रैगिंग रोकने शैक्षिक संस्थानों में बने पारिवारिक माहौलः डॉ. पुनीत बत्रा

के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में हुई एंटी रैगिंग पर कार्यशाला

मथुरा। रैगिंग समूचे शिक्षा तंत्र के लिए अभिशाप है। इससे जूनियर छात्र-छात्राओं में भय का वातावरण निर्मित होता है तथा वे पूर्ण मनोयोग से पढ़ाई नहीं कर पाते। रैगिंग से छात्र-छात्राओं को बचाने के लिए शैक्षिक संस्थानों में पारिवारिक माहौल बनाया जाना बहुत जरूरी है। पिछले कुछ वर्षों में रैगिंग से बहुत से छात्र-छात्राओं का करिअर बर्बाद हुआ है। उक्त उद्गार शुक्रवार को के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में आयोजित एंटी रैगिंग कार्यशाला में मुख्य अतिथि डॉ. पुनीत बत्रा ने कक्षा प्रतिनिधियों के साथ ही प्रथम वर्ष के स्नातक तथा स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।

डॉ. बत्रा ने बताया कि 2009 में नशे में धुत सीनियर्स द्वारा मारे गए मेडिकल छात्र अमन काचरू के मामले ने रैगिंग विरोधी कानूनों के महत्व को सुर्खियों में ला दिया। अपने 19 वर्षीय बेटे को खोने के बाद अमन काचरू के पिता ने रैगिंग के खिलाफ एक एनजीओ शुरू किया, जोकि स्वयं यूजीसी की रैगिंग विरोधी समिति का हिस्सा थे। डॉ. बत्रा ने बताया कि अमन काचरू की मौत के बाद सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग विरोधी नियमों का सख्ती से पालन किया जाना तय किया। प्रत्येक उच्च शिक्षा संस्थान के लिए एंटी रैगिंग स्क्वॉड और एंटी रैगिंग समिति का गठन अनिवार्य कर दिया गया।

मुख्य वक्ता ने बताया कि शारीरिक शोषण का कोई भी कार्य मसलन हिंसा, यौन शोषण, समलैंगिक हमले, शारीरिक क्षति या छात्र-छात्राओं पर किसी तरह का कोई खतरा रैगिंग की ही श्रेणी में आते हैं। उन्होंने रैगिंग के कृत्य में शामिल छात्र-छात्राओं को दी जाने वाली सजा के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। डॉ. बत्रा ने बताया कि यदि कोई छात्र-छात्रा रैगिंग में संलिप्त पाया जाता है तो उसे किसी भी संस्थान में प्रवेश पाने से वंचित कर दिया जाता है। इतना ही नहीं अगर कोई शिकायत करता है तो उसे यात्रा वीजा प्राप्त करने से भी प्रतिबंधित किया जाता है।

डॉ. बत्रा ने कहा कि रैगिंग अन्य अपराधों से भिन्न है क्योंकि इसका उद्देश्य केवल विकृत सुख प्राप्त करना है। उन्होंने सीनियर छात्र-छात्राओं से अपने जूनियर्स के साथ छोटे भाई-बहन जैसा व्यवहार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी स्कूल-कॉलेजों को छात्र-छात्राओं को परिवारिक माहौल देने की कोशिश करनी चाहिए। यदि किसी भी विद्यार्थी के साथ रैगिंग होती है तो उसे तुरंत कॉलेज की एंटी रैगिंग समिति को बताना चाहिए तथा रैगिंग समिति का भी यह कर्तव्य है कि वह शिकायत करने वाले छात्र या छात्रा की पहचान सुरक्षित और गुप्त रखे। डॉ. बत्रा ने जीवन में विकास और उत्थान के लिए टीम वर्क के महत्व को समझाने वाली एक अद्भुत कहानी के साथ अपनी वाणी को विराम दिया।

प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज पूरी तरह से रैगिंग मुक्त संस्थान है। यहां का एंटी रैगिंग सेल रैगिंग की रोकथाम के साथ ही सभी छात्र-छात्राओं के स्वस्थ मानसिक विकास के लिए एक अच्छा माहौल प्रदान कर रहा है। इसका वही उद्देश्य है जो रैगिंग को खत्म करने के लिए एआईसीटीई का है। एंटी रैगिंग सेल का आदर्श वाक्य है 'टुगेदर, वी फील एट होम'। डॉ. लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज में सभी प्रवेशित छात्र-छात्राओं और उनके माता-पिता के लिए रैगिंग विरोधी हलफनामा भरना अनिवार्य है।

डॉ. लाहौरी ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य रैगिंग मुक्त परिसर बनाना है ताकि छात्र-छात्राएं पाठ्यचर्या और पाठ्येत्तर गतिविधियों में बिना किसी बाधा के एक साथ आकर अपने शैक्षिक अनुभवों को विकसित कर सकें। अंत में छात्र-छात्राओं को एंटी रैगिंग से बचाव के लिए पुस्तिकाएं प्रदान की गईं। कार्यशाला में डॉ. नवप्रीत कौर, डॉ. शैलेन्द्र सिंह चौहान, डॉ. उमेश चंद्र प्रसाद, डॉ. सोनल गुप्ता, डॉ. विनय मोहन, डॉ. सुषमा, प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया तथा सभी छात्रावासों के वार्डन उपस्थित रहे। अंत में प्राचार्य डॉ. लाहौरी ने डॉ. पुनीत बत्रा को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।

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