
भारत को अपनी ही शर्तों पर होगी शांति की पहल मंजूर
खेलपथ विशेष
नई दिल्ली। पहलगाम आंतकी हमले के बाद तेजी से बदले घटनाक्रम के चलते ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू होते ही पाक स्थित बहावलपुर, मुरीदके व मुजफ्फराबाद में आतंकी ठिकानों को सेना ने मिट्टी में मिला दिया। फिर एक बार भारतीय सेना प्रोफेशनल मानकों पर खरी उतरी। जिसमें वायुसेना-नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
‘ऑपरेशन-सिंदूर’ की कामयाबी से बौखालए पाक ने एलओसी समेत कई शहरों पर हमले किये, जिसे हमारे प्रतिरक्षातंत्र ने विफल किया। विदेशी डिफेंस सिस्टम के साथ मिलाकर बनायी गई कई परतों वाली प्रतिरक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान के तमाम हमले विफल कर दिए। तमाम विदेशी रक्षा विशेषज्ञों ने इस प्रणाली की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। भारत के मारक हमलों के सामने असहाय पाकिस्तान ने अमेरिका, सऊदी अरब व चीन जैसे देशों से सीज़ फायर के लिये गुहार लगायी। लेकिन भारत ने अपनी शर्तों पर सीज़ फायर पर सहमति जतायी। साथ ही साफ किया कि भविष्य में कोई आतंकी घटना देश में होती है तो उसे युद्ध के तौर पर लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोटूक शब्दों में कहा कि सीमा पार से यदि कोई गोली चली तो उसका जवाब गोले से दिया जाएगा। सीज़ फायर के लिये प्रयास कर रहे अमेरिका को भी यह स्पष्ट कर दिया गया। वहीं दूसरी ओर विपक्ष लगातार कहता रहा कि इस मामले में तीसरे देश की भूमिका कतई स्वीकार नहीं की जाए। अमेरिकी राष्ट्रपति के कश्मीर में मध्यस्थता के कथन को भी सिरे से खारिज किया गया।
उल्लेखनीय है कि न्यूयार्क टाइम्स की एक खबर के अनुसार प्रधानमंत्री ने अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस को साफ बताया था कि पाकिस्तान की किसी भी हरकत की प्रतिक्रिया विनाशकारी साबित हो सकती है। निस्संदेह, भारत की सटीक कार्रवाई और पाकिस्तान के हमलों को विफल बनाने से दुनिया में स्पष्ट संदेश गया कि भारत एशिया की एक बड़ी शक्ति है। यह भी कि भारत अपनी सु्रक्षा को लेकर न केवल सतर्क है बल्कि पाकिस्तानी हमलों को विफल बनाने की ताकत भी रखता है।
भारतीय सेनाओं का उत्कृष्ट प्रदर्शन इसकी मिसाल है। आधुनिक तकनीक व मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र के बूते भारत पाक के सैन्य प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डों व प्रतिरक्षा प्रणाली को करारी चोट देने में सफल हुआ। पाक को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। वहीं उसके मित्र तुर्की व चीन द्वारा दिए गए हथियारों, ड्रोन व प्रतिरक्षा प्रणाली को भारतीय सेनाओं ने नेस्तनाबूद कर दिया।
हमने दुनिया को बताया कि हम अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेंगे। वहीं यदि पाकिस्तान ने फिर आतंकवादियों को मदद-हथियार देकर भारत पर हमले करवाये तो उसकी हर हरकत का जवाब पहले से ज्यादा ताकतवर होगा। हालांकि, शनिवार को हुए समझौते के कुछ ही घंटों के बाद सीज़ फायर के अतिक्रमण ने बता दिया कि पाकिस्तान में चुनी हुई सरकार के बजाय सेना ही समांतर रूप से सत्ता चला रही है। जिसे भारत-पाक के बीच शांति पसंद नहीं है। तभी भारत ने स्पष्ट किया है कि पाक के साथ बातचीत राजनीतिक, ईएएम स्तर पर या एनएसए के बजाय सिर्फ डीजीएमओ स्तर पर ही होगी।
घरेलू व अंतरराष्ट्रीय समर्थन से मिली मजबूती
दशकों से पाक पोषित आतंकवादियों के हमले झेल रहे भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर व पाकिस्तान में सधे-सटीक मिसाइल हमले करके आतंक की पाठशालाएं धवस्त कर दीं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से बौखलाए पाक ने भारत के एक दर्जन से अधिक शहरों पर जो जवाबी हमले किए, भारतीय प्रतिरक्षा तंत्र ने उन्हें नाकाम कर दिया। दरअसल, भारत ने कई मोर्चों पर सधी चालें चलीं।
