गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने की संन्यास की घोषणा

कहा- पेरिस ओलम्पिक उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय दौरा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम के अनुभवी गोलकीपर और कप्तान पीआर श्रीजेश ने सोमवार को संन्यास की घोषणा की। उन्होंने बताया कि पेरिस ओलम्पिक उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय दौरा होगा। 36 साल के श्रीजेश का यह चौथा ओलंपिक है। उनकी कप्तानी में भारत ने 2016 रियो ओलम्पिक में हिस्सा लिया था और टीम आठवें स्थान पर रही थी। हालांकि, उन्होंने 2020 टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय टीम के साथ ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता था।
श्रीजेश भारत के लिए 328 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। इसके अलावा वह कई राष्ट्रमंडल खेल और विश्व कप में भी हिस्सा ले चुके हैं। पेरिस ओलंपिक की शुरुआत 26 जुलाई से होगी। हॉकी इंडिया की प्रेस विज्ञप्ति में श्रीजेश ने कहा, 'जैसा कि मैं पेरिस में अपने आखिरी टूर्नामेंट की तैयारी कर रहा हूं, मैं बहुत गर्व के साथ पीछे मुड़कर अपने करियर को देखता हूं और आशा की किरणों के साथ आगे बढ़ता हूं।'
उन्होंने कहा, 'यह यात्रा असाधारण से कम नहीं है और मैं अपने परिवार, टीम के साथियों, कोच, फैंस और हॉकी इंडिया के प्यार और समर्थन के लिए हमेशा आभारी रहूंगा। मुझ पर विश्वास करने के लिए धन्यवाद। मेरे टीम के साथी कठिन समय में मेरे साथ खड़े रहे हैं। हम सभी यहां पेरिस में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहते हैं और निश्चित रूप से इच्छा हमारे पदक का रंग बदलने की है।'
2010 विश्व कप में डेब्यू करने के बाद श्रीजेश भारत के लिए कई यादगार जीत का हिस्सा रहे हैं, जिसमें 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण और जकार्ता-पालेमबांग में 2018 एशियाड में कांस्य पदक शामिल है। वह 2018 में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी की संयुक्त विजेता टीम के अलावा, भुवनेश्वर में 2019 एफआईएच पुरुष सीरीज फाइनल चैंपियन टीम में भी थे। इसके अलावा वह 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक और 2023 एशियाई चैंपियन ट्रॉफी जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थे। 2022 एशियाई खेलों में उन्होंने भारत को स्वर्ण जीतने में मदद की थी।
श्रीजेश को 2021 में खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वहीं, 2022 में वह साल 2021 के लिए सर्वश्रेष्ठ एथलीट चुने गए थे। श्रीजेश ने अपनी गर्लफ्रेंड अनीषया से शादी की थी, जो कि एक लॉन्ग जंपर और आयुर्वेद डॉक्टर भी हैं। इस कपल की एक बेटी (अनुश्री) और एक बेटा भी है। श्रीजेश 2016 में सरदार सिंह को रिप्लेस कर भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान बने थे। टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने अपनी गोलकीपिंग से भारत को 41 साल बाद पुरुष हॉकी में ओलंपिक पदक जिताने में मदद की थी। 

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