...तो क्या स्कूल नेशनल हॉकी प्रतियोगिता में शिरकत नहीं करेंगी यूपी की टीमें?

प्रतियोगिता शुरू होने में सिर्फ एक दिन शेष, खिलाड़ियों का नहीं हुआ वेरीफिकेशन

इस मामले में एसजीएफआई के अध्यक्ष दीपक कुमार को लेना चाहिए संज्ञान

खेलपथ संवाद

ग्वालियर। एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश को खेलों में उत्तम प्रदेश बनाने का सपना देख रहे हैं तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग से जुड़े खेलनहारों के मंसूबे कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। स्कूल नेशनल हॉकी प्रतियोगिता मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 28 दिसम्बर से शुरू होनी है लेकिन 27 दिसम्बर तक उत्तर प्रदेश की हॉकी टीमें प्रतियोगिता स्थल तक नहीं पहुंची हैं।

सुविज्ञ सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के खेलनहार अभी तक खिलाड़ियों का वेरीफिकेशन ही नहीं कर सके हैं। अब चूंकि प्रतियोगिता शुरू होने में सिर्फ एक दिन बचा है ऐसे में क्या यह मान लेना चाहिए कि उत्तर प्रदेश की अण्डर-14, अण्डर-17 और अण्डर-19 की टीमें इस बार स्कूल नेशनल हॉकी प्रतियोगिता में नहीं खेलेंगी। यदि ऐसा हुआ तो उत्तर प्रदेश की हॉकी में पदक उम्मीदों को न केवल झटका लगेगा बल्कि होनहार छात्र-छात्राओं का भी बहुत नुकसान होगा।

हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआई) के अध्यक्ष हैं तो खेल निदेशक डॉ. राम प्रकाश सिंह हॉकी के बड़े खिलाड़ियों में शुमार होने के साथ ही हॉकी उत्तर प्रदेश के सचिव भी हैं। इन दिग्गजों के होते हुए भी स्कूल शिक्षा विभाग के कर्ता-धर्ता ऐसी हिमाकत क्यों कर रहे हैं, यह जांच का विषय है।

ज्ञातव्य है कि 28 दिसम्बर गुरुवार से ग्वालियर में अण्डर-14 एवं अण्डर-17 आयु समूह के छात्र-छात्राओं की राष्ट्रीय स्कूल हॉकी की प्रतियोगिताएं होनी हैं लेकिन उत्तर प्रदेश की अभी तक कोई भी आयु वर्ग की हॉकी टीम प्रतियोगिता स्थल तक नहीं पहुंची है जबकि फुटबॉल, कुश्ती, वॉलीबॉल, जिम्नास्टिक, टेबल टेनिस इत्यादि के खिलाड़ियों की सूची जारी हो चुकी हैं। मजेदार बात तो यह है कि कुछ खेलों की प्रतियोगिताएं भी खत्म हो चुकी हैं लेकिन हॉकी खिलाड़ियों की टीमों की सूची अभी तक जारी नहीं की गई है।

अब सवाल यह उठता है कि उत्तर प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग हॉकी से इतना भेदभाव क्यों कर रहा है। देखा जाए तो कोरोना काल से लेकर अब तक इस वर्ष सारे खेलों की प्रतियोगिताएं सभी आयु वर्ग की शुरू हो चुकी हैं। पिछले वर्ष एसजीएफआई ने सिर्फ अण्डर-19 आयु समूह की ही खेल प्रतियोगिताएं कराई थीं। जानकारों की कही सच मानें तो स्कूल शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश अभी तक हॉकी खिलाड़ियों के वेरीफिकेशन में ही उलझा हुआ है जबकि अन्य खेलों के खिलाड़ी खेलकर लौट आए हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या दूसरे खेलों के खिलाड़ी स्कूल खेलों में बिना वेरीफिकेशन के खेले हैं? यदि अन्य खेलों के खिलाड़ियों का वेरीफिकेशन नहीं हुआ तो क्यों नहीं किया गया। अब तक हॉकी खिलाड़ियों का वेरीफिकेशन क्यों नहीं किया गया जबकि हर साल हॉकी टीमें स्कूल नेशनल में न केवल अच्छा खेलती रही हैं बल्कि मेडल भी लाती रही हैं। उत्तर प्रदेश में हॉकी खिलाड़ियों के साथ जो कुछ हो रहा है, उससे तो उनका भविष्य ही बर्बाद हो जाएगा।

 

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