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने सेना के तीन अंगों के प्रमुखों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार व विभिन्न हितधारकों से लगातार संपर्क बनाकर कारगर रणनीति की रूप-रेखा बनायी ताकि पाक के सैन्य प्रतिष्ठानों व नागरिकों को हमले से कोई बड़ा नुकसान न हो। लेकिन भारत की सीमित कार्रवाई को जवाब देने में पाकिस्तान जल्दबाजी कर गया। हालांकि, देश के कुछ बड़े शहरों को युद्धक विमानों और ड्रोन के जरिये निशाना बनाने का पाक अभियान हमारी कई परतों वाली सुरक्षा तकनीक से विफल हो गया।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात करके युद्ध की रणनीति पर लगातार विचार करते रहे। इसी तरह सूचना व मनोवैज्ञानिक युद्ध के जरिये पाक को पस्त किया गया। उसके कई हवाई जहाज व दर्जनों आयातित ड्रोन भारतीय सुरक्षा की परतों को नहीं भेद पाये। वहीं दूसरी ओर, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दुनिया में अपने समकक्षों से संपर्क साध करके आतंकवाद के पोषक पाक को बेनकाब किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने दो टूक कहा कि वह भारत-पाक संघर्ष के बीच नहीं आएगा। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री ने पाक प्रधानमंत्री से बात कर संघर्ष को विस्तार देने से बचने का आग्रह किया। दरअसल, चीन व तुर्की को छोड़कर दुनिया के तमाम बड़े मुल्क आतंक से प्रभावित भारत के पक्ष में खड़े नजर आए हैं। वहीं सऊदी अरब के उपविदेश मंत्री अदेल अलीजुबैर और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची गुरुवार को दिल्ली पहुंचे। जिन्हें पहलगाम हमले के बाद की स्थितियों से अवगत कराया गया। भारत ने आतंक को बढ़ावा देना बंद न करने तक बातचीत से इनकार किया।
मोदी सरकार, सुरक्षा से जुड़े तमाम विभागों तथा सेना के तीनों अंगों ने बेहतर तालमेल के साथ ऑपरेशन सिंदूर तथा उसके बाद पाक द्वारा किए हमलों को विफल बनाने के लिये पर्याप्त होमवर्क किया। लगातार बैठकों व संवाद के जरिये इस चुनौती के मुकाबले की रणनीति को अंजाम दिया। जिससे देश के जनमानस का भरोसा बढ़ा कि देश सही हाथों में है। अब तक भारत पाक पोषित आतंकवादी हमलों के बाद सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर कार्यवाही की कोशिश करता रहा है। ऐसी स्थिति मुंबई हमले, संसद पर हुए हमले तथा पठानकोट एयर बेस पर हुए हमलों के बाद सामने आई।
भारत सबूतों के आधार पर वैश्विक संगठनों से कार्रवाई की मांग करता रहा है। लेकिन पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देना नये भारत की बदली रणनीति का पर्याय ही है। पहले पाक के परमाणु हथियार का डर दिखाकर भारत को कार्रवाई करने से रोका जाता रहा है। कालांतर में 2016 में उरी में 19 सैनिकों के मारे जाने पर नियंत्रण रेखा के पार व 2019 में पुलवामा विस्फोट के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक की गई। इसी तरह पहलगाम हमले के बाद सीधी कार्रवाई करके साफ संदेश दिया कि किसी भी आतंकी हमले का जवाब आतंकवाद को सींचने वाले पाक पर भारत सीधी कार्रवाई करेगा।
भारत ने पहले पूरी दुनिया को पुलवामा हमले की साजिश के सबूत दिए और फिर कार्रवाई की। यही वजह है कि दुनिया के तमाम देश भारत के पक्ष में खड़े नजर आए। अब भारत ने महज अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गुहार लगाना बंद कर दिया है। निश्चय ही यह रणनीति मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ाने के बजाय अमेरिका व इस्राइल की तर्ज पर घर में घुसकर मारने की रणनीति है। बहरहाल, भारत ने दुनिया को बता दिया कि पाक अपनी जमीन पर आतंकियों को प्रशिक्षण व समर्थन तो देता है लेकिन उनके विरुद्ध कार्रवाई से बचता है। वहीं दूसरी ओर भारत ने परंपरागत युद्ध शैली से हटकर नई तकनीकों का भरपूर उपयोग किया। भारतीय रक्षा कवच एस-400 यानी सुदर्शन चक्र आदि का पाक हमलों को विफल करना नवीनतम तकनीकों का ही प्रतिफल है।