अनिमेष कुजूर ने 100 मीटर दौड़ में बनाया रिकॉर्ड

नंगे पांव शुरू हुआ जांबाज एथलीट का सफर, अब देश का सबसे तेज धावक

खेलपथ संवाद

जशपुर। जशपुर जिले के छोटे से गांव घुइटांगर के अनिमेष कुजूर ने भारतीय एथलेटिक्स में इतिहास रच दिया है। 5 जुलाई 2025 को ग्रीस के वारी शहर में आयोजित ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में उन्होंने 100 मीटर दौड़ 10.18 सेकेंड में पूरी कर भारत का सबसे तेज समय दर्ज किया। इस प्रदर्शन ने उन्हें भारत का सबसे तेज धावक बनाया और भारतीय एथलेटिक्स को वैश्विक मंच पर नई पहचान दी।

हालांकि इस स्पर्धा में अनिमेष को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। पहला और दूसरा स्थान क्रमशः दक्षिण अफ्रीका और ओमान के धावकों ने हासिल किया, लेकिन उनका समय भारतीय रिकॉर्ड से बेहतर रहा। उनके पिता अमृत कुजूर बताते हैं, 'जब अनिमेष को बताया गया कि उसने 10.18 सेकंड में दौड़ पूरी की, तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि उसने राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया।'

अनिमेष की कहानी प्रेरणादायक है। जशपुर के कुनकुरी विकासखंड के घुइटांगर गांव की पगडंडियों पर नंगे पांव दौड़ने से शुरू हुआ उनका सफर आज ग्रीस के ट्रैक तक पहुंचा है। उनके माता-पिता छत्तीसगढ़ पुलिस में डीएसपी हैं, लेकिन संसाधनों की कमी और बार-बार स्थानांतरण के कारण अनिमेष का बचपन महासमुंद और कांकेर में बीता। छठी कक्षा में सैनिक स्कूल अंबिकापुर में चयन ने उनकी जिंदगी बदल दी। यहां के अनुशासन और प्रशिक्षण ने उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनाया। कोविड काल में स्कूल बंद होने के बावजूद अनिमेष ने ट्रैक पर अभ्यास जारी रखा।

अनिमेष ने कांकेर में आयोजित एक खेल प्रतियोगिता में 100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर, लॉन्ग जंप और हाई जंप में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। इसके बाद रायपुर में वेस्ट ज़ोन एथलेटिक्स मीट में 100 और 200 मीटर में स्वर्ण पदक जीते। गुवाहाटी में आयोजित नेशनल अंडर-18 मीट में पहली बार स्पाइक शूज़ पहनकर दौड़ने के बावजूद उन्होंने 100 और 200 मीटर में चौथा स्थान हासिल किया। इसके बाद अनिमेष ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

अनिमेष की सफलता केवल एक एथलीट की जीत नहीं, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों से उभरती प्रतिभाओं का प्रतीक है। उनकी कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो बताती है कि समर्पण और मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।

खेल मंत्रालय और एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने अनिमेष को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी है। सोशल मीडिया पर खेल प्रेमी इसे भारतीय एथलेटिक्स के लिए 'नया युग' बता रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अनिमेष भविष्य में ओलंपिक और एशियन गेम्स में भारत की बड़ी उम्मीद बन सकते हैं। जशपुर जैसे सुदूर आदिवासी जिले से निकलकर वैश्विक मंच तक पहुंचने वाले अनिमेष कुजूर की यह कहानी साबित करती है कि जज़्बा और मेहनत के आगे कोई बाधा नहीं टिकती। उनकी यह दौड़ न केवल समय की, बल्कि सपनों और उम्मीदों की भी जीत है।

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