विराट काेहली के करिश्मे से चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचा भारत

नॉकआउट मुकाबलों में 14 साल बाद ऑस्ट्रेलिया को हराकर किया हिसाब बराबर
खेलपथ संवाद
दुबई। सोलह महीने पहले वनडे विश्व कप के फाइनल में और 14 साल से आईसीसी टूर्नामेंटों के नॉकआउट मुकाबलों में मिली हर हार का बदला चुकता करते हुए भारत ने मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया को चार विकेट से हराकर पांचवीं बार चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में प्रवेश कर लिया। एक बार फिर जीत के नायक विराट कोहली रहे। 
भारत की जीत के साथ ही यह भी तय हो गया कि चैम्पियंस ट्रॉफी का फाइनल 9 मार्च को दुबई में खेला जायेगा। इसमें भारत का सामना दक्षिण अफ्रीका या न्यूजीलैंड से होगा। अगर ऑस्ट्रेलिया जीतती तो फाइनल लाहौर में खेला जाना था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए स्टीव स्मिथ (73) और एलेक्स कैरी (61) के अर्धशतकों के दम पर 48.1 ओवर में 264 रन बनाये। जवाब में भारत ने 11 गेंद बाकी रहते लक्ष्य हासिल कर लिया। 
‘प्लेयर आफ द मैच’ कोहली ने 98 गेंदों में पांच चौकों की मदद से 84 रन बनाये। कोहली को श्रेयस अय्यर से पूरा सहयोग मिला। अय्यर ने 45 रन बनाये और तीसरे विकेट के लिये 91 रन की साझेदारी की। इससे पहले कप्तान रोहित शर्मा (28) और शुभमन गिल (नौ) सस्ते में आउट हो गए। बल्लेबाजी की मददगार पिच पर कोहली का बल्ला खूब चला और बड़े शॉट खेलने की बजाय उन्होंने संयम से अपनी पारी को आगे बढाया। वनडे पारियों में स्पिनरों के खिलाफ पिछले कुछ अर्से में नाकाम साबित होते आये कोहली ने यहां आॅस्ट्रेलिया के स्पिनर एडम जम्पा को बखूबी खेला। उन्होंने अपनी पारी में शानदार पूल और ड्राइव लगाये।
स्ट्राइक रोटेट करना मेरी पारी का सबसे सुखद हिस्सा रहाः विराट कोहली
भारत के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ चैम्पियंस ट्रॉफी सेमीफाइनल में मैच जिताने वाली पारी की तुलना पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद शतक से करते हुए कहा कि यहां के हालात में मिली सफलता का सबसे महत्वपूर्ण पहलू स्ट्राइक रोटेट करना रहा। कोहली फिनिशर की भूमिका नहीं निभा सके लेकिन 98 गेंद में 84 रन बनाकर भारत की जीत तय कर दी।
पाकिस्तान के खिलाफ मैच की ही तरह उन्होंने तेजी से इक्के दुक्के रन निकाले और अपनी पारी में सिर्फ 5 चौके लगाए। प्लेयर आफ द मैच का पुरस्कार जीतने के बाद उन्होंने कहा कि यह पारी पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई पारी जैसी थी। यह हालात को समझने और स्ट्राइक रोटेट करने की बात थी क्योंकि इस पिच पर साझेदारियां अहम थीं।
कोहली ने अपनी पारी में 56 सिंगल लिए और चार बार दो दो रन निकाले। उन्होंने कहा कि यह सब यहां के हालात पर निर्भर करता है। मेरी टाइमिंग और पिच पर रवैया यही था कि हड़बड़ी नहीं करनी है। जितने एक एक रन मैंने लिए हैं, वह मुझे सबसे ज्यादा खुशी दे रहे हैं। यह खेल दबाव के बारे में है। आपको जज्बात पर काबू पाना होता है।
जब रनरेट छह रन प्रति ओवर था, मैं तब भी विचलित नहीं हुआ। यह पूछने पर कि क्या वह अपने एक दिवसीय कैरियर के सर्वश्रेष्ठ दौर में हैं, कोहली ने कहा,‘‘ मुझे नहीं पता। यह आप सोचो। मैंने कभी इस पर फोकस नहीं किया। जब आप उन उपलब्धियों के बारे में नहीं सोचते तो वे मिल जाती हैं। अगर मैं शतक बनाता तो अच्छा रहता लेकिन जीत उससे महत्वपूर्ण है।
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