खिलाड़ियों को टेंशन लेना नहीं, देना हैः अनुराग ठाकुर

वर्तमान सरकार ने खेल बजट तीन गुना बढ़ाया
प्रधानमंत्री मोदी स्वयं खेल को बहुत अधिक प्राथमिकता देते हैं
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि 'टेंशन लेना नहीं, टेंशन देना है।' उनके इस बयान के बाद एक बार तो लोग एक दूसरे की ओर देखते रह गए, लेकिन तुरंत ही खेल मंत्री ने कहा कि उनका आशय यह है कि देश के खिलाड़ी बिना कोई तनाव लिए खूब अच्छी तरह खेलें और देश के लिए ज्यादा से ज्यादा मेडल जीतें। उन्होंने कहा कि हमारे खिलाड़ी दबाव मुक्त होकर अपना खेल खेल सकें, इसके लिए केंद्र सरकार के स्तर पर विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।
स्पेशल ओलंपिक भारत के विशेष खिलाड़ियों को बर्लिन ओलम्पिक के लिए रवाना करने के लिए आयोजित सेंड ऑफ सेरेमनी को सम्बोधित करते हुए खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि वर्तमान सरकार ने खेल का बजट तीन गुना कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं खेल को बहुत अधिक प्राथमिकता देते हैं और यही कारण है कि देश खेल के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। 
ठाकुर ने कहा कि पहले खिलाड़ियों को बहुत दबाव झेलना पड़ता था, लेकिन सरकार ने इनकी समस्याओं को दूर कर इन्हें दबाव मुक्त किया है। इससे खिलाड़ी दबाव मुक्त होकर खेल रहे हैं और खूब मेडल जीतें। इस ओलंपिक के लिए सरकार ने सात करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब विकलांग शब्द के लिए 'दिव्यांग' शब्द का प्रयोग करने की सलाह दी थी, तो यह केवल एक शब्द का परिवर्तन नहीं था, बल्कि यह एक सोच और मानसिकता का बदलाव था, जिसका उद्देश्य दिव्यांग लोगों को भी समाज में सम्मान और अधिकार दिलाना है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की उसी सोच का परिणाम दिखाई पड़ रहा है कि दिव्यांग खिलाड़ियों को भी आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने का अवसर दिया जा रहा है।
स्पेशल ओलम्पिक भारत की चैयरपर्सन मल्लिका नड्डा ने कहा कि बर्लिन में आयोजित हो रहे इस खेल महाकुंभ में देश के 198 स्पेशल खिलाड़ी भाग लेंगे। 23 राज्यों से आये इन खिलाड़ियों को 58 विशेष कोच का मारदर्शन प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि इस खेल उत्सव का सबसे बड़ा उद्देश्य 'सबको हिस्सेदारी और किसी को इनकार नहीं' के सिद्धांत को आगे बढ़ाना है, जो यह बताता है कि ये स्पेशल बच्चे भी समाज में उसी सम्मान और प्यार के अधिकारी हैं जो समाज के किसी अन्य व्यक्ति को प्राप्त होता है। उन्होंने समाज के उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया जो इन स्पेशल बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।

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