नॉन ओलम्पिक खेलों के खिलाड़ियों को भी मिले समान अधिकारः नोसा इंडिया

खेल मंत्रालय द्वारा खेल संघों को पांच साल में 1575 करोड़ रुपये की मदद 
खेलपथ संवाद
जयपुर।
आजकल देखा जाता है, जो खेल ओलम्पिक का हिस्सा हैं उन खेलों के खिलाड़ियों को पैसा व रोजगार व यश सभी मिल जाता है लेकिन नॉन ओलम्पिक खेलों के खिलाड़ियों पर ध्यान नहीं दिया जाता। जो खेल ओलम्पिक में नहीं हैं क्या उनका वजूद नहीं है। जबकि खेल मंत्रालय द्वारा खेल संघों को पांच साल में 1575 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देने की बात कही जा रही है। 
अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय व प्रदेश ओलम्पिक संघ सभी सोसाइटी, ट्रस्ट व अन्य एक्ट में पंजीकृत हैं। ये सभी सरकारी नहीं हैं और न इन्हें सरकार द्वारा सैलरी मिलती है। जैसे सरकार ओलम्पिक खेलों के लिए सहयोग करती है ठीक वैसे ही नॉन ओलम्पिक खेलों को भी सरकार द्वारा मदद दी जानी चाहिए। 
सभी खेल ओलम्पिक खेलों में शामिल नही हो सकते। नॉन ओलम्पिक खेलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय नॉन ओलम्पिक खेल परिषद एवं भारत में नॉन ओलम्पिक स्पोर्ट्स एसोसिएशन का गठन किया गया है। नोसा इंडिया के संस्थापक ए.कुमार ने बताया नॉन ओलम्पिक स्पोर्ट्स एसोसिएशन का उद्देश्य सिर्फ नॉन ओलम्पिक खेलों के लिए मंच के साथ-साथ खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाएं दिलाना भी है। 
नोसा इंडिया के विधिक सलाहकार एडवोकेट धर्मेन्द्र सिंह ने कहा कि क्या नॉन ओलम्पिक खेलों व उनके खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का अधिकार नहीं है। देखने में आता है देश में ओलम्पिक खेलों को सम्मान है पर नॉन ओलम्पिक खेलों के खिलाड़ियों को नहीं इसलिए नॉन ओलम्पिक स्पोर्ट्स एसोसिएशन खेल मंत्री भारत सरकार से आग्रह करती है कि  खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एनएसपीओ वर्ग में नॉन ओलम्पिक स्पोर्ट्स एसोसिएशन नोसा इंडिया को भी मान्यता प्रदान करे तथा नॉन ओलम्पिक खेलों के खिलाड़ियों को भी मान सम्मान मिले।

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