पेरिस ओलम्पिक से पहले देश को लगा डोपिंग का दंश

ग्वालियर की रजनी झा का टूटा पैरालम्पिक खेलने का सपना

श्रीप्रकाश शुक्ला

ग्वालियर। एक तरफ देश का हर खेलप्रेमी पेरिस ओलम्पिक तथा पैरालम्पिक में अपने खिलाड़ियों से अधिक से अधिक मेडल जीतने की अपेक्षाएं कर रहा है तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशानुरूप केन्द्रीय खेल मंत्रालय तथा भारतीय ओलम्पिक संघ 2036 के ओलम्पिक खेलों की मेजबानी पाने को जमकर लॉबिंग कर रहे हैं। गुजरात के अहमदाबाद को ओलम्पिक शहर की शक्ल दी जा रही है। इन अच्छी बातों के बीच हाल ही में राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (नाडा) ने डोपिंग में फेल 96 खिलाड़ियों की सूची जारी कर सबको चौंका दिया है। इन प्रतिबंधित खिलाड़ियों में ग्वालियर की रजनी झा सहित मध्य प्रदेश के तीन खिलाड़ी शामिल हैं।

डोपिंग में फेल 96 खिलाड़ियों की सूची में सबसे अधिक 29 खिलाड़ी एथलेटिक्स से हैं। डोपिंग का दंश झेलने वालों में कुश्ती (16), वेटलिफ्टिंग (15), बॉक्सिंग (9), पॉवरलिफ्टिंग (8), कबड्डी (6), सेलिंग, रोविंग, एक्वेटिक्स, किक बॉक्सिंग, वॉलीबाल, साइकिलिंग, जूडो, कैनो, पैरा कैनो, आटोमोबाइल आदि खेलों के खिलाड़ी शामिल हैं। राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (एनएडीए) द्वारा प्रदान की गई परीक्षण रिपोर्ट के बाद सम्बन्धित खेल महासंघों द्वारा सभी खिलाड़ियों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। खिलाड़ियों पर यह प्रतिबंध एक जुलाई 2024 से प्रभावी होगा। अब यह खिलाड़ी अपील को स्वतंत्र हैं।

मध्य प्रदेश के प्रतिबंधित खिलाड़ियों में ग्वालियर की पैरा कैनो खिलाड़ी रजनी झा, मध्य प्रदेश राज्य एथलेटिक्स एकेडमी की स्टार एथलीट शालिनी चौधरी तथा पैरा कैनो खिलाड़ी गजेन्द्र सिंह शामिल हैं। ग्वालियर की रजनी झा के डोपिंग में फेल होने से उसका पेरिस पैरालम्पिक खेलने का सपना चूर-चूर हो गया है। रजनी झा ने हाल ही में आयोजित पैरा कैनो विश्व चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में तीसरा स्थान हासिल कर ओलम्पिक का टिकट हासिल किया था। अब तक दर्जनों अंतरराष्ट्रीय पदक तो लगभग 100 राष्ट्रीय पदक हासिल करने वाली रजनी झा खेल विभाग द्वारा संचालित एमपी वाटर स्पोर्ट्स अकादमी में एसोसिएट खिलाड़ी रही हैं। रजनी ने कैनो खेल में महारत भोपाल में रहकर ही की है।

22 वर्षीय शालिनी के टेस्ट में मेटांडिएनोन मेटाबोलाइट पाया गया है। यह विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी द्वारा प्रतिबंधित पदार्थ है। शालिनी चौधरी मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं, लेकिन 2017 से वह भोपाल में संचालित मध्य प्रदेश राज्य एथलेटिक्स एकेडमी में प्रशिक्षण हासिल कर रही हैं। इतना ही नहीं वह राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में मध्य प्रदेश से ही खेलती हैं। शालिनी चौधरी ने रांची में पिछले साल हुई 26वीं नेशनल फेडरेशन कप की महिला डिस्कस थ्रो प्रतियोगिता में 49.35 मीटर थ्रो के साथ मध्य प्रदेश को गोल्ड मेडल दिलाया था।

शालिनी चौधरी के डोप में फेल होने के बाद कोच संदीप सिंह भी संदेह के घेरे में आ गए हैं क्योंकि पूर्व में वह भी चार साल के डोपिंग प्रतिबंध का सामना कर चुके हैं। अब सवाल यह उठता है कि जो कोच खुद डोपिंग का दोषी रह चुका है, उसे आखिर कोचिंग की कमान क्यों दी गई, यदि दी भी गई तो उसने खिलाड़ी के साथ क्यों सावधानी नहीं बरती? प्रतिबंधित खिलाड़ियों की सूची में मध्य प्रदेश के एशियाई खेलों में पैरा कैनो स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाले गजेन्द्र सिंह भी शामिल हैं।

मध्य प्रदेश के तीन खिलाड़ियों के डोपिंग में फेल होने के बाद उनींदे खेल एवं युवा कल्याण विभाग की नींद तो खुल गई है लेकिन कोई जवाबदेह अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। पाठकों को हम बता दें कि मध्य प्रदेश खेल विभाग की राज्य में विभिन्न खेलों की डेढ़ दर्जन खेल एकेडमियां भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर आदि में संचालित हैं। इन एकेडमियों में नौ सौ से अधिक प्रतिभाशाली प्रतिभाएं अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं के बीच विभिन्न खेलों का प्रशिक्षिण ले रही हैं। मध्य प्रदेश की एथलेटिक्स एकेडमी में करीब 40 होनहार बालक-बालिकाएं प्रशिक्षणरत हैं।

एथलीटों के करीबी सूत्रों का कहना है कि प्रतिबंध के खिलाफ अपील करेंगे। यद्यपि डोपिंग प्रतिबंध के खिलाफ अपील करने की प्रक्रिया लम्बी और काफी जटिल होती है। डोपिंग सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे देश के लिए चिन्ता की बात होनी चाहिए क्योंकि भारत डोपिंग के मामले में दुनिया के तीन सबसे खराब देशों में शामिल है। खिलाड़ियों में बढ़ते इस खराब चलन को यदि समय रहते नहीं रोका गया तो भविष्य में भारत को विश्व खेल बिरादर से बाहर होने का दंश भी झेलना पड़ सकता है। नाडा द्वारा जारी सूची में हर एथलीट के पॉजिटिव परीक्षण के पीछे की विशिष्ट परिस्थितियां अभी तक ज्ञात नहीं हैं लेकिन एथलीटों की हाई-प्रोफाइल प्रकृति को देखते हुए भारतीय खेलतंत्र के लिए ये मामले चिन्ता और चिन्तन का विषय जरूर हैं।

 

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