जूनियर एशिया कप में सोन परियां बन लौटीं हॉकी बेटियां

गोल दागने में हरियाणा की छोरियों का रहा जलवा 
अन्नू को टॉप गोल स्कोरर का अवॉर्ड मिला
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
पहली बार जूनियर एशिया कप जीतने वाली भारतीय हॉकी बेटियां अपने वतन लौट आई हैं। हॉकी बेटियों का जोरदार स्वागत हुआ और सबने अपने-अपने अनुभव बताए। इस टीम की कप्तान प्रीति हरियाणा की हैं जिन्होंने उधार की किट से पुश्तैनी हॉकी में महारत हासिल की। भारतीय टीम की इस ऐतिहासिक सफलता में अन्नू का बहुत बड़ा योगदान है, वह टूर्नामेंट की टॉप स्कोरर रही।
हॉकी और हॉकी। यह कहानी है महिला हॉकी जूनियर टीम इंडिया की कप्तान प्रीति की। अपने जुनून को हौसलों के ऐसे पंख दिए कि दुश्वारियां टिक ही नहीं पाईं। उस वक्त तमाम विषम परिस्थितियों के बीच 9 साल की बच्ची ने हॉकी स्टिक थामकर देश के लिए खेलने का सपना पाल लिया था। बात करीब 11 साल पहले की है। बड़े सपने संजोए उधार के जूते और ट्रैक सूट पहन कर मैदान में उतरी थी मगर उस वक्त उसके साथ प्रैक्टिस करने वाली सहेलियों व परिवार ने कभी नहीं सोचा होगा कि यही बच्ची एक दिन हॉकी में देश का नाम रोशन करेगी। मंगलवार को भारत पहुंचने पर टीम इंडिया का जोरदार स्वागत किया गया। बता दें कि इस टूर्नामेंट में भी गोल दागने वालों में हरियाणा की छोरियां छाई रहीं।
गौर हो कि प्रीति की सूझबूझ भरी कप्तानी में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहली बार महिला जूनियर हॉकी एशिया कप-2023 अपने नाम कर लिया। बात करीब 11 साल पहले की है। प्रीति की गली की कई लड़कियां सोनीपत के औद्योगिक क्षेत्र स्थित भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच की अकादमी में हॉकी का ककहरा सीखने जाती थीं। प्रीति के मन में भी हॉकी प्रेम हिलोरें मारने लगा। माता सुदेश और पिता शमशेर ने साफ कह दिया कि घर के ऐसे हालात में क्या कर पाओगी। हिम्मत कर प्रीति ने अपने माता-पिता के सामने हॉकी खेलने की जिद की। आखिरकार घर वालों ने हामी भर दी। हालांकि इस दौरान आर्थिक संकट उसकी राह में रोड़े अटकाता रहा। 
अभ्यास के कुछ दिन बाद कोच प्रीतम सिवाच ने जब प्रीति को खेल मैदान में ओवरसाइज ट्रैक सूट और जूतों को बार-बार संभालते देखा तो पूछ बैठी कि आखिर माजरा क्या है। प्रीति ने उधारी वाली बात बताई तो प्रीतम ने फल, दूध, जूते, ट्रैक सूट और हॉकी स्टिक का इंतजाम कर दिया। फिर प्रीति ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अब माता-पिता को स्मार्ट फोन दिलाएंगी अन्नू
किसान परिवार की बेटी अन्नू भी इस प्रतियोगिता में छा गयीं। रोजखेड़ा गांव की अन्नू ने डबल हैटट्रिक की। जींद जिले के सबसे छोटे से गांव रोज खेड़ा की अन्नू को टॉप गोल स्कोरर का अवॉर्ड मिला। अन्नू के परिवार के लोग उसे रेसलर बनाना चाहते थे, लेकिन उसने हॉकी स्टिक थामी और नए रिकॉर्ड अपने नाम किए। बचपन से परिवार के बलिदान और संघर्ष देखती आई अन्नू ने जूनियर महिला एशिया कप में जब दनादन गोल दागे तो उसे यही मलाल रह गया कि भूखे सोकर भी उसके सपने पूरे करने वाले उसके माता-पिता उसे इतिहास रचते नहीं देख सके। कारण था घर में स्मार्ट फोन का नहीं होना। किसी चैनल पर तो इसे दिखाया ही नहीं जा रहा था। अब अन्नू का कहना है कि वह सबसे पहले घर वालों को स्मार्ट फोन दिलाएगी। अन्नू के पिता राजपाल, मां बिमला ने बताया कि अन्नू का तीसरी कक्षा में ही प्ले फॉर इंडिया के जरिए चयन हुआ। लगातार उपलब्धियों को छूते हुए पहले हरियाणा जूनियर की कप्तान बनी, उसके बाद तीन नेशनल खेले और अब राष्ट्रीय जूनियर हॉकी टीम में अन्नू खेल रही है।
रानी रामपाल की सीख से चमकीं नीलम
खुद पर विश्वास करो। भारत की पूर्व कप्तान रानी रामपाल के इन शब्दों का युवा ड्रैग फ्लिकर नीलम पंघाल पर गहरा प्रभाव पड़ा, जो रविवार को जापान में कोरिया के खिलाफ जूनियर एशिया कप हॉकी के फाइनल में विजयी गोल दागकर टीम की स्टार बनकर उभरीं। हरियाणा के हिसार जिले की 19 साल की नीलम ने मंगलवार को कहा, ‘जब भी उन्होंने (रानी) कोई सत्र आयोजित किया, तो हमें खुद पर विश्वास करने के लिए कहा और इससे मुझे प्रेरणा मिली।’ 
जब मैं छोटी थी और पेनल्टी कॉर्नर लेना शुरू किया तो स्टिक को ड्रैग करती थी, लेकिन रानी दीदी को देखकर हिट लेना शुरू कर दिया। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। नीलम बताती हैं, ‘साल 2014 में हिसार में भारतीय खेल प्राधिकरण के छात्रावास में प्रवेश लिया और आजाद सिंह मलिक सर के मार्गदर्शन में अपने कौशल को निखारा।’ जूनियर एशिया कप के दौरान पेनल्टी कॉर्नर से पांच गोल करने वाली नीलम ने कहा, ‘मैंने अपना पहला सब जूनियर टूर्नामेंट 2016 में खेला था और तब से मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।’ इस प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की मुमताज का खेल भी सराहनीय रहा।

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