खेलनहारों की अकर्मण्यता से हर रोज हारते हॉकी खिलाड़ी

अलीगढ़ का महारानी अहिल्याबाई होल्कर स्पोर्ट्स स्टेडियम बना मजाक
खेलपथ संवाद
अलीगढ़।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के महारानी अहिल्याबाई होल्कर स्पोर्ट्स स्टेडियम में एक ही मैदान पर हॉकी, फुटबॉल, एथलेटिक्स, क्रिकेट सहित अन्य खेल होते हैं। हॉकी या अन्य खेलों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। अभ्यास के दौरान खिलाड़ियों को शॉट, हिट या किक से चोट लगने का भय रहता है। इस वजह से वह अपना स्वाभाविक खेल नहीं खेल पाते हैं। इस दिशा में न खेल निदेशालय गम्भीर है न ही स्थानीय खेल अधिकारी।
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की आज जयंती है। हर साल की तरह इस बार भी आयोजन होंगे। लम्बी-चौड़ी बातें होंगी, मगर उन बातों को हकीकत में बदलने के लिए कोई पहल नहीं होगी। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को छोड़ दें तो जिले में हॉकी का एक भी मैदान नहीं है, जहां पर खिलाड़ी अपने खेल को निखार सकें। ऐसा नहीं है कि अलीगढ़ में प्रतिभाओं की कमी है, मगर खेल महकमे की अनदेखी का खामियाजा हॉकी खिलाड़ी भुगत रहे है। यदि उन्हें सुविधाओं के साथ विश्व स्तरीय प्रशिक्षण मिले तो वह भी मेजर ध्यानचंद की तरह दुनिया भर में तिरंगा लहरा सकते हैं।
महारानी अहिल्याबाई होल्कर स्पोर्ट्स स्टेडियम में एक ही मैदान पर हॉकी, फुटबॉल, एथलेटिक्स, क्रिकेट सहित अन्य खेल होते हैं। हॉकी या अन्य खेलों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। अभ्यास के दौरान खिलाड़ियों को शॉट, हिट या किक से चोट लगने का भय रहता है। इस वजह से वह अपना स्वाभाविक खेल नहीं खेल पाते हैं। स्टेडियम में संसाधनों की भी कमी है। खिलाड़ियों का कहना है कि यदि सुविधाएं और अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जाए तो हम भी पदक जीत सकते हैं।
कई खेलों में प्रशिक्षक तक नहीं
अलीगढ़ में शूटिंग, वॉलीबाल, लॉन टेनिस, बास्केटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी, फुटबॉल, हैंडबॉल, ताइक्वांडो के प्रशिक्षक नहीं हैं। हॉकी में 45, मुक्केबाजी में 32, भारोत्तोलन में 30, बैडमिंटन में 70, एथलेटिक्स में 52, कुश्ती में 32 खिलाड़ी पंजीकृत हैं। इन खेलों में प्रशिक्षक नियुक्त हैं।
अलीगढ़ में हॉकी की निजी खेल एकेडमी तक नहीं है, जहां पर खिलाड़ी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें। खिलाड़ियों का कहना है कि क्रिकेट व अन्य खेलों की कई एकेडमियां यहां पर संचालित हो रही हैं। यदि हॉकी की भी एकेडमी खुल जाए तो खिलाड़ियों को लाभ मिलेगा। अलीगढ़ की जहां तक बात है वर्ष 1980 मास्को ओलम्पिक में हॉकी के सेंटर फारवर्ड पद्मश्री जफर इकबाल ने अपने खेल का जलवा दिखाया था और भारतीय हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। वर्ष 1956 में जन्मे जफर इकबाल के पिता प्रोफेसर मोहम्मद शहाबुद्दीन अहमद एएमयू के रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष रहे। 
जफर इकबाल ने एएमयू जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री ली। वर्ष 1980 में उन्होंने मास्को ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए देश के लिए स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 1984 में लॉस एंजिल्स, अमेरिका में ओलम्पिक के उद्घाटन समारोह में पद्मश्री जफर इकबाल भारतीय टीम का तिरंगा लेकर चले थे। वह भारतीय हॉकी टीम के राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। उनके प्रशिक्षण में भारतीय टीम ने वर्ष 1984 में हिरोशिमा में एशियाई खेलों में रजत पदक जीता। एएमयू से जफर इकबाल के बाद कोई ऐसा हॉकी खिलाड़ी नहीं निकला, जिसने अंतरराष्ट्रीय फलक पर नाम कमाया हो।
नए स्टेडियम में नहीं हो रहीं खेलकूद प्रतियोगिताएं
विकासखंड धनीपुर के गांव अलहदादपुर में ढाई करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बने स्पोर्ट्स स्टेडियम में खेलकूद प्रतियोगिता नहीं हो रही हैं। दो-ढाई साल पहले स्टेडियम बनकर तैयार हो गया था लेकिन अभी स्टेडियम में सुविधाएं पूर्ण नहीं हुई हैं। देरी के कारण इसका लाभ खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रहा है। इस बारे में जिला क्रीड़ा अधिकारी, अलीगढ़ राम मिलन कहते हैं कि स्टेडियम में खेल सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। अप्रैल में कई प्रशिक्षकों की खेल निदेशालय से तैनाती की गई है, जो खिलाड़ियों को तराश रहे हैं। 
माध्यमिक विद्यालयों में 5 रुपये क्रीड़ा शुल्क
माध्यमिक विद्यालयों में प्रति छात्र पांच रुपये क्रीड़ा शुल्क लिया जाता है। व्यायाम शिक्षकों का कहना है कि यह राशि काफी कम है, लेकिन हाईस्कूल का परीक्षा शुल्क 400 से 500 रुपये और इंटर का शुल्क 500 रुपये से 600 रुपये हो गया है। मगर क्रीड़ा शुल्क में वृद्धि न होने के कारण खेल सुविधाएं नहीं बढ़ पा रही हैं।
विश्वविद्यालय लेता है 150 रुपये क्रीड़ा शुल्क
राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में क्रीड़ा शुल्क के लिए प्रति छात्र 300 रुपये लिए जाते हैं। इनमें से 150 रुपये विश्वविद्यालय के खाते में जमा होते है, जबकि 150 रुपये महाविद्यालय को मिलते हैं। इसी धनराशि से खिलाड़ियों को खेल सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
अलीगढ़ के ये हैं हॉकी के दिग्गज
जफर इकबाल, मोहम्मद शाहिद, अब्दुल कयूम, फिरोज बख्त खान, अली सईद, अनवार अहमद, असलम शेर खान, अशोक कुमार, डोराई स्वामी, गोविंदा, सैयद अली, इनाम उर रहमान, जोगिंदर सिंह, मसूद मिन्हास से लेकर वाल्मीकि बंधु आदि।

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