खेल भारतीय संस्कृति और जीवनपद्धति का हिस्साः प्रधानमंत्री मोदी

कहा- दीजिए ओलम्पिक की मेजबानी, कोई कमी नहीं होने देंगे
खेलपथ संवाद
मुम्बई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 40 साल बाद भारत में हो रहे आईओसी के सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत में खेल भारतीय संस्कृति और जीवनपद्धति का हिस्सा है। हमने वैश्विक खेलों की सफल मेजबानी के साथ हमारे खिलाड़ियों ने अपने खेल कौशल से इसे साबित भी किया है। हम वसुधैव कुटुम्बकम की भावना और भावों का सम्मान करते हुए आईओसी से कहता हूं कि भारत को ओलम्पिक खेलों की मेजबानी मिले।  
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ओलम्पिक का सफल आयोजन हो। इसके लिए भारत अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं रखेगा। उन्होंने कहा कि स्पोर्ट्स की भाषा और आत्मा दोनों सर्वव्यापी है। यह स्पर्धा नहीं बल्कि मानवता के विस्तार का अवसर देता है। स्पोर्ट्स सिर्फ मेडल जीतने का नहीं बल्कि दिलों को जीतने का माध्यम है। रिकॉर्ड कोई भी तोड़े, पूरी दुनिया उसका स्वागत करती है। यह हमारे वसुधैव कुटुम्बकम के भाव को भी सशक्त करता है।
मोदी ने कहा- भारत ने बीते वर्षों में ग्लोबल टूर्नामेंट आयोजित करने के अपने सामर्थ्य को साबित किया है। हमने हाल में चेस ओलम्पियाड का आजोजन किया जिसमें 186 देश शामिल हुए। फुटबाल (अंडर 17) वूमेंस वर्ल्ड कप और शूटिंग वर्ल्ड कप की भी मेजबानी की। भारत दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग में से भी एक का आयोजन करता है। इस समय भारत में क्रिकेट वर्ल्ड कप भी चल रहा है।
पीएम ने कहा- आईओसी के कार्यकारी मंडल ने क्रिकेट को ओलम्पिक में शामिल करने की सिफारिश की है। हमें जल्द ही अच्छी खबर सुनने को मिलेगी। मोदी ने कहा कि ग्लोबल इवेंट का आयोजन हमारे लिए दुनिया भर के देशों के स्वागत का मौका होता है। तेजी से बढ़ती इकोनामी और अपने बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण बड़े ग्लोबल इवेंट के लिए भारत तैयार है। दुनिया ने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान देखा है। ये हमारी आयोजन क्षमता का प्रमाण है। भारत में ओलम्पिक का आयोजन 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षा है। इसको हम आपके सहयोग से पूरा करना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खेल हमारी संस्कृति और जीवन पद्धति का एक हिस्सा रहा है। भारत के गांवों में बिना खेल हर त्योहार अधूरा है। हम भारतीय सिर्फ स्पोर्ट्स लवर नहीं बल्कि हम स्पोर्ट्स को जीने वाले लोग हैं। ये हजारों वर्षों के हमारे इतिहास में दिखता है। सिंधु घाटी की सभ्यता हो या हजारों वर्ष पहले का वैदिक काल हो। हर कालखंड में भारत का खेल बहुत समृद्ध रहा है। हमारे यहां हजारों साल पहले लिखे ग्रंथों में 64 विधाओं में पारंगत होने की बात कही जाती है। इनमें से अनेक विधाएं खेलों से जुड़ी हुई थीं। घुड़सवारी, धनुर्विद्या, रेसलिंग आदि स्किल्स को सीखने पर बल दिया जाता था। धनुर्विद्या को सीखने के लिए धनुर्वेद संहिता लिखी गई। इस संहिंता में एक जगह कहा गया है कि धनुर्विद्या से जुड़ी सात प्रकार की स्किल्स आनी चाहिए। जिसमें धनुष बाण, भाला, चक्र, तलवारबाजी, गदा और कुश्ती शामिल हैं। इसके अनेक वैज्ञानिक प्रमाण हैं।
भारत में 5000 साल पहले था विश्व का सबसे बड़ा स्टेडियम
मोदी ने कहा हमारे देश में मुंबई से 900 किलोमीटर दूर गुजरात के कच्छ में यूनेस्को की धौलावीरा विश्व हैरिटेज साइट है। धौलावीरा 5000 साल से भी पहले एक बड़ा और समृद्ध स्पोर्ट्स सिटी हुआ करता था। इस प्राचीन शहर में शहरी बुनियादी ढांचे के साथ स्पोर्ट्स का मॉडल मिला है। खुदाई में यहां दो स्टेडियम मिले हैं जिसमें से एक तो दुनिया का सबसे पुराना और उस वक्त का सबसे बड़ा स्टेडियम था। इस स्टेडियम में तब एक साथ 10,000 लोगों के बैठने की क्षमता थी। एक और प्राचीन स्थान राकी गढ़ी में स्पोर्ट्स से जुड़े ढांचे की पहचान की गई है। भारत की यह विरासत पूरे विश्व की विरासत है।
हर स्तर के खेल को बढ़ावा दे रही है सरकार
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार हर स्तर पर खेल को बढ़ावा देने के लिए पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है। खेलो इंडिया खेलो, इंडिया युनिवर्सिटी गेम्स आदि इसके उदाहरण हैं। हम भारत में खेलों के विकास के लिए लगातार फोकस कर रहे हैं। इसी फोकस के कारण आज भारत अंतरराष्ट्रीय आयोजन में शानदार प्रदर्शन कर रहा है। पिछले ओलम्पिक में भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया। हाल में सम्पन्न हुए एशियन गेम में भारत ने ऐतिहासिक परफार्मेंस दिया। वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में भी हमारे युवाओं ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं। ये भारत में बदलते और तेजी से विकसित होते स्पोर्ट्स लैंड का संकेत है।

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