मनोकायिक रोगों में योग निद्रा रामबाण
एम्स और आईआईटी ने लगाई वैज्ञानिक मुहर
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। योग की स्वीकार्यता पर दुनिया की ही नहीं वैज्ञानिकों और चिकित्सकोॆं की भी मुहर लग गई है। जानकारों का मानना है कि मनोकायिक रोगों में योग निद्रा रामबाण का काम करती है।हजारों साल के योग की विरासत की सार्थकता निर्विवाद है लेकिन प्रगतिशील कहे जाने वाले एक तबके का तर्क होता है कि योग को विज्ञान की कसौटी पर कसा जाए। कोरोना काल में योग को वैज्ञानिक कसौटी पर कसा गया, जिसके सार्थक परिणाम मिले।
अमेरिका,यूरोप व खासकर चीन में योग को लेकर बड़े शोध किए जा रहे हैं। कुछ समय पहले नोबेल पुरस्कार के सम्मानित एक अमेरिकी न्यूरो सर्जन ने माना था कि प्राणायाम मानसिक रोगों के उपचार में सबसे ज्यादा प्रभावी है। हालांकि, आज सारी दुनिया में योग बाजार सजाकर अरबों का कारोबार किया जा रहा है, लेकिन भारत में योग के प्रति वैसी दीवानगी नजर नहीं आती। निस्संदेह, मोदी सरकार को देश-विदेश में योग को प्रतिष्ठित करने तथा एलोपैथी व अन्य चिकित्सा विधाओं में समन्वय की दिशा में सार्थक पहल करने का श्रेय दिया जाना चाहिए।
हाल ही में आईआईटी व एम्स दिल्ली द्वारा एमआरआई के जरिये कराये गए एक अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई कि योग निद्रा से न केवल नींद की गुणवत्ता बढ़ती है बल्कि मन के भटकाव को रोककर नींद को भी नियंत्रित किया जा सकता है। दरअसल, योग निद्रा सोने और जागने के बीच एक सचेतन अवस्था है। जिसका उपयोग योगी ध्यान साधना के लिये करते रहे हैं। योग निद्रा की मानसिक सेहत के लिये उपयोगिता निर्विवाद रही है। अब आईआईटी व एम्स दिल्ली के शोध में भी यह बात स्वीकारी गई कि इससे आराम के गहरे अहसास होते हैं। वहीं दूसरी ओर नियमित योग व ध्यान करने वाले प्रतिभागियों की नींद को नियंत्रित करने की क्षमता सामान्य प्रतिभागियों से अधिक पायी गई।
इस वैज्ञानिक शोध में कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए। निस्संदेह, जिन लोगों को कई तरह के मनोकायिक रोग होते हैं, उनके लिये योग निद्रा रामबाण सिद्ध हो सकती है। यही वजह है कि अमेरिका व आस्ट्रेलिया आदि देशों में व्यावसायिक तनाव कम करने हेतु योग निद्रा पर जोर दिया जाता है। दिल्ली में हुए शोध में योग निद्रा से चेतना के उच्चतम स्तर को हासिल करने के तथ्य को भी स्वीकारा गया। शोधकर्ताओं ने माना कि योग निद्रा के जरिये गहरे अवचेतन मन में दबी कुंठाओं को मानसिक सतह पर लाकर, कालांतर उनसे मुक्ति में मदद मिलती है। जिससे व्यक्ति की सेहत में सुधार होता है।
आज के आपाधापी भरे जीवन में जब हर कोई ओवर थिंकिंग के मर्ज से जूझ रहा है योग निद्रा हमारे मन के भटकाव को रोकने में भी मददगार हो सकती है। शोध के दौरान बनाये गए दो समूहों में से नियमित योग करने वाले समूह के लोगों के मस्तिष्क के पैटर्न के तुलनात्मक अध्ययन से पता चला कि योग निद्रा हमारे मस्तिष्क को कैसे नियंत्रित करती है। योगी बताते हैं कि कुछ मिनटों की योग निद्रा कई घंटे की सामान्य नींद के मुकाबले ज्यादा विश्रांति देने वाली होती है। व्यक्ति धीरे-धीरे योग निद्रा की अवधि बढ़ाकर बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकता है। वहीं यह हमारे ध्यान को गहरा बनाने में भी मददगार साबित हो सकती है। लेकिन अनुभवी योगी से सीखकर योगनिद्रा करने से अधिक बेहतर परिणाम पाये जा सकते हैं।