एशियाई खेलों से पहले नाडा ने लिए 914 सैम्पल

इनमें सबसे अधिक 199 एथलीटी ट्रैक एवं फील्ड के शामिल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
देश को एशियाई खेलों में डोपिंग के अपयश से बचाने के लिए राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने 914 खिलाड़ियों के मूत्र और ब्लड के सैम्पल लिए हैं। इनमें सबसे अधिक 199 एथलीट ट्रैक एवं फील्ड के शामिल हैं।
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने आगामी एशियाई खेलों से पहले जून और जुलाई में विभिन्न खेलों के 900 से ज्यादा खिलाड़ियों के नमूने इकट्ठे किये जिसमें से 199 सिर्फ ट्रैक एवं फील्ड से ही लिए गए। नाडा द्वारा गुरुवार को जारी ताजा डेटा के अनुसार एजेंसी ने एक जून से 31 जुलाई तक कुल 914 नमूने लिए जिसमें से ज्यादातर मूत्र के ही थे, जबकि कुछे रक्त के नमूने थे। एथलेटिक्स के बाद इन दो महीनों में मुक्केबाजी (71), तैराकी (65), भारोत्तोलन (56), साइकिलिंग (55), कबड्डी (52), कुश्ती (46), निशानेबाजी (43) के खिलाड़ियों के नमूने लिए गए।
इनकी संख्या वुशू में 35, तलवारबाजी में 33, कैनोइंग में 32, बैडमिंटन में 24, हॉकी में 23, ट्रायथलॉन में 23, रोइंग में 20, तीरंदाजी में 15, फुटबॉल में 11, जूडो में 11, सॉफ्टबॉल में 10, इलेक्ट्रॉनिक खेलों में आठ, क्लाइंबिंग में सात और क्रिकेट में दो हैं।
देश में ट्रेनिंग करने वाले या घरेलू स्पर्धाओं में हिस्सा लेने वाले ट्रैक एवं फील्ड के लगभग सभी खिलाड़ी इस सूची में शामिल रहे। इनमें मुरली श्रीशंकर, शैली सिंह, एल्धोस पॉल, अब्दुल्ला अबूबाकर, ज्योति याराजी, तेजस्विन शंकर, प्रवीण चित्रावेल तेजिंदरपाल सिंह तूर, अन्नु रानी, पारुल चौधरी, प्रियंका गोस्वामी और अमलान बोरगोहेन शामिल हैं।
डेटा के अनुसार भुवनेश्वर में राष्ट्रीय अंतरराज्यीय एथलेटिक्स चैम्पियनशिप (15 से 19 जून) के दौरान करीब 30 नमूने लिए गये जो 23 सितम्बर से शुरू होने वाले हांगझोउ एशियाई खेलों के लिए चयन ट्रॉयल प्रतियोगिता भी थी। क्रिकेटरों में हार्दिक पंड्या और स्मृति मंधाना ने इन दो महीनों में नमूने दिए। हॉकी में गोलकीपर पीआर श्रीजेश एकमात्र पुरुष खिलाड़ी हैं जबकि बाकी महिला खिलाड़ी हैं। फुटबॉल में 10 पुरुष और एक महिला खिलाड़ी है।
पांच भारतीय जूडोका डोपिंग में पॉजिटिव
चीन में सितम्बर-अक्‍टूबर माह में आयोजित होने वाले एशियाई खेलों के पहले डोपिंग का ‘डंक’ भारतीय जूडो को प्रभावित कर सकता है। जानकारी के अनुसार, ट्रायल के बाद चुने गए जूडोकाओं में से पांच पुरुष खिलाड़ी नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी की ओर से किए गए टेस्‍ट में नाकाम रहे हैं। मजे की बात यह है कि इन जूडाकाओं में से 2 ने ताजिकिस्‍तान में 2 से 4 जून को आयोजित दुशानबे ग्रांप्री में भी शिरकत थी थी। मामले की जानकारी रखने वाले एक कोच ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘ग्रांप्री से पहले भोपाल के स्‍पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया सेंटर में एक छोटा प्री डिपार्चर कैंप आयोजित किया गया था, जहां नाडी की टीम ने रेंडम टेस्‍ट लिया था। सैम्पल लिए जाने के बाद टीम टूर्नामेंट के लिए रवाना हो गई थी। टेस्‍ट में 2 जूडाकाओं की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। हालांकि रिपार्ट आने के पहले ही वे ग्रांप्री में हिस्‍सा ले चुके थे।’
बता दें, इससे पहले, जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोर्ट की ओर से नियुक्‍त प्रशासक ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की संबद्ध इकाइयों को सूचित किया था कि एशियाड के मद्देनजर लम्बी सूची तैयार करने के वास्‍ते जूडोकाओं के चयन के लिए ट्रायल किए जाएंगे। इसके बाद 5 से 8 अप्रैल तक केडीजे इंडोर स्टेडियम, आईजीएस, नई दिल्ली में ट्रायल आयोजित किए गए थे। ट्रायल के लिए जेएफआई सलाहकार समिति के निर्णय के अनुसार चयन मानदंड में संशोधन किया गया था।
इस कोच ने आगे कहा कि प्रत्येक वेट कैटेगरी (7 पुरुष और इतनी ही महिलाएं) से पहले और दूसरे स्थान पर रहने वाले एथलीटों को लम्बी सूची के लिए चुना गया था और नाम भारतीय ओलम्पिक संघ को भेजे गए थे। नाडा ने ट्रायल के दौरान एथलीटों का ‘टेस्‍ट’भी किया था, इस दौरान पहले स्थान पर रहने वाले जूडोका में से एक को डोपिंग को दोषी पाया गया। इसके बाद उसे ताजिकिस्तान प्रतियोगिता के लिए कैंप में शामिल नहीं किया गया। एक और जूडोका,जो दूसरे स्थान पर रहा और भोपाल कैंप में था, को भी पॉजिटिव पाया गया था। एशियाई खेलों में कड़ी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए सभी सात वेट कैटेगरी के जूडोकाओं को आमतौर पर इस आयोजन के लिए नहीं भेजा जाता। भारत ने आखिरी बार एशियाड में करीब तीन दशक पहले मेडल जीता था।
 
 

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