिये लिया गया। इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया कि उनके पास प्रभावी ढंग से सेवा करने के लिए पर्याप्त अनुभव हो।

आईओए अध्यक्ष पीटी ऊषा और एआईएफएफ प्रमुख कल्याण चौबे ने अपने-अपने निकायों की कार्यकारी समितियों में एक-एक कार्यकाल पूरा किया है। अब अगर ऊषा और चौबे चाहें तो दोबारा चुनाव लड़ सकेंगे। संशोधित प्रावधान राज्य निकायों के अध्यक्षों, सचिवों और कोषाध्यक्षों के लिए भी राष्ट्रीय खेल संघों में नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए दावा करने का रास्ता बनाता है, जिससे चुनाव के समय प्रतिस्पर्धा का दायरा बढ़ेगा। मंत्री ने कहा कि कार्यकारी समिति में न्यूनतम कार्यकाल की आवश्यकता को कम करने से यह सुनिश्चित होगा कि निरंतरता और अनुभव के सिद्धांतों से समझौता किए बिना व्यापक प्रतिभा उपलब्ध हो सके।

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