हाईकोर्ट के फैसले से टूटी होनहार मुक्केबाज बेटियों की उम्मीद

रिजर्व खिलाड़ियों की सूची में रखे नाम, 6 सप्ताह में मांगा हलफनामा
खेलपथ संवाद
रोहतक।
हरियाणा की तीन होनहार मुक्केबाज बेटियों व बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के बीच चल रहे विवाद में मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने चयनित उम्मीदवारों को खेल में शामिल करने की अनुमति देने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट की शरण में गई तीनों बॉक्सर रिजर्व कैटेगरी में रखी गई हैं। किसी खिलाड़ी के न खेलने की स्थिति में यह खेल पाएंगी।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि खिलाड़ियों के पदकों की संख्या और मूल्यांकन प्रपत्रों को देखते हुए, खेल आयोजन में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुने गए मुक्केबाजों की सूची में हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और याचिकाकर्ता चैम्पियनशिप की आरक्षित सूची में बनी रहेंगी। 
“अदालत ने नोटिस किया है कि एक रिट याचिका में हस्तक्षेप की गुंजाइश सीमित है। मूल्यांकन फॉर्म का अदालत द्वारा अवलोकन किया गया है और साथ ही पदक तालिका भी। वर्तमान में अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप का मामला नहीं है। जिस टीम का चयन किया गया है उसे अनुमति दी गई है। न्यायाधीश ने कहा- आगे बढ़ो और भारत का प्रतिनिधित्व करो।” 
इससे पहले, याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि 2018 से 2022 के दौरान, याचिकाकर्ताओं का प्रदर्शन चयनित खिलाड़ियों की तुलना में बेहतर था, जिनके पास शायद ही कोई पदक था। मंगलवार को बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का दावा भ्रामक है क्योंकि चयनित खिलाड़ियों ने हाल की प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व किया और पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीते। अदालत ने बीएफआई द्वारा तैयार की गई पदक तालिका का अवलोकन किया और याचिकाकर्ताओं को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा, “मैंने चार्ट देखा है। वे (चयनित खिलाड़ी) समान रूप से सक्षम हैं।” याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि चयन प्रक्रिया में खिलाड़ियों का मूल्यांकन करने वाले कोचों में से एक निश्चित अवधि के लिए शिविर के दौरान मौजूद नहीं था। अदालत ने बीएफआई को उस याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया जिसमें खिलाड़ियों के निष्पक्ष चयन के लिए एक समिति के गठन की प्रार्थना की गई है।

याचिकाकर्ताओं ने इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि चयन अतीत में सराहनीय प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया था कि उन्होंने उन सभी को हरा दिया है, जिनका चयन दिसम्बर 2022 में भोपाल में हुई राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में हुआ था। बीएफआई ने पहले कहा था कि स्वर्ण पदक जीतना केवल क्वालीफाइंग मानदंडों में से एक था और खिलाड़ियों का राष्ट्रीय शिविर में मूल्यांकन राष्ट्रीय शिविरों और विश्व चैम्पियनशिप 2023 के चयन मानदंडों के आधार पर किया गया था।
बीएफआई के अनुसार, पुरुषों और महिलाओं की विश्व चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों के लिए नई चयन नीति का पालन करते हुए राष्ट्रीय टीम चुनी गई और मंजू (48 किलोग्राम), शिक्षा (54 किलोग्राम) और पूनम (60 किलोग्राम) इसमें जगह नहीं बना सकीं। नई नीति के अनुसार, उच्च प्रदर्शन निदेशक (एचपीडी) बर्नार्ड डन के परामर्श से तैयार की गई, मुक्केबाजों को तीन सप्ताह के लिए एक मूल्यांकन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जहां उन्हें विभिन्न मापदंडों पर आंका गया। 12 राष्ट्रीय चैम्पियनों में से नौ को स्थान दिया गया और उन्होंने मार्की इवेंट के लिए क्वालीफाई किया।
राष्ट्रमंडल खेलों की चैम्पियन नीतू घनगस (634), प्रीति (623) और राष्ट्रमंडल खेलों की कांस्य पदक विजेता जैसमीन लम्बोरिया (612), मूल्यांकन परीक्षा में याचिकाकर्ता मंजू (564), शिक्षा (573) और पूनम (567) से आगे रहीं। पिछले हफ्ते कोर्ट ने याचिकाकर्ता खिलाड़ियों को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि इस बीच अगर आरक्षित श्रेणी का खिलाड़ी रखा जा रहा है तो उसके लिए याचिकाकर्ताओं के नामों पर विचार किया जाना चाहिए।
एडवोकेट संदीप लांबा ने बताया कि याचिकाकर्ताओं को आरक्षित उम्मीदवार के रूप में रखने के लिए कहा। साथ ही 6 सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने के निर्देश भी दिए। वहीं अब 9 मई को सुनवाई होगी। जिसमें कोर्ट ने पक्षकारों को बुलाया है। साथ ही जवाब भी मांगा गया है। कोच विजय हुड्‌डा ने बताया कि हरियाणा की तीनों बॉक्सर खिलाड़ियों को हाईकोर्ट से अंतिम उम्मीद थी ताकि वे वर्ल्ड चैम्पियनशिप में खेल पाएं। लेकिन अब यह उम्मीद भी खत्म हो गई है। इन्हें केवल रिजर्व श्रेणी में रखा गया है। ऐसे में अगर कोई खिलाड़ी उपस्थित नहीं होता है तो इन खिलाड़ियों को मौका मिल सकता है, अन्यथा नहीं।
बता दें कि 15 मार्च यानी बुधवार से वर्ल्ड चैम्पियनशिप का आगाज होगा जो 26 मार्च तक चलेगी। दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 12 दिनों तक विभिन्न देशों के बॉक्सर अपने पंच का दम दिखाएंगे। गौरतलब है कि बीएफआई द्वारा वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप के लिए भारतीय टीम की घोषणा की गई थी। इस टीम में देशभर की 12 महिला बॉक्सरों की टीम का चयन किया गया था। जिनमें से 8 खिलाड़ी हरियाणा की रहने वाली थी। वहीं 5 खिलाड़ी अकेले मिनी क्यूबा के नाम से प्रसिद्ध भिवानी जिले से हैं जो महिला विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता में खेलेंगी।
हरियाणा के रोहतक के गांव रिठाल फोगाट निवासी मंजू रानी, गांव रिठाल नरवाल निवासी शिक्षा व हिसार निवासी पूनम ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि टीम चयन के दौरान भ्रष्टाचार व धांधली हुई है। जिसके कारण उनका नाम वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए चयनित टीम में नहीं है।
48 किलोग्राम भार वर्ग की बॉक्सर मंजू रानी ने कहा कि वह भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय चैम्पियनशिप 2022 में स्वर्ण पदक विजेता हैं। उसे पहली रैंक से हटाकर दूसरे नंबर पर डाल दिया। जिस बॉक्सर को नंबर एक पर स्थान दिया है, वह केवल हरियाणा स्टेट में खेली और कोई मेडल भी नहीं ले सकी। जिसका कैंप में तीसरे नंबर पर नाम था। उसे वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में खिलाया जा रहा है।
11 नेशनल मेडलिस्ट में से 9 को चुना केवल 2 को छोड़ा
हिसार निवासