राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक लोकसभा से पारित

खेल मंत्री ने आजादी के बाद सबसे बड़ा खेल सुधार करार दिया

खेलपथ संवाद

नई दिल्ली। बहुप्रतिक्षित राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक सोमवार को लोकसभा से पारित हो गया है। केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे आजादी के बाद भारतीय खेलों का सबसे बड़ा सुधार करार दिया है। मांडविया ने 23 जुलाई को इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था।

इस विधेयक में जवाबदेही की एक सख्त व्यवस्था बनाने के लिए एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड (एनएसबी) के गठन का प्रावधान है। सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को केंद्र सरकार से धन प्राप्त करने के लिए एनएसबी से मान्यता प्राप्त करनी होगी। मांडविया ने कहा, यह आजादी के बाद से खेलों में किया गया सबसे बड़ा सुधार है। यह विधेयक खेल संघों में जवाबदेही, न्याय और सर्वोत्तम प्रशासन सुनिश्चित करेगा। भारत के खेल जगत में इसका व्यापक महत्व होगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने महत्वपूर्ण विधेयक और सुधार में विपक्ष की भागीदारी नहीं है।

इस विधेयक के मुताबिक, केंद्र सरकार को 'राष्ट्रीय हित में निर्देश जारी करने और रोक लगाने की शक्ति' संबंधी धारा के तहत एक आदेश के द्वारा असाधारण परिस्थितियों में भारतीय टीमों और व्यक्तिगत खिलाड़ियों की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी पर उचित रोक लगाने का अधिकार होगा। खिलाड़ियों की भागीदारी का मामला अक्सर पाकिस्तान के संबंध में सामने आता है।

विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने को लेकर सरकार की नीति पिछले कुछ वर्षों से बेहद स्पष्ट रही है। अगर कोई ऐसी प्रतियोगिता हो जिसमें कई देश भाग ले रहे हों तो उसमें भागीदारी पर कोई रोक नहीं है, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ द्विपक्षीय आयोजनों का तो ‘सवाल ही नहीं उठता मुंबई में 2008 में आतंकी हमले के बाद यही स्थिति बनी हुई है। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 150 से ज्यादा लोगों को मार डाला था।

विधेयक में राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण का प्रस्ताव

एक और उल्लेखनीय विशेषता राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण का प्रस्ताव है। इसके मुताबिक, एक सिविल कोर्ट के पास शक्तियां होंगी और वह महासंघों और एथलीटों से जुड़े चयन से लेकर चुनाव तक के विवादों का निपटारा करेगा। एक बार स्थापित होने के बाद, न्यायाधिकरण के निर्णयों को केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही चुनौती दी जा सकेगी। यह विधेयक प्रशासकों के लिए आयु सीमा के मुद्दे पर कुछ रियायतें देता है, जिसमें 70 से 75 वर्ष की आयु के लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है, बशर्ते संबंधित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के नियम और उपनियम इसकी अनुमति दें। यह राष्ट्रीय खेल संहिता से अलग है, जिसमें आयु सीमा 70 वर्ष निर्धारित की गई थी।

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