नई शिक्षा नीति व्यावसायिक कौशल विकास में सहायकः डॉ. रितु नारंग
राजीव इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित हुई फैकेल्टी डेवलपमेंट पर कार्यशाला
मथुरा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहुंच, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य तथा जवाबदेही के स्तम्भों पर आधारित है। इसका उद्देश्य स्कूल और कॉलेज दोनों में शिक्षा को अधिक समग्र, बहु-विषयक तथा लचीला बनाना है, जो सतत विकास के अनुरूप हो। यह बातें शनिवार को राजीव इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यशाला में प्रख्यात वक्ता डॉ. रितु नारंग ने शिक्षकों को बताईं।
ऑक्सफोर्ड पब्लिकेशन द्वारा आयोजित वर्कशॉप में डॉ. रितु नारंग ने कहा कि परिवर्तन संसार का नियम है। चिकित्सा, विज्ञान, शिक्षा आदि क्षेत्रों में निरंतर परिवर्तन हो रहे हैं। शिक्षा के बिना समाज का विकास सम्भव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आ रहे हैं लिहाजा राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क की जानकारी होना प्रत्येक शिक्षक के लिए जरूरी है।
डॉ. नारंग ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आने तक भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई खामियां थीं। मसलन अवधारणाओं को समझने की तुलना में याद रखने को अधिक प्राथमिकता दी जाती थी। इसके अलावा कई बोर्डों की मौजूदगी भी एक बड़ा मुद्दा था। प्रत्येक बोर्ड में अलग-अलग कौशल के लिए अलग-अलग सीखने की विधियां थीं तथा फिर प्रत्येक छात्र को एक ही मानकीकृत बोर्ड परीक्षा देनी होती थी। इतना ही नहीं पिछले वर्षों में पारम्परिक विषयों को सीखने या उनमें महारत हासिल करने पर अधिक जोर दिया गया तथा व्यावसायिक कौशल विकसित करने पर कम ध्यान दिया गया।
डॉ. रितु नारंग ने बताया कि नई शिक्षा नीति में भारतीय शिक्षा प्रणाली की सभी कमियों और सीमाओं का ध्यान रखा गया है। इसके अलावा, नई शिक्षा नीति का उद्देश्य व्यावसायिक और औपचारिक शिक्षा के बीच के अंतर को पाटना है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा एनसीएफ पर चर्चा करने के साथ ही इसके सकारात्मक दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एनईपी के कारण विद्यार्थियों के लिए विकास के नए-नए रास्ते खुल गए हैं। अब दिव्यांग छात्र-छात्राएं भी शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़कर समान शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे।
नई शिक्षा नीति में रटने का दबाव खत्म होगा तथा सामान्य बौद्धिक क्षमता वाले छात्र-छात्राएं भी अपनी रुचि के अनुसार विषयों का चयन कर पाएंगे। डॉ. नारंग ने एनईपी तथा एनसीएफ के अंतर को स्पष्ट करते हुए शिक्षकों के प्रश्नों के उत्तर देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया। उन्होंने इंक्वायरी बेस्ड लर्निंग पर जोर देते हुए कहा कि इससे विद्यार्थी किताबी ज्ञान से ऊपर उठकर निजी अनुभव से जल्दी सीखता है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने वर्कशॉप को सार्थक बताते हुए कहा कि ज्ञान हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती। विद्यार्थी कोरे कागज के समान होते हैं जिन्हें सुघड़ सांचे में ढालने का कार्य शिक्षक करते हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति से छात्र-छात्राओं को अध्ययन में काफी सहजता महसूस होगी।
प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि समय-समय पर ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना जरूरी है। ऐसी कार्यशालाओं से शिक्षकों को जहां अपडेट होने का मौका मिलता है वहीं शिक्षा में नयापन आने से छात्र-छात्राओं की अध्ययन के प्रति रुचि भी बढ़ती है।
विद्यालय की शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने डॉ. रितु नारंग का आभार मानते हुए कहा कि ईश्वर ने प्रत्येक विद्यार्थी को कोई न कोई गुण अवश्य दिया है, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से विद्यार्थियों के भीतर छिपे गुणों को बाहर लाने तथा उन्हें निखारने में मदद मिलेगी।