राजीव एकेडमी में पारस्परिक कौशल सुधार पर हुआ अतिथि व्याख्यान

सफलता के लिए पारस्परिक कौशल में महारत हासिल करना जरूरी

मथुरा। पारस्परिक संचार कौशल में महारत हासिल करना व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों में बहुत जरूरी है। पारस्परिक संचार कौशल वे क्षमताएं हैं जिनका उपयोग विभिन्न सामाजिक संदर्भों में दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से बातचीत करने के लिए किया जाता है। इन कौशलों में मौखिक और अशाब्दिक संचार, सक्रिय सुनना, सहानुभूति तथा भावनात्मक बुद्धिमत्ता शामिल हैं। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के एमबीए और एमसीए के छात्र-छात्राओं को अतिथि वक्ता अजय गौतम (को-फाउण्डर चीफ बिजनेस आफिसर-यूनिफो ईडीयू नोएडा) ने बताईं।

श्री गौतम ने अनहंसिंग इण्ट्रापर्सनल स्किल्स टू विकम फ्यूचर मैनेजर एण्ड टैक्नोक्रेट्स विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पारस्परिक कौशल आपको विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने, दूसरों के दृष्टिकोण को समझने तथा व्यक्तिगत और व्यावसायिक सेटिंग्स में सार्थक सम्बन्ध बनाने में सक्षम बनाते हैं। मौखिक संचार संदेश, विचार और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बोली जाने वाली भाषा का उपयोग करता है। पारस्परिक कौशल में महारत हासिल करने से नेतृत्व प्रभावशीलता, टीम सहयोग और समग्र व्यावसायिक सफलता में काफी वृद्धि होती है।

रिसोर्स परसन अजय गौतम ने छात्र-छात्राओं को बताया कि किसी भी संस्थान या संगठन में बेहतर प्रबंधक बनने के लिए 21वीं सदी के पारस्परिक संचार कौशलों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। ये कौशल दूसरों के साथ रचनात्मक रूप से काम करने, स्पष्ट रूप से संवाद तथा  सहयोग करने आदि में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि आप जिसे साफ्टस्किल कहते हैं, वही पारस्परिक संचार स्किल है। ये हाईस्किल के पूरक भी होते हैं जो कार्यस्थल पर प्रभावी संचार टीमवर्क और समग्र संस्थान के कार्यों में मददगार होते हैं।

रिसोर्स पररन ने कहा कि आप इन पारस्परिक कौशलों का प्रयोग नौकरी तलाशने में भी कर सकते हैं। ये कौशल आपकी नौकरी को सुरक्षित बनाए रखने में सहायक होते हैं। इनोवेशन की आप वक्ता से नई-नई जानकारी इन्हीं कौशलों के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। प्राप्त जानकारी को पूर्णतः प्रसंस्करण करना, बिक्री, विपणन, कानून एवं उपभोक्ता आदि सभी के विषय में आप इस स्किल का प्रयोग कर सकते हैं। इस प्रकार के कौशल में 50 प्रतिशत बात करना और 50 प्रतिशत सुनना शामिल होना चाहिए।

श्री गौतम ने बताया कि व्यक्तियों के समूहों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने, बातचीत करने और काम करने के लिए ये स्किल महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसी की मदद से एक देश दूसरे देशों के साथ भविष्य के युद्धों की तैयारी करने तथा लड़ने की व्यूह रचना को समझते हैं। आज की दुनिया में प्रौद्योगिकी द्वारा लाए गए संरचनात्मक बदलाव इस क्षेत्र में रोजगार प्रदान करने की दिशा में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में अधिक से अधिक कम्पनियां काम पूरा करने के लिए सहयोगी एजाइल फ्रेमवर्क लागू कर रही हैं। नियोक्ता ऐसे कर्मचारियों की तलाश करते हैं जोकि तकनीकी कार्यों को उत्कृष्टता के साथ कर सकें और सहकर्मियों के साथ अच्छी तरह से संवाद कर सकें। अंत में निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए उनका आभार माना।

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