रोहित कुमार ने 10,000 मीटर रेस में जीती चांदी

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 में हर रोज़ ऐसी प्रतिभाएं सामने आ रही हैं जो अपने कड़े संघर्षों के दम पर सफलता का परचम लहरा रहे हैं। उन्हीं एथलीटों में से एक नाम है रोहित कुमार का, जो अपनी मां के निधन के बाद पूरी तरह से टूट गया था लेकिन उसने कड़ा संघर्ष किया और आज खेल में एक अहम मुक़ाम हासिल कर लिया। 
रोहित कुमार ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में जारी खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 में आज से शुरू हुई एथलेटिक्स प्रतियोगिता की 10000 मीटर रेस में रजत पदक अपने नाम किया है। पदक जीतने के बाद रोहित ने कहा, “मुझे अफ़सोस है कि मेरी मां ने जो सपना मेरे लिए देखा था उसे वह अपने जीवन में पूरा होते नहीं देख सकीं।”
रोहित आगे कहते हैं, “मां के निधन के बाद मेरा आत्मविश्वास लड़खड़ा गया था। लेकिन मेरे पिता ने मुझे समझाया और कहा कि तुम्हें फिर से हिम्मत जुटानी होगी और अपनी मां के अधूरे सपनों को पूरा करना होगा।”
दरअसल रोहित कुमार की निजी जिंदगी काफ़ी उतार-चढ़ाव भरी रही है। उन्होंने जब खेलना शुरू किया था तो ये नहीं सोचा था कि वह एथलेटिक्स में कितना लम्बा सफ़र तय कर सकेंगे। लेकिन, परिवार के समर्थन की बदौलत उन्होंने ट्रैक पर सफलता का परचम लहराया है। युवा एथलीट के जीवन में वह पल बहुत मार्मिक था जब मार्च 2023 में उनकी मां सरोज का निधन हुआ और वह अंदर तक टूट चुके थे। लेकिन उनके पिता राधेश्याम ने उनका हौसला बढ़ाया, जोकि एक रिटायर्ड फौजी हैं। 
पिता के समझाने और हौसलाआफ़जाई से प्रेरित होकर उन्होंने मां के निधन के मात्र दस दिन बाद इसी साल चेन्नई में आयोजित ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी गेम्स की 10,000 मीटर रेस स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया। रोहित कुमार ने पिछले वर्ष आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के दूसरे संस्करण में 5000 मीटर की रेस में कांस्य पदक अपने नाम किया था। वह 10000 मीटर और 5000 मीटर रेस का अभ्यास करते हैं। 
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 के अंतर्गत इस बार लखनऊ में हुई एथलेटिक्स में उन्होंने 10000 मीटर रेस स्पर्धा में हिस्सा लिया और 30:55.94 मिनट के समय के साथ रजत पदक पर कब्ज़ा किया। 22 वर्षीय रोहित कुमार दिल्ली के रहने वाले हैं लेकिन गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर से बीपीएड का कोर्स कर रहे हैं। रोहित कुमार का पारिवारिक खर्चा उनके 55 वर्षीय पिता को आर्मी से मिलने वाली पेंशन से चलता है। इसी वजह से रोहित चाहते हैं कि वह एथलेटिक्स में अपनी एक अलग पहचान बनाएं, ताकि उन्हें जल्द-से-जल्द खेल कोटे के तहत एक नौकरी मिल सके जिससे उनके परिवार की स्थिति में सुधार होगा। रोहित कहते हैं कि नौकरी मिलने से न सिर्फ मैं अपने परिवार की मदद करने में सक्षम हो जाऊंगा, बल्कि अपनी ट्रेनिंग पर होने वाले खर्च को भी आसानी से पूरा कर सकूंगा।
रोहित कुमार ने हाल ही में रांची में आयोजित सीनियर फ़ेडरेशन कप एथलेटिक्स प्रतियोगिता की 10000 मीटर रेस में कांस्य पदक जीता था। इसके साथ ही उन्होंने एशियाई खेल और एशियाई चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफ़ाइंग मार्क को भी पार कर लिया है। उन्हें उम्मीद है कि जब इन दोनों टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम की घोषणा होगी तो उन्हें भी टीम में जगह मिलेगी। रोहित ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन यूनिवर्सिटी से निकलने वाले खिलाड़ियों को अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिखाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान कर रहा है।

रिलेटेड पोस्ट्स