चीन में चांदी सी चमकी वुशू खिलाड़ी रोशिबिना देवी

पिता रोज प्रदर्शन कर रहे, चिंता में मां रात भर जगती हैं
खेलपथ संवाद
हांगझोऊ।
एशियाई खेल 2023 में भारत के लिए रजत पदक जीतने वाली रोशिबिना देवी लगातार चर्चा में हैं। उन्होंने वुशू में महिलाओं की 60 किलोग्राम स्पर्धा में रजत पदक अपने नाम किया। भारत के तीन वुशू खिलाड़ियों को वीजा नहीं मिलने के कारण यह खेल पहले से ही चर्चा में था और रोशिबिना ने इस खेल में पदक जीतकर सभी देशवासियों को गौरवान्वित कर दिया। उन्होंने अपनी जीत का कोई खास जश्न नहीं मनाया और अपने पदक को माता-पिता के साथ उन तीन साथी खिलाड़ियों को समर्पित किया, जो वीजा नहीं मिलने के चलते प्रतियोगिता में भाग नहीं ले रहे हैं। 
रोशिबिना गुरुवार को फाइनल मैच में स्वर्ण पदक की प्रबल दावेदार चीन की वू जियाओवेई से 0-2 से हार गईं। जकार्ता में 2018 में कांस्य के बाद एशियाई खेलों में यह रोशिबिना का दूसरा पदक था। यह वुशू में भारत का दूसरा व्यक्तिगत रजत पदक था। इससे पहले वांगखेम संध्यारानी देवी 2010 में गुआंगझोऊ खेलों में इसी भार वर्ग में फाइनल में दूसरे स्थान पर रही थीं।
स्वर्ण पदक मैच में रोशिबिना ने अपने चीनी प्रतिद्वंद्वी का पैर पकड़कर आक्रामक होने की कोशिश की, लेकिन इस श्रेणी में मौजूदा चैम्पियन वू शियाओवेई ने तुरंत इसका आकलन कर लिया। उसने तुरंत भारतीय पर पासा पलट दिया। उसने रोशिबिना पर शानदार योजनाबद्ध टेकडाउन के साथ पहला अंक अर्जित किया। मणिपुरी एथलीट ने वापसी करने की कोशिश की और वू का पैर पकड़कर उसे किनारे तक धकेल दिया, लेकिन असफल रही क्योंकि पहला राउंड चीनी खिलाड़ी के नाम था। दूसरे राउंड में वू ने रोशिबिना को मौका नहीं दिया और आक्रामक अंदाज में जीत हासिल कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। 
रजत पदक जीतने के बाद रोशिबिना ने कहा "रजत पदक जीतकर मुझे अच्छा लग रहा है, लेकिन मैं स्वर्ण पदक नहीं जीत पाने से थोड़ा दुखी भी हूं। मैं अपने तीन दोस्तों के लिए जीतना चाहती थी जो यहां नहीं पहुंच सके। मुझे ओनिलु के आसपास रहने की आदत है। हम अक्सर एक साथ प्रशिक्षण लेते हैं और अच्छे दोस्त हैं। इस तरह के बड़े आयोजनों में, किसी ऐसे व्यक्ति का होना महत्वपूर्ण है जिसके साथ आप सहज हों।”
न्येमान वांगसु, ओनिलु तेगा और मेपुंग लाम्गु अरुणाचल प्रदेश की तीन एथलीट हैं जिन्हें चीनी अधिकारियों ने हांगझोऊ खेलों के लिए यात्रा करने के लिए वीजा देने से इनकार कर दिया था। ओनिलु रोशिबिना की साथी हैं। इस पर रोशिबिना ने कहा “वुशू भारत में एक छोटा परिवार है और हम सभी काफी करीब हैं। मैं अपनी सफलता अपने माता-पिता और साथी एथलीटों को समर्पित करना चाहती हूं जो यहां नहीं हैं। मैं ओनिलु, न्येमान वांगसु और मेपुंग लाम्गु के लिए जीतना चाहती हूं। यह उनके लिए मेरा उपहार होगा।”
माता-पिता की सुरक्षा को खतरा
मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के क्वासीफाई मयई लेइकी गांव की रहने वाली रोशिबिना अपने माता-पिता से फोन पर रोज बात करती थीं। खेल गांव में रहते हुए वह अपने खेल को लेकर चर्चा नहीं करती थीं। उनकी चिंता माता-पिता की सुरक्षा को लेकर है। उनके माता-पिता किसान हैं और विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं। मणिपुर लगभग चार महीने से जातीय हिंसा की चपेट में है। 
रोशिबिना ने कहा "मैं कुछ भी नहीं कर सकती। मैं बस नकारात्मकता से दूर रह सकती हूं और उनके लिए प्रार्थना कर सकती हूं। मेरे पिता नियमित रूप से विरोध प्रदर्शन करने जाते हैं, जबकि मेरी मां अक्सर हमारे गांव को अराजक तत्वों से सुरक्षित रखने के लिए दूसरों के साथ रात भर जागती रहती हैं। हमारा घर एक पुलिस स्टेशन के करीब है, लेकिन मैंने सुना है कि वहां पुलिस को भी खतरा है।''

 

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