विश्व कप क्रिकेटः 46 दिन, 48 मैच और एक चैम्पियन
12 साल बाद इतिहास दोहरा सकता है भारत
तीन विश्व कप से कायम है खराब रिकॉर्ड
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। क्रिकेट के महाकुंभ का बिगुल बजने वाला है। भारत कुल चौथी बार और 12 साल के अंतराल के बाद पूर्ण रूप से पहली बार वनडे विश्व कप की मेजबानी करने जा रहा है। पांच अक्टूबर से 19 नवम्बर के दौरान 46 दिनों तक क्रिकेट का जुनून सिर चढ़कर बोलेगा। इस दौरान 10 शहरों में 10 टीमों के बीच 48 मुकाबले खेले जाएंगे।
1975 में क्रिकेट के विश्व कप की शुरुआत जब इंग्लैंड में हुई तो कोई भी मेजबान देश 2007 तक विश्व चैम्पियन नहीं बन सका। 2011 में भारत ने यह सिलसिला तोड़ा और विश्व चैम्पियन बनने वाला पहला मेजबान देश बना। तब से 2019 के अंतिम विश्व कप तक मेजबान देश को ही विश्व चैम्पियन बनने का गौरव हासिल हो रहा है। इस बार भारत मेजबान है, ये हैं तो तथ्य, लेकिन टीम इंडिया के पक्ष में काफी कुछ इशारा कर रहे हैं।
भारतीय टीम के निशाने पर रहेगा तीसरा खिताब
विश्व कप के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया के बाद सबसे सफल टीम भारत है। 1983 और 2011 में विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम को 2003 के विश्वकप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार मिली। चार बार भारतीय टीम सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है। 1987 में उसे इंग्लैंड ने, 1996 में श्रीलंका ने, 2015 में ऑस्ट्रेलिया ने और 2019 में उसे न्यूजीलैंड से हार मिली। 2007 के बाद से भारतीय टीम हर विश्वकप में सेमीफाइनल या उससे आगे बढ़ती आई है।
प्रमुख क्रिकेटर : रोहित शर्मा, विराट कोहली, शुभमन गिल, केएल राहुल, जसप्रीत बुमराह, कुलदीप यादव पर टीम की निर्भरता ज्यादा रहेगी। इन क्रिकेटरों का हाल में प्रदर्शन भी अच्छा रहा है। भारत की ताकत उसकी उच्च क्रम की बल्लेबाजी है। भारत को मेजबान होने का लाभ भी मिलेगा। चोट के बाद वापसी कर रहे बुमराह के आने से और मोहम्मद सिराज की जबरदस्त फॉर्म से भारतीय गेंदबाजी भी मजबूत हो गई है। कुलदीप यादव अन्य टीमों पर बड़ा अंतर साबित होंगे।
कमजोरी : एशिया कप से पहले टीम का मध्य क्रम चिंता का विषय था, लेकिन राहुल और ईशान किशन की वापसी ने इसे भी दूर कर दिया है। वैसे तो टीम संतुलित नजर आ रही है, लेकिन बल्लेबाजी क्रम में गहराई नहीं होना चिंता बन सकता है। बल्लेबाजी बिखरने पर कुलदीप, बुमराह, सिराज से भी योगदान की उम्मीद करनी होगी। कप्तान-रोहित शर्माः विश्व कप विजेता-1983, 2011.
ऑस्ट्रेलियाः ऑस्ट्रेलिया विश्वकप की सबसे सफल टीम है। भारत में 1987 में विश्व चैंपियन बनने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने 1999, 2003, 2007 मेंं खिताब की हैट्रिक लगाई और 2015 में अपने ही देश में विश्व चैंपियन बने। 2019 में उसे सेमीफाइनल में हार मिली थी।
प्रमुख क्रिकेटर: मिचेल मार्श, ग्लेन मैक्सवेल, कैमरन ग्रीन बतौर ऑलराउंडर भारतीय धरती पर बेहद खतरनाक साबित होंगे। मार्श और मैक्सवेल को आईपीएल में खेलने के कारण भारतीय पिचों का खासा अनुभव है, जो उनके यहां काम आएगा। डेविड वॉर्नर अगर अपने पुराने रंग में आ गए तो ऑस्ट्रेलिया को लंबी छलांग लगवाएंगे। हेजलवुड, पैट कमिंस के रूप में उनकी गेंदबाजी जोड़ी भी अच्छी है।
कमजोरी: विश्व कप से पहले भारत के साथ तीन वनडे मैचों की सीरीज में अनुभवी स्टीव स्मिथ का बल्ला नहीं चलना ऑस्ट्रेलिया की चिंता का विषय हो सकता है। कप्तान- पैट कमिंस, विश्व कप विजेता-1987, 1999, 2003, 07, 2015.
