पेरिस ओलम्पिक की तैयारियों पर 470 करोड़ रुपए खर्च

मिशन ओलम्पिक सेल ने एथलेटिक्स पर खर्च किए 96 करोड़ 
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
पेरिस ओलम्पिक की शुरुआत में अब सिर्फ आठ दिन का समय शेष है। भारत इस बार पेरिस ओलम्पिक में 117 खिलाड़ियों का दल भेज रहा है और सभी को इनसे बेहतर प्रदर्शन करने की आशा है। इस बीच सरकार ने ओलम्पिक की तैयारियों के लिए राशि आवंटित कर दी है। तीन साल पहले टोक्यो खेलों में भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक के बाद भारत में इस ओलम्पिक चक्र में ट्रैक एवं फील्ड के खिलाड़ियों को सरकारी कोष में सबसे बड़ा हिस्सा मिला है।
भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के मिशन ओलम्पिक सेल (एमओसी) के आधिकारिक आंकड़ों में बताया गया कि सरकार ने एथलेटिक्स पर 96 करोड़ आठ लाख रुपए खर्च किए। इस बार 16 खेलों के लिए भारत की तैयारियों पर लगभग 470 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। पिछले ओलम्पिक चक्र में टारगेट ओलम्पिक पोडियम योजना (टॉप्स) के तहत एथलेटिक्स पर पांच करोड़ 38 लाख रुपए खर्च किए गए थे।
26 जुलाई से शुरू हो रहे पेरिस खेलों में नीरज चोपड़ा की अगुआई में 29 सदस्यीय एथलेटिक्स दल भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। भारतीय दल में कुल 117 खिलाड़ी शामिल हैं। पिछली बार सात पदक को देखते हुए इस बार उम्मीदें अधिक हैं, इस बार खिलाड़ियों की तैयारी पर खर्च भी अधिक किया गया है। ओलम्पिक के उद्घाटन समारोह में पीवी सिंधू के साथ अचांता शरत कमल भारत के ध्वजवाहक होंगे।
देश के बैडमिंटन खिलाड़ी सर्वाधिक अनुदान हासिल करने के मामले में दूसरे स्थान पर रहे। बैडमिंटन खिलाड़ियों को 72.02 करोड़ रुपए मिले जबकि इसके बाद मुक्केबाजी (60.93 करोड़) और निशानेबाजी (60.42 करोड़) का नम्बर आता है। टोक्यो ओलम्पिक की कांस्य पदक विजेता भारतीय पुरुष हॉकी टीम को पिछले तीन साल में 41.29 करोड़ रुपये की राशि मिली जबकि तीरंदाजी पर सरकार ने 39.18 करोड़ रुपये खर्च किए। पहलवानों को कोष से 37.80 करोड़ रुपए मिले जबकि भारोत्तोलन के खाते में 26.98 करोड़ रुपए आए।
घुड़सवारी को 95 लाख रुपये के साथ सबसे कम वित्तीय सहायता मिली। टेनिस को एक करोड़ 67 लाख रुपये जबकि गोल्फ को एक करोड़ 74 लाख रुपये की मदद मिली। नौकायन (3.89 करोड़), तैराकी (3.9 करोड़), पाल नौकायन (3.78 करोड़) और जूडो (6.3 करोड़) पर भी 10 करोड़ रुपये से कम खर्च हुए। स्टार खिलाड़ी अचंता शरत कमल की अगुआई वाली भारतीय टेबल टेनिस टीम को सरकार ने 12 करोड़ 92 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी। 
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार विदेशों में अनुभव और टूर्नामेंट के मामले में देश के बैडमिंटन खिलाड़ियों को सबसे अधिक समर्थन मिला। उन्होंने 81 दौरे किए। निशानेबाजों को 45 विदेशी दौरे मिले जबकि इसके बाद टेनिस (40), एथलेटिक्स (31), टेबल टेनिस (28), कुश्ती (27), तीरंदाजी (24), मुक्केबाजी (23), नौकायन (22), हॉकी (18), जूडो (15), गोल्फ (12) और तैराकी (11) का नम्बर आता है।
पिछले तीन वर्षों के दौरान निशानेबाजी में 41 राष्ट्रीय शिविर आयोजित किए गए जो सभी 16 खेलों में सबसे अधिक हैं। तीरंदाजी 41 शिविर के साथ दूसरे स्थान पर है। इसके बाद एथलेटिक्स (36), हॉकी (33), मुक्केबाजी (17), नौकायन (16), कुश्ती (15) और बैडमिंटन (13) का नम्बर आता है। घुड़सवारी के लिए कोई राष्ट्रीय शिविर नहीं था क्योंकि अधिकांश घुड़सवार विदेश में प्रशिक्षण लेते हैं। गोल्फ के लिए केवल एक शिविर आयोजित किया गया था।
व्यक्तिगत और विशिष्ट खेल संबंधित खर्चे में भारतीय हॉकी टीम को सर्वाधिक 41.81 करोड़ रुपए मिले जिसमें 76 राष्ट्रीय शिविर और 19 विदेशी दौरों का खर्च शामिल है। नीरज चोपड़ा इस सूची में 5.72 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर है। यह खर्चा उनके मौजूदा विदेशी कोच डॉ. क्लॉस बार्टोनिट्ज की सेवाएं लेने, यूरोप में ओलम्पिक पूर्ण शिविर तथा यूरोप, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने पर किया गया।

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