डिजिटल क्रांति ने भारत में बैंकिंग क्षेत्र को दिया बड़ा आकार

राजीव एकेडमी में  वित्तीय परिदृष्य के बदलते प्रतिमान पर हुई कार्यशाला

मथुरा। भारत ही नहीं समूची दुनिया में समय के साथ बैंकों के बिजनेस मॉडल तेजी से विकसित हुए हैं। आज के समय में जोखिम प्रबंधन पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है। आज बैंकों को पीएसयू बैंकों, निजी बैंकों या विदेशी बैंकों से प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ रहा है। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के बीबीए विभाग द्वारा भारत में वित्तीय परिदृष्य के बदलते प्रतिमान विषय पर आयोजित अतिथि व्याख्यान में फाइनेंशियल विश्लेषक अपूर्वा अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को बताईं।

श्री अग्रवाल ने कहा कि वित्तीय प्रतिमान किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होते हैं लेकिन बदलते प्रतिमानों के प्रति सजग रहने की भी बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति ने भारत में बैंकिंग क्षेत्र के विकास पथ को विशाल आकार प्रदान किया है। विशेष रूप से यदि हम विमुद्रीकरण के बाद के चरण का मूल्यांकन करें तो वित्त उद्योग ने डिजिटलीकरण की ओर रुख किया है। हमारे यहां वित्तीय समावेशन के रूप में अनेक योजनाएं चल रही हैं जिनमें प्रधानमंत्री जनधन योजना, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री वय वंदना योजना, स्टैंड अप इण्डिया योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, जीवन सुरक्षा बंधन योजना आदि शामिल हैं।

अतिथि वक्ता अपूर्वा अग्रवाल ने 2011 में डिजिटल युग की शुरुआत के बाद की सरकार द्वारा अनुमोदित बैंकिंग योजनाओं की चर्चा करते हुए एकीकृत भुगतान इंटरफेस, भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम), राष्ट्रीय एकीकृत यूएसएसडी प्लेटफार्म तथा आधार सक्षम भुगतान प्रणाली को महत्वपूर्ण बताया। हाल ही में हुए बैंक विलय को उन्होंने देशहित में बताया। श्री अग्रवाल ने जनसांख्यिकी, शहरीकरण, डिजिटलीकरण, मोबाइल वाणिज्य, लीड बैंकिंग, वैश्विक एकीकरण आदि को बदलते परिदृष्य की नई चुनौतियां बताया।

अतिथि वक्ता श्री अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को बताया कि आज के समय में वित्तीय बाजार ऐसे चरण में प्रवेश कर रहा है जहां वित्तीय संकट धीरे-धीरे नहीं होगा बल्कि अचानक आ सकता है। इसलिए बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को ऐसी स्थिति से उबरने के लिए आवश्यक बीमा से लैस होना होगा। श्री अग्रवाल ने बताया कि आज एक खुदरा विक्रेता के पास बड़े ग्राहक फ्रेंचाइजी तक पहुंच है, इसलिए बैंक अपने ऋण उत्पादों को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे ग्राहक फ्रेंचाइजी का लाभ उठाएंगे। वितरण के मॉडल में भारी बदलाव की सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने अतिथि वक्ता का आभार माना।

रिलेटेड पोस्ट्स