सकारात्मक सोच, सही योजना प्रबंधन से पाएं मनचाही सफलताः आलोक मिश्रा

जीएल बजाज में हुआ 100वां नॉलेज शेयरिंग सेशन

खेलपथ संवाद

मथुरा। सकारात्मक सोच, समय का महत्व तथा सही योजना प्रबंधन ही सफलता के मूल मंत्र हैं। प्रतिकूल हालातों में भी जो अपनी मंजिल की ओर बढ़ता रहता है वही सफलता का स्वाद चख पाता है। किसी भी कार्य को एकाग्रता के साथ यदि हम करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। यह विचार बुधवार को इंडियन कार्ड क्लोथिंग कम्पनी लिमिटेड के सीईओ आलोक मिश्रा ने जी.एल. बजाज ग्रुफ ऑफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा द्वारा आयोजित सफलता के मंत्र- सर्वोत्तम अभ्यास विषय के 100वें नॉलेज शेयरिंग सेशन में छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।

सफलता के मंत्र- सर्वोत्तम अभ्यास विषय के 100वें नॉलेज शेयरिंग सेशन का शुभारम्भ संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया। प्रो. नीता अवस्थी ने पिछले 99 केएसएस आयोजनों के इतिहास तथा अवधारणाओं की अंतर्दृष्टि साझा की। इस अवसर पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर मोहम्मद मोहसिन ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं को असफलता से घबराने की बजाय उसके कारणों को जानना तथा उनका समाधान निकालना चाहिए।

मुख्य वक्ता श्री मिश्रा ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि सफलता के लिए जरूरी है कि हम समय के महत्व को समझें। उन्होंने सफलता के टिप्स देते हुए छात्र-छात्राओं से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। श्री मिश्रा ने छात्र-छात्राओं से कहा कि असफलता से घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि हमें अपनी कमियों का पता लगाकर उसमें निरंतर सुधार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेहनत, लगन तथा धैर्य से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

आलोक मिश्रा ने छात्र-छात्राओं को स्वयं का मूल्यांकन करने तथा सफलता प्राप्त करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इस पर मार्गदर्शन दिया। उन्होंने अपनी बातों को उन कम्पनियों के वास्तविक जीवन के केस अध्ययनों से स्पष्ट किया, जिन्होंने छोटे-छोटे निर्णय लेकर अपने प्रतिस्पर्धियों को पछाड़ कर सफलता हासिल की। ज्ञान साझाकरण सत्र में श्री मिश्रा ने कहा कि विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास में संकाय सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कार्यक्रम का संचालन बी.टेक द्वितीय वर्ष की छात्रा प्राची वशिष्ठ ने किया तथा आभार रविन्द्र जायसवाल ने माना।

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