कोच ने बताया कि यशस्वी कैसे तप कर बने कुंदन

एक ही शॉट का 300 बार अभ्यास करता था यशस्वी
हाथों में पड़ जाते थे छाले; कोच ने किया खुलासा 
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने पहले ही टेस्ट मैच में शतक जड़ने वाले बाएं हाथ के युवा सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल अभ्यास करने से कभी पीछे नहीं हटे हैं और यही उनकी सफलता का राज है। वह एक ही शॉट का 300 बार अभ्यास करते थे और इसके बाद भी उन्हें थकान महसूस नहीं होती थी।
वह आईपीएल की टीम राजस्थान रॉयल्स के लिए भी खेलते हैं और आईपीएल में शानदार प्रदर्शन करके उन्होंने अपनी प्रतिभा दिखाई थी। राजस्थान रॉयल्स के हाई परफार्मेंस निदेशक और मुंबई के पूर्व बल्लेबाज जुबिन भरूचा ने कहा कि जायसवाल महाराष्ट्र के तालेगांव के सुविधा केंद्र में एक ही शॉट का 300 बार अभ्यास करते थे। साथ ही उन्होंने अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए बेसबॉल कोच के साथ भी काम किया था। वह लंबे समय तक बल्लेबाजी करते थे और इससे उनके हाथ में छाले भी पड़ जाते थे। यशस्वी मुंबई से घरेलू क्रिकेट खेलते हैं। आईपीएल के ट्रायल में जायसवाल की प्रतिभा को पढ़ने के बाद भरूचा ने उनके खेल को सुधारने में अहम योगदान दिया है। जायसवाल को अभ्यास के लिए तालेगांव ले जाया गया क्योंकि उनका ध्यान अपने खेल पर ही रहे।
भरुचा ने कहा, ‘तालेगांव नागपुर से 90 मिनट दूर है। हम उन्हें अन्य चीजों से अलग करना चाहते थे ताकि उनके दिमाग में अभ्यास के अलावा कुछ नहीं रहे। यहां तक कि कोविड-19 के दौरान भी वह वहीं थे और अभ्यास कर रहे थे। इस दौरान भी उनकी प्रगति में कोई रुकावट नहीं आई। हमारे पास एक बहुत स्पष्ट योजना थी। चाहे वह 300 कट शॉट हों या 300 रिवर्स स्वीप या 300 पारंपरिक स्वीप, हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हम उस विशेष शॉट के साथ एक निश्चित स्तर की स्थिरता हासिल नहीं कर लेते। 21 साल के जायसवाल भी ऐसा ही करते थे। वह आक्रामक स्ट्रोक खेलने में थोड़ा पिछड़ रहे थे इसलिए हमने बेसबॉल से अभ्यास करने पर ध्यान दिया। हम उन्हें अलग-अलग वजन की गेंद और बल्ले से रोज 100 शॉट मारने के लिए कहते थे। इसमें उसे अपने शॉट को 100 मीटर दूर मारने का लक्ष्य देते थे।’
शून्य से शुरू हुआ सफर 
भरूचा जब जायसवाल से मिले थे तब उनकी उम्र सिर्फ 18 साल थी। उन्होंने कहा, ‘एक कहावत है कि चैंपियन बनाने के लिए एक गांव की जरूरत होती है। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने यशस्वी की अब तक की यात्रा में योगदान दिया है। वह निश्चित रूप से जानते हैं कि वह कहां से आए हैं। वह इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि उनका सफर शून्य से शुरू हुआ है।’

रिलेटेड पोस्ट्स