अब तक सिर्फ तीन भारतीय मुक्केबाजों ने जीते ओलम्पिक में मेडल

पेरिस में पदक का रंग बदलने को बेताब हैं लवलीना
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारत के अन्य एथलीटों की तरह ही भारतीय मुक्केबाज भी पेरिस ओलम्पिक के लिए पूरी तरह कमर कस चुके हैं। इस बार देश को निकहत जरीन और टोक्यो ओलम्पिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन से पदक लाने की काफी उम्मीदें हैं। भारत की ओर से चार महिला और दो पुरुष मुक्केबाजों से पदक लाने की उम्मीदें हैं, लेकिन इनमे लवलीना और निकहत पर दारोमदार रहेगा। 
मुक्केबाजी ऐसी स्पर्धा है जिसमें पिछले चार ओलंपिक में से तीन में भारत पदक लाने में सफल रहा है। ओलंपिक मुक्केबाजी में पिछले दो पदक देश की बेटियों मैरीकॉम और लवलीना बोरगोहेन ने दिलाए हैं और इस बार लवलीना के साथ निकहत से बड़ी उम्मीदें लगी हैं। भारत की ओर से मुक्केबाजी में सबसे पहला पदक विजेंद्र कुमार ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में जीता था। उस वक्त विजेंद्र ने पुरुष 75 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया था। 
2012 लंदन ओलम्पिक में महिला मुक्केबाजी को भी शामिल किया गया और दिग्गज महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम ने इतिहास रचते हुए पदक जीता। मैरीकॉम ने भी कांसा अपने नाम किया था। इसके बाद 2016 में देश को इस स्पर्धा में कोई पदक नहीं मिला, लेकिन टोक्यो ओलंपिक में लवलीना ने कमाल करते हुए मुक्केबाजी में तीसरा पदक देश को दिलाया। हालांकि, उन्हें भी कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा था। 
दो बार की विश्व चैंपियन निकहत जरीन को तैयारियों के लिए अच्छा समय मिला है। निकहत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया है और उनके पास ओलंपिक पदक जीतकर खुद को ओलंपिक जैसे मंच पर साबित करने का अच्छा मौका रहेगा। पिछले ओलंपिक में 69 किग्रा में पदक दिलाने वाली लवलीना पेरिस में 75 किग्रा में उतरेंगी। इसी भारवर्ग में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप और एशियाड पदक जीते हैं। जैस्मीन और प्रीति के लिए भी मौका है। पुरुष वर्ग में अमित पंघाल के पास एशियाड विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों के पदक हैं। ओलंपिक पदक के लिए वह कोई कसर नहीं रखेंगे। निशांत देव भी अनुकूल ड्रॉ मिलने पर चौंका सकते हैं।
1948 लंदन ओलंपिक में भारत के सात मुक्केबाज पहली बार रिंग में उतरे इनमें बिनाय बोस, जेनी रेमंड, मैक जोकिम, रॉबर्ट क्रेन्सटन, जॉन न्यूटाल, राबिन भट्टा और बाबू लाल शामिल थे। ओलंपिक में भारत के लिए सबसे पहला मुकाबला बाबू लाल ने बेंटमवेट में दिलाया था जब उन्होंने, पाकिस्तान के एलेन मोंटेरियो को हराया था। हालांकि अगले दौर में बाबू लाल हार गए थे।

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