नववर्ष नव उत्कर्ष

ये जाने वाले साल बता,
किस तरह तेरा आभार करूं।
तूने जो जीवन बख्शा है,
उतना कम, जितना प्यार करूं।
तेरी कृपा रही हम पर,
घूमे क्यों मस्त परिंदा है।
क्रूर दृष्टि से परे रहे,
इसीलिए सभी हम जिंदा हैं।
ये आने वाले साल तेरा,
स्वागत,स्नेह अभिनंदन है।
धन स्वास्थ्य और सम्मान बढ़े,
महके जीवन ज्यों चंदन है।
नहीं चाहते नए साल में,
हो कोई नया घोटाला।
नहीं चाहते नए साल में,
पड़े मूर्ख से पाला।
जिनको कोई भी ख्वाहिश हो,
पूरी हो।
अंधकार हट जाए,
आए नूतन नया सवेरा।
जो मुझसे नफरत करते हैं,
उनको मेरा कायल कर दे।
जिसे देख मैं नहीं सुहाता,
मेरी आंख का काजल कर दे।
मेरे बिना एक पल भी,
वह रह न पाए।
मेरे प्यार में उसको,
इतना पागल कर दे।
नववर्ष तेरे कौतूहल से,   
बढ़ता नित नव उत्कर्ष रहे।
मानव में सनातन भर जाए,
जीवन में हरदम हर्ष रहे।
-श्रवण कुमार बाजपेयी
कानपुर (उत्तर प्रदेश)

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