आरआईएस के विद्यार्थियों ने भारतीय न्याय प्रणाली को समझा

प्रत्येक छात्र-छात्रा को हो कानून की जानकारीः डॉ. रामकिशोर अग्रवाल

मथुरा। आज की पीढ़ी को किताबी ज्ञान के साथ ही व्यावहारिक ज्ञान दिया जाना बेहद जरूरी है। असली विद्या तो वही है, जो लक्ष्य प्राप्ति में सहयोग करे। व्यावहारिक ज्ञान वह ज्ञान है जो बच्चे व्यावहारिक अनुभव और प्रयोग के माध्यम से प्राप्त करते हैं। व्यावहारिक ज्ञान केवल शारीरिक गतिविधियों तक ही सीमित नहीं है,  इसका मतलब यह समझना भी हो सकता है कि सामाजिक परिस्थितियों से कैसे निपटें, समय का प्रबंधन कैसे करें। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सोमवार को राजीव इंटरनेशनल स्कूल में छात्र-छात्राओं को एक कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय न्याय प्रणाली से अवगत कराया गया।

राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं को भारतीय न्याय प्रणाली से अवगत कराने के लिए मूट कोर्ट का प्रारूप तैयार किया गया तथा मूट कोर्ट में मर्डर केस की सुनवाई हुई। छात्रा अश्मी मिश्रा को न्यायाधीश बनने का सौभाग्य मिला। वकील बने आराध्य गुप्ता तथा प्रतिष्ठा भारद्वाज ने विभिन्न कानूनी दांव-पेंचों तथा तर्क-वितर्क की सहायता से निर्दोष वादी को निष्पक्ष न्याय दिलवाने में मदद की। इस मामले में न्यायाधीश छात्रा अश्मी मिश्रा ने निर्दोष व्यक्ति को जहां बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया वहीं दोषी व्यक्ति को सजा सुनाई।

न्यायाधीश छात्रा अश्मी मिश्रा के फैसले के बाद छात्र-छात्राओं ने आराध्य गुप्ता तथा प्रतिष्ठा भारद्वाज के तर्क-वितर्क की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। इस अदालत के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने न केवल भारतीय न्याय प्रणाली को समझा बल्कि कानूनी दांव-पेंच भी सीखे। छात्र-छात्राओं ने माना कि ऐसे कार्यक्रम भारतीय न्याय प्रणाली को समझने का बेहतरीन माध्यम हैं।

आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं द्वारा लगाई गई अदालत की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से तर्कशक्ति को विकसित करने में मदद मिलती है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि हम जिस देश के नागरिक हैं उसकी न्याय प्रक्रिया की जानकारी प्रत्येक छात्र तथा छात्रा को होनी चाहिए।

प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि आज के इस आधुनिक युग में सभी छात्र-छात्राओं को कानून की जानकारी होना जरूरी है क्योंकि यही हमारे देश का भविष्य हैं। प्रत्येक छात्र-छात्रा को यदि कानून की जानकारी होगी तो वह कोई भी गलत कार्य करने से पहले जरूर सोचेगा। श्री अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि लगन और मेहनत से पढ़ें तथा समय का सदुपयोग कर भविष्य को उज्ज्वल बनाएं। विद्यालय की शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने कहा कि इस अदालती प्रक्रिया से विद्यार्थियों के भीतर न्याय के प्रति कटिबद्धता तथा अन्याय के खिलाफ डटकर खड़े होने की भावना विकसित होगी।

रिलेटेड पोस्ट्स