कैंसर से जंग लड़ रही पॉवर लिफ्टर हश्मीत कौर

इलाज के लिए रुपये नहीं, स्टेट मेडलिस्ट बेटे को सरकार से आस
खेलपथ संवाद
धमतरी।
हमारी सरकारें खिलाड़ियों के प्रोत्साहन का कितना ही दम्भ क्यों न भरती हों लेकिन सच्चाई यह है कि सुविधाएं खिलाड़ियों से बहुत दूर हैं। छत्तीसगढ़ की पॉवर लिफ्टर हश्मीत कौर की स्थिति देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कैंसर से जूझ रहीं हश्मीत कौर नेशनल पॉवर लिफ्टिंग में 13 मेडल जीत चुकी हैं और करीब 36 से युवतियों को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया है।
हश्मीत कौर इस समय खुद कैंसर से जंग लड़ रही हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हश्मीत कौर को ब्रेस्ट कैंसर है। वह सेकेंड स्टेज पर हैं और जिंदगी-मौत के बीच संघर्ष जारी है। उनके पास इलाज के लिए रुपये तक नहीं बचे हैं। हश्मीत के 11वीं में पढ़ने वाले स्टेट मेडलिस्ट बेटे हर्षदीप सिंह कहते हैं कि सारी जमा-पूंजी मां के इलाज में खर्च हो चुकी है, लेकिन उन्हें ठीक नहीं कर सके। अब सरकार से ही उम्मीदें हैं। 
धमतरी के वार्ड 12 में रहने वाली हश्मीत कौर अब तक 13 मेडल जीत चुकी हैं। इसमें पांच गोल्ड भी शामिल हैं। उन्होंने युवतियों को निःशुल्क कोचिंग देकर नेशनल स्तर तक पहुंचाने का हरसंभव काम किया है। उनकी बदौलत कई खिलाड़ी नेशनल में खेल भी रहे हैं। आगे बढ़ने के लिए सबका मनोबल बढ़ाने में माहिर हश्मीत कौर खुद कैंसर से इस लड़ाई को हार रही हैं। इस खेल में न जाने उन्हें कब सफलता मिलेगी। ऐसे में उनके बेटे हर्षदीप ने प्रदेश सरकार के अलावा आम जनता से भी सहयोग राशि की अपील की है।
तीन बार मिला नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड
हश्मीत कौर 2015 में महिला कोच बनीं और 2017 से लगातार खेल रही हैं। पहले साल स्टेट लेवल पर गोल्ड मिला, फिर कोलकाता में नेशनल मेडल। इसके बाद लगातार छह साल से नेशनल में पांच गोल्ड, सात सिल्वर, एक ब्रांज मेडल लेकर आईं। इन्हें तीन बार नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड भी मिल चुका है। नेशनल खेल में रेफरीशिप अच्छे से निभाई है। ऐसे में उनकी जिंदगी को बचाने में मिली सहायता, ठीक होने के बाद और युवतियों के भी आगे का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। इनके मार्गदर्शन में खिलाड़ियों को मंजिल मिलती है, तो खुद खेल कर देश में प्रदेश का मान बढ़ाती हैं। 
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लगाई सहयोग की गुहार
पुत्र हर्षदीप सिंह अपनी मां के हालत को देखकर बहुत चिंतित है। वह उन्हें हरसंभव इलाज देकर ठीक करना चाहता है। लेकिन आगे के इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। वह इधर-उधर जहां भी पैसे दिखे जा चुके हैं, अब कुछ नहीं रहा। उन्हें पूरा विश्वास है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इनकी मां के इलाज पर हर संभव प्रयास करेंगे। और उन्हें बड़े से बड़े अस्पताल उपचार के लिए भेजकर ठीक कराएंगे। उन्होंने क्षेत्रीय विधायक से मां के इलाज के लिए सहयोग मांगा है।

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