राष्ट्रीय कॉन्क्लेव में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने हड्डियों की मजबूती पर दिया जोर

के.डी. मेडिकल कॉलेज में भारत में गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस पर हुई मंत्रणा

मथुरा। हड्डियां हमारे शरीर का सपोर्ट सिस्टम होती हैं। ये शरीर को आकार देने के साथ-साथ अंगों का भी बचाव करती हैं। हड्डियों की मजबूती से ही हमारा शरीर गतिशील हो पाता है लिहाजा हमें अपने दैनिक जीवन में स्वस्थ आहार, व्यायाम तथा सूर्य के प्रकाश का उचित सम्पर्क बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए। यह बातें शनिवार को के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में आयोजित भारत में गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस कॉन्क्लेव के छठे संस्करण में देश के जाने-माने चिकित्सकों ने बताईं। कॉन्क्लेव का शुभारम्भ प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल, डॉ. धनंजय गुप्ता, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका तथा महाप्रबंधक अरुण अग्रवाल द्वारा मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया।

लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से शनिवार को के.डी. मेडिकल कॉलेज में आयोजित गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस कॉन्क्लेव में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया उत्क्रमण पर विस्तार से जानकारी दी। चिकित्सकों ने बताया कि गठिया की समस्या का निदान सिर्फ सर्जरी ही नहीं है बल्कि कुछ दवाओं और इंजेक्शन द्वारा भी समस्या से निजात पाई जा सकती है। कॉन्क्लेव के अध्यक्ष डॉ. धनंजय गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो हड्डियों को कमजोर बना देती है। इससे मामूली सा गिरने या टकराने पर भी हड्डी टूटने का जोखिम बहुत बढ़ जाता है। इस बीमारी के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, इसलिए बहुत से लोगों को तब तक पता नहीं चलता कि उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस है जब तक कि उन्हें फ्रैक्चर न हो जाए। फ्रैक्चर जीवन की कार्यशैली को बदल देता है। ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया के प्रति असावधानी असहनीय दर्द के साथ जीवन भर की विकलांगता दे सकती है, इसलिए ऑस्टियोपोरोसिस को रोकना बहुत जरूरी है।

इस अवसर पर डॉ. मनीष चतुर्वेदी ने एनआईएचएफडब्ल्यू की योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र बदलाव के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने वैकल्पिक दवाइयों तथा स्वस्थ रहने के उपाय बताए। कॉन्क्लेव के आयोजन सचिव डॉ. विक्रम शर्मा ने विशेषज्ञ चिकित्सकों का स्वागत करते हुए कहा कि ऑस्टियोपोरोसिस के उचित प्रबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा शिक्षा है। हर कोई अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर ऑस्टियोपोरोसिस को विकसित होने से रोक सकता है। कॉन्क्लेव में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि मौजूदा समय में हड्डियों की कमजोरी को बिना सर्जरी दवाओं तथा इंजेक्शन से भी ठीक किया जा सकता है। दवाएं तथा इंजेक्शन रोगी की स्थिति को देखकर प्रयोग में लाना चाहिए।

कॉन्क्लेव में प्राचार्य और डीन डॉ. आर.के. अशोका, हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अमित रे, डॉ. अमित शर्मा (एलएचएमसी नई दिल्ली), डॉ. अनिल जैन (पूर्व डीन यूसीएमएस नई दिल्ली), डॉ. बी.एस. मूर्ति (धर्मशिला नारायना हॉस्पिटल), डॉ. धनंजय गुप्ता, डॉ. धनंजय साबत (एमएएमसी दिल्ली), डॉ. कामरान फारुकी (एम्स दिल्ली) डॉ. मनीष चतुर्वेदी (एनआईएचएफडब्ल्यू नई दिल्ली), डॉ. साहिल बत्रा (एम्स दिल्ली), डॉ. विवेक जांगिरा (एलएचएमसी नई दिल्ली), डॉ. विजय शर्मा (एम्स नई दिल्ली), डॉ. हर्षित जैन आदि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

कॉन्क्लेव को सफल बनाने में डॉ. अनुज ढींगरा, डॉ. विवेक चांडक, डॉ. प्रतीक अग्रवाल, डॉ. अमित कंसल, डॉ. आशुतोष अग्रवाल, डॉ. संजय त्रिपाठी, डॉ. प्रखर मित्तल, डॉ. संजीव गुप्ता, डॉ. हेमराज सैनी, डॉ. सौरभ वशिष्ट, डॉ. अमित अग्रवाल आदि का अहम योगदान रहा। इस अवसर पर के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के विभागाध्यक्षों डॉ. अमित कुमार जैन, डॉ. श्याम बिहारी शर्मा, डॉ. गौरव सिंह, डॉ. वी.पी. पांडेय, डॉ. लीना गोयल, डॉ. मंजू पांडेय, डॉ. प्रणीता सिंह आदि ने बाहर से आए सभी चिकित्सकों के विचारों का समर्थन करते हुए उनका अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनन्या ने किया तथा आभार डॉ. विक्रम शर्मा ने माना।

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