यौन शोषण मामले में बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट दाखिल

नाबालिग पहलवान मामले में केस बंद करने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
पहलवान और कुश्ती बृजभूषण शरण सिंह के सामने हारते दिख रहे हैं। नाबालिग पहलवान मामले में दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में करीब 550 पन्नों की क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है। इसमें भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर लगे पॉक्सो एक्ट हटाने की सिफारिश की है। सुनवाई की अगली तारीख चार जुलाई तय हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि इसके पीछे क्या कारण है? बाकी पहलवानों के आरोपों पर क्या हुआ?
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि पॉक्सो मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिला। पॉक्सो मामले में जांच पूरी होने के बाद शिकायतकर्ता यानी पीड़िता के पिता और स्वयं पीड़िता के बयानों के आधार पर कोर्ट में मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। इसी को लेकर धारा 173- सीआरपीसी के तहत एक पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत की है। दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा ने बताया कि पहलवानों द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में जांच पूरी होने के बाद हमने आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 354ए, 354डी के तहत और आरोपी विनोद तोमर के खिलाफ आईपीसी की धारा 109/354/354ए/506 के तहत आरोप पत्र दायर किया है। 
पॉक्सो के मामले का क्या हुआ? 
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय का कहना है कि इस मामले में सात महिला पहलवानों ने 21 अप्रैल को दिल्ली पुलिस में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे। पहला मामला छह बालिग महिला पहलवानों की शिकायत पर था, जबकि दूसरा मामला नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न पर दर्ज हुआ था। इस मामले में पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।'
चंद्र प्रकाश कहते हैं, 'दिल्ली पुलिस ने पॉक्सो एक्ट हटाने की सिफारिश की है। ऐसा इसलिए क्योंकि नाबालिग पहलवान ने अपना बयान बदल दिया और यौन उत्पीड़न की जगह भेदभाव का आरोप लगाया। इसके अलावा पहलवान के नाबालिग होने पर भी सवाल खड़े हुए थे। जिस पर उसने सफाई दी कि वह गुस्से और डिप्रेशन में थी। इसलिए उसने यौन उत्पीड़न का आरोप लगा दिया।'
चंद्र प्रकाश पांडेय कहते हैं, 'अब आईपीसी की धारा 354, 354ए, 354डी के तहत मामला चलेगा। इन मामलों में दोनों तरफ से साक्ष्य प्रस्तुत होंगे। अगर बृजभूषण आईपीसी की धारा 354 के तहत दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें कम से कम एक साल और अधिक से अधिक पांच साल तक की सजा हो सकती है। ये एक गैरजमानती धारा है। इसी तरह आईपीसी की धारा 354-ए के तहत अगर दोषी मिलते हैं तो इसमें उप धारा (1) के खंड (i), खंड (ii) या खंड (iii) के तहत कठोर जुर्माने की सजा का प्रावधान है। ऐसी परिस्थिति में आईपीसी की धारा 354 में मिली सजा को तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। जुर्माने का भी प्रावधान है। ये अपराध जमानती है।' पांडेय आगे बताते हैं कि अगर बृजभूषण आईपीसी की धारा 354डी के तहत दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें एक साल की सजा मिल सकती है। ये सजा तीन साल तक के लिए बढ़ाई भी जा सकती है। कठोर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।  
अब तक क्या-क्या हुआ?
18 जनवरी को पहली बार पहलवान बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे। 23 अप्रैल को दूसरी बार धरना शुरू किया। इस दौरान पहलवानों ने मौसम की मार झेली, पुलिस के साथ झड़प हुई। पहलवानों के खिलाफ एफआईआर भी हुई, लेकिन विरोध प्रदर्शन जारी रहा।  पहलवानों और गृहमंत्री अमित शाह के बीच मुलाकात के बाद कहानी बदल गई और पहलवान अपनी नौकरियों पर पर लौट गए। सात जून को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को मुलाकात के लिए बुलाया। इस दौरान पहलवानों ने अपनी मांगें रखीं और सरकार ने उन्हें तय समय में पूरा करने का वादा किया। इसके बाद पहलवानों ने कहा कि उनका आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। सरकार ने वादा नहीं निभाया तो हम फिर से प्रदर्शन करेंगे। अब दिल्ली पुलिस ने मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है।

 

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