इंग्लैंडः विश्वकप का जनक इंग्लैंड अपने ही घर में पहली बार 2019 में विजेता बना। इंग्लैंड के सामने अपने खिताब को बरकरार रखने की चुनौती है। यह काम आसान नहीं होगा। विश्वकप में पिछले 16 सालों में कोई भी टीम गत विजेता टीम अपने खिताब की रक्षा करने में सफल नहीं रही है। इंग्लैंड 1979, 87, 92 विश्वकप के फाइनल में भी पहुंचा।
प्रमुख क्रिकेटर : इंग्लैंड के पास कप्तान के रूप में जोस बटलर और ऑलराउंडर बेन स्टोक्स जैसे क्रिकेटर हैं। स्टोक्स संन्यास तोड़कर यह विश्वकप खेलने उतर रहे हैं। वह अपना सर्वश्रेष्ठ देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। दोनों ही क्रिकेटर अकेले दम पर मैच पलटने की कूवत पहले भी दिखा चुके हैं। लिविंगस्टोन, सैम कुरेन भी अपने दिन में कुछ भी कर सकते हैं।
कमजोरी : इंग्लैंड ने तीन साल से भारतीय धरती पर वनडे क्रिकेट नहीं खेली है। हैरी ब्रुक और डेविड मलान जैैसे क्रिकेटरों को वनडे में अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी। कप्तान-जोस बटलर, विश्व कप विजेता-2019.
न्यूजीलैंडः विश्वकप इतिहास की अगर सबसे दुर्भाग्यशाली टीमों की बात आएगी तो न्यूजीलैंड का नाम सबसे ऊपर होगा। यह टीम पिछले दो विश्वकप की फाइनलिस्ट है और 2007 से हर विश्वकप के सेमीफाइनल में प्रवेश करती आई है, लेकिन उसे आज तक विश्व चैंपियन बनना नसीब नहीं हुआ है।
प्रमुख क्रिकेटर : ट्रेंट बोल्ट, डेवोन कॉन्वे पर न्यूजीलैंड की ज्यादा निर्भरता रहेगी। ये दोनों ही क्रिकेटर आईपीएल में भारतीय पिचों पर बेहतरीन करते आए हैं। न्यूजीलैंड के पास रचिन रविंद्र, डैरिल मिचेल, मिचेल सैंटनर, जिमी नीशम जैसे ऐसे भी क्रिकेटर हैं जो गेंद और बल्ले दोनों से योगदान दे सकते हैं।
कमजोरी : 15 सदस्यीय टीम में 12 ऐसे क्रिकेटर हैं जो 30 की उम्र को पार कर चुके हैं। इसे सकारात्मक रूप से देखें तो यह सबसे अनुभवी टीम है, लेकिन भारतीय पिचों और यहां की परिस्थतियों में अपने को इंजुरी से बचाना इन क्रिकेटरों की सबसे बड़ी चुनौती होगी। कप्तान केन विलियम्सन भी चोट से उबर कर आए हैं। उन्हें अपनी फॉर्म साबित करनी होगी। कप्तान-केन विलियम्सन, उप विजेता-2015, 2019.
अफगानिस्तानः अफगानिस्तान ने विश्वकप में पदार्पण 2015 में किया था। 2019 में भी यह टीम विश्वकप में खेली। दोनों विश्वकप में अफगानिस्तान 15 मैच खेल चुका है, लेकिन उसके हिस्से में सिर्फ एक जीत आई है।
प्रमुख क्रिकेटर : टीम की निर्भरता लेग स्पिनर राशिद खान पर है। वह वनडे क्रिकेट में 19.53 की औसत से 172 विकेट ले चुके हैं। हालांकि आईसीसी के पूर्ण सदस्य देशों के खिलाफ उन्होंने 28.80 की औसत से 41 विकेट लिए हैं। बावजूद इसके अपने दिन में वह खतरनाक साबित हो सकते हैं। उनके साथ मुजीब उर रहमान, मोहम्मद नबी जैसे स्पिनर होंगे। 2009 से खेल रहे 38 वर्षीय नबी का यह अंतिम विश्वकप होगा। विश्व कप भारत में हो रहा है और यहां की पिचें स्पिन को मदद देती हैं। ऐसे में इस बार अफगानिस्तान का प्रदर्शन अच्छा रहने की उम्मीद है।
कमजोरी: अफगानिस्तान की बल्लेबाजी उसकी कमजोर कड़ी है। फिर भी रहमानुल्लाह गुरबाज, इब्राहिम जादरान के रूप में उसके पास अच्छी ओपनिंग जोड़ी है। टीम के मध्य क्रम में गहराई नहीं है। कप्तान-हसमतुल्लाह शाहिदी.