प्रगनाननंदा अपनी दम पर शतरंज के बादशाह बने

कोच बोले- वह खुद ही अपने आप को संभालते हैं
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत के रमेशबाबू प्रगनाननंदा ने शतरंज विश्व कप के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया। खिताबी मुकाबले में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी से तीन दिन तक जूझने के बाद भले ही उन्हें टाई ब्रेकर में हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन इससे पहले ही वह बहुत कुछ हासिल कर चुके थे। 18 साल के प्रगनाननंदा ने लाखों नए फैंस बनाए और करोड़ों भारतीयों को यह उम्मीद दी कि आने वाले वर्षों में शतरंज की दुनिया में भारत का राज होगा। 
पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने यहां तक कह दिया कि यह शतरंज में भारत की स्वर्णिम पीढ़ी है। प्रगनाननंदा फाइनल में हार गए और शतरंज विश्व कप जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बनने से चूक गए। अगर वह जीत जाते तो ऐसा करने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय होते। उनसे पहले विश्वनाथन आनंद दो बार विश्व कप जीत चुके हैं।
प्रगनाननंदा एक सामान्य परिवार से आते हैं। उनके पिता पोलियोग्रस्त थे, लेकिन जीवन में कभी हार नहीं मानी। वह बैंक में नौकरी करते थे। बड़ी बहन ने प्रगनाननंदा को टीवी से दूर करने के लिए शतरंज सिखाया और कुछ समय बाद ही प्रगनाननंदा ने अपनी पहली शिक्षक को मात दे दी। इसके बाद वह अपने दम पर ही शतरंज की दुनिया में आगे बढ़ते गए और उनका कद बड़ा होता गया। 
प्रगनाननंदा के पिता पोलियो की वजह से उन्हें लेकर कहीं दूर नहीं जा सकते थे। ऐसे में यह जिम्मेदारी मां पर थी और उन्होंने यह काम बखूबी किया। उनकी मां नागलक्ष्मी हर टूर्नामेंट में उन्हें लेकर जाती थीं। अब 18 साल के प्रगनाननंदा के साथ भी उनकी मां जाती हैं और विदेशों में भी दक्षिण भारतीय खाना बनाकर उन्हें खिलाती हैं। वह छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखती हैं, जिससे उनके बेटे को मैच के लिए तैयारी करने में मदद मिलती है, लेकिन शतरंज की दुनिया में प्रगनाननंदा अपने दम पर ही कमाल कर रहे हैं।
प्रगनाननंदा के कोच आरबी रमेश का कहना है कि वह खुद ही अपने खेल की बारीकियां सही कर रहे हैं। विश्व कप फाइनल से पहले उनके कोच ने बताया था ''वह ज्यादातर समय खुद को संभाल रहे हैं। मैं सिर्फ उनके साथ व्हाट्सएप पर चैट कर रहा हूं। प्रगनानंद रात में नौ घंटे सोना, कोई भी भोजन नहीं छोड़ना, खेल के बाद शाम को टहलना और मैच से चार घंटे पहले तैयारी करना जैसी दिनचर्या का पालन कर रहे हैं।"
शतरंज विश्व कप के दौरान प्रगनाननंदा के कोच उनके साथ नहीं थे, लेकिन वह मैच दर मैच बेहतर होते चले गए। दुनिया के दूसरे और तीसरे नंबर के खिलाड़ी को मात दी। फाइनल में दुनिया के शीर्ष खिलाड़ी से हारे जरूर, लेकिन जब मैच खत्म हुआ तो विश्व चैंपियन उनके लिए ताली बजा रहा था। आने वाले समय में प्रगनाननंदा से कई बड़े खिताब जीतने की उम्मीद है।
चेस की दुनिया में का प्रगनाननंदा सफरः 2014: विश्व अंडर-8 चैम्पियन बने, 2015: विश्व अंडर-10 चैम्पियन बने, 2016: कान्स में पहली बार इंटरनेशनल मास्टर में शामिल हुए और 10 साल 10 महीने की उम्र में दुनिया के सबसे युवा इंटरनेशनल मास्टर बने, 2017: 12 साल की उम्र में नीदरलैंड्स में अपने से काफी बड़े खिलाड़ियों को हराया। आइल ऑफ मैन टूर्नामेंट में 27000 से ज्यादा रेटिंग वाले डेविड हॉवेल को हराया, 2018: 12 साल, 10 महीने और 13 दिन की उम्र में दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंड मास्टर बने, भारत के 52वें ग्रैंड मास्टर बने। पूर्व विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद के साथ पहली बार खेले। 2019: विश्व अंडर-18 चैम्पियन बने, 2022: बोर्ड में पहली बार मैग्नस कार्लसन के खिलाफ खेले। एशियन चैम्पियन बने और 2023 फाइड विश्व कप में जगह पक्की की। 17 साल की उम्र में अर्जुन अवॉर्ड हासिल किया। एयरथिंग्स मास्टर्स ऑनलाइन टूर्नामेंट में कार्लसन को हराया। 2023: टाटा स्टील मास्टर्स में विश्व चैंपियन डिंग लिरेन को हराया। शतरंज विश्व कप में सबसे युवा उपविजेता बने।

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