बाजी पलटने वाला शानदार शातिर प्रगनाननंदा

पिता पोलियो ग्रस्त, बहन से सीखा शतरंज
12 की उम्र में तोड़ा था विश्वनाथन आनंद का रिकॉर्ड
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत के 18 वर्षीय ग्रैंडमास्टर आर प्रगनाननंदा फिडे विश्व कप शतरंज के फाइनल में पहुंच चुके हैं। उन्होंने सेमीफाइनल में दुनिया के तीसरे नम्बर के खिलाड़ी फैबियानो कारुआना को हराया था। अब प्रगनाननंदा की नजर इतिहास रचने पर है। 
वह खिताबी मुकाबले में दुनिया के नम्बर एक खिलाड़ी नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन के खिलाफ उतरेंगे। वह अगर फाइनल जीत लेते हैं तो इस टूर्नामेंट को अपने नाम करने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। दिग्गज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने दो बार ऐसा किया था। आनंद साल 2000 और 2002 में चैम्पियन बने थे।
प्रगनाननंदा की बात करें तो वह 12 साल की उम्र में ही ग्रैंडमास्टर बन गए थे। उनका जन्म 10 अगस्त, 2005 को चेन्नई में हुआ था। वह तीन साल उम्र में ही शतरंज से जुड़ गए थे। प्रगनाननंदा के पिता रमेशबाबू बैंक में काम करते हैं। उन्होंने पोलियो से ग्रसित होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और बच्चों का अच्छे से पालन-पोषण किया। प्रगनाननंदा की बड़ी बहन वैशाली को भी यह खेल पसंद था और उन्हें देखकर ही प्रज्ञानानंद ने शतरंज खेलना शुरू किया।
वैशाली चाहती थीं कि प्रगनाननंदा टीवी में कार्टून कम देखे। इसी वजह से उन्होंने अपने छोटे भाई को शतरंत की चालें सिखा दीं। उस समय उनकी बड़ी बहन को भी यह एहसास नहीं था कि छोटा भाई आगे चलकर शतरंज में कमाल कर देगा। प्रगनाननंदा की सफलता में उनकी मां का बड़ा योगदान है। बचपन से ही शतरंज से जुड़े हर टूर्नामेंट में खेलने के लिए उन्हें लाने और ले जाने की जिम्मेदारी उनकी मां पर थी। वह वैशाली और प्रगनाननंदा दोनों को शतरंज में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थी और हमेशा उनके सपोर्ट में खड़ी रहती थीं।
प्रगनाननंदा के लिए साल 2018 खास रहा। वह महज 12 साल की उम्र में ही ग्रैंडमास्टर बन गए थे। वह भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे। इस मामले में उन्होंने विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ा था। आनंद 18 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने थे। प्रगनाननंदा दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे। उनसे आगे सिर्फ यूक्रेन के सिर्जी कर्जाकिन हैं। वह साल 1990 में सिर्फ 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे। प्रगनाननंदा शतरंज के अलावा क्रिकेट का भी शौक रखते हैं। मौका मिलने पर वो क्रिकेट मैच खेलने भी जाते हैं। हालांकि, शतरंज में करियर बनाने के चलते उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर कोई उपलब्धि नहीं हासिल की है, लेकिन उन्हें क्रिकेट खेलने और मैच देखने का शौक है।

 

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