सुजीत ने सर्विसेज के पहलवान को पराजित कर जीता स्वर्ण

हरियाणा के इस पहलवान को विरासत में मिली है कुश्ती
खेलपथ संवाद
चरखी दादरी।
गोवा में चल रहे राष्ट्रीय खेलों में हरियाणा के पहलवान सुजीत कलकल ने सर्विसेज के पहलवान को एकतरफा ढंग से पराजित कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। सुजीत को कुश्ती विरासत में मिली है। उसके पिता दयानंद कलकल भी अच्छे पहलवान रहे। सुजीत का अगला लक्ष्य पेरिस ओलम्पिक खेलना और देश के लिए पदक जीतना है।
इमलोटा निवासी युवा पहलवान सुजीत की उपलब्धियों में एक स्वर्ण पदक और जुड़ गया है। गोवा में चल रहे नेशनल गेम्स में सुजीत कलकल ने हरियाणा को स्वर्ण पदक दिलाया है। पहले स्थान के लिए आयोजित कुश्ती स्पर्धा में सुजीत ने सर्विसेज के पहलवान को एकतरफा पटकनी देकर अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी।
खेल प्रमोटर योगेश इमलोटा ने बताया कि नेशनल गेम्स में सुजीत कलकल ने 65 किलोग्राम भारवर्ग में अपनी चुनौती पेश की। स्वर्ण पदक के लिए आयोजित मुकाबले में सुजीत ने सर्विसेज के पहलवान रोहित को 11-3 से हराते हुए पदक अपने नाम किया। इससे पहले सुजीत तीन बार सीनियर नेशनल गोल्ड, दो बार जूनियर गोल्ड व एक रजत समेत पांच अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुका है जिनमें चार स्वर्ण और एक रजत पदक शामिल है।
सुजीत के पिता दयानंद कलकल पेशेवर कुश्ती पहलवान रह चुके हैं। वह आर्मी से रिटायर होकर फिलहाल साई सेंटर में कोच के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सुजीत को कुश्ती खेलने की प्रेरणा अपने पिता से ही मिली थी। सुजीत के पिता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक न जीत पाने का मलाल था, लेकिन उनका बेटा अब पदक जीतकर इस टीस को दूर कर रहा है।
दयानंद कलकल ने बताया कि सुजीत का लक्ष्य सिर्फ ओलम्पिक खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। वो इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और गत छह माह में आयोजित स्पर्धाओं में किए गए प्रदर्शन से इसका पता लगता है। वहीं, सुजीत का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में चार स्वर्ण पदक जीतने के बाद उसे और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा मिली है।

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