बदहाली पर आंसू बहा रहा मेजर ध्यानचंद स्टेडियम झांसी का बैडमिंटन हॉल

क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी सुरेश बोनकर की कार्यप्रणाली पर उठ रही उंगलियां

खेलपथ संवाद

झांसी। एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार जहां उत्तर प्रदेश को खेलों में उत्तम प्रदेश बनाने की कोशिशें कर रही है तथा लगातार अधोसंरचनाएं भी आबाद की जा रही हैं वहीं दूसरी तरफ विभाग के आलाधिकारियों की अलाली से क्रीड़ांगनों का बुरा हाल है। झांसी के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में स्मार्ट सिटी के तहत आबाद हुआ करोड़ों रुपये का बैडमिंटन हॉल फिलहाल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।

मेजर ध्यानचंद स्टेडियम के नव-निर्मित बैडमिंटन हॉल में बरसात का पानी टपक रहा है लेकिन पिछले लगभग सात साल से यहां पदस्थ क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी सुरेश बोनकर का ध्यान इस तरफ कतई नहीं है। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी खिलाड़ियों की सुध लेने की बजाय प्रशासनिक अधिकारियों को खुश करने में दिलचस्पी लेते देखे जा सकते हैं। वैसे तो बैडमिंटन कोर्ट में शटलर सामान्य तापमान में खेलते हैं लेकिन क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी बोनकर प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति इतने हमदर्द हैं कि पवेलियन की बजाय कोर्ट में ही एसी लगवाने की फिराक में हैं।

बेहतर होता सबसे पहले बैडमिंटन हॉल में टपकते बरसाती पानी को रोका जाता लेकिन साहब तो साहबों को दीवाने हैं। यही वजह है कि स्मार्ट सिटी के पैसे की बर्बादी की जा रही है। देखा जाए तो खेल निदेशालय द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में बैडमिंटन कोर्ट आबाद किए गए हैं। इसकी मुख्य वजह खिलाड़ियों को बेहतर क्रीड़ांगन देना नहीं बल्कि जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को खुश करना है। बैडमिंटन ऐसा खेल है जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों की दिलचस्पी होती है और वे सुबह-शाम अभ्यास करते हैं। साहब को दिक्कत न हो इसकी तरफ विशेष ध्यान दिया जाना इनकी मजबूरी भी कह सकते हैं।

बैडमिंटन हॉल ही नहीं मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में साढ़े तीन करोड़ रुपये से भी अधिक की लागत से बनाए गए प्रदेश के पहले वातानुकूलित आधुनिक जिम्नेजियम हॉल को लेकर भी खेलप्रेमियों में खासा रोष देखा गया था। दरअसल, सात मई, 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी में प्रदेश के पहले वातानुकूलित जिम्नेजियम हॉल का उद्घाटन किया था। लेकिन प्रशिक्षक नहीं होने का हवाला देकर जिम्नास्टिक हॉल को बंद कर ताला जड़ दिया गया था। इसे खिलाड़ियों का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि उत्तर प्रदेश में जहां मुकम्मल क्रीड़ांगन हैं वहां प्रशिक्षक नहीं हैं और जो क्रीड़ांगन बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं उन्हें ठीक करवाने में आलाधिकारियों की दिलचस्पी नहीं है। हर क्रीड़ा अधिकारी और क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों की आवभगत में मस्त है। यही काम झांसी के क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी सुरेश बोनकर पिछले सात साल से कर रहे हैं।

 

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