'खेल विधेयक को पहले सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाना चाहते थे'

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ का बड़ा बयान
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। ढुलमुल रवैये को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उसका इरादा इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) संकट का मुद्दा उठाने से पहले राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के पारित होने के बारे में उच्चतम न्यायालय को अवगत कराने का था।
एआईएफएफ ने 14 अगस्त को कहा था कि वह इस सप्ताह उच्चतम न्यायालय के समक्ष आईएसएल क्लबों की चिंताओं का उल्लेख करेगा जो शीर्ष स्तरीय लीग के 2025-26 सत्र के शुरू होने में देरी और खिलाड़ियों तथा अन्य हितधारकों के सामने आने वाली कठिनाइयों से संबंधित हैं।
रविवार दोपहर सूचित किया गया कि एआईएफएफ सोमवार को सुबह साढ़े 10 बजे न्यायालय के समक्ष इस मामले का उल्लेख करेगा लेकिन देर शाम तक महासंघ ने अपना निर्णय बदल दिया और सूचित किया कि वह सोमवार को इस मामले का उल्लेख नहीं करेगा।रविवार देर रात न्याय मित्र गोपाल शंकरनारायणन ने बताया कि वह एक अन्य न्याय मित्र समर बंसल के साथ सोमवार सुबह साढ़े 10 बजे इस मामले का उल्लेख करेंगे।
एआईएफएफ ने एक बयान में कहा, 'राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025 के संसद के दोनों सदनों से पारित होने की सूचना के आधार पर एआईएफएफ के वरिष्ठ वकील ने रविवार देर शाम एक संक्षिप्त बैठक के दौरान सलाह दी कि यह पहला पहलू है जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय के ध्यान में लाया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'जब उल्लेख की तारीख पर निर्णय पर विचार किया जा रहा था तब न्याय मित्र ने स्वयं संदेश भेजा जिसमें कहा गया था कि वह एआईएफएफ मामले का उल्लेख करेंगे और इस प्रकार आज सुबह माननीय उच्चतम न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई।' एआईएफएफ ने कहा कि उसके वरिष्ठ वकील सोमवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने कुछ मामलों पर मौखिक दलीलें दीं। न्यायालय ने संविधान के मसौदे के मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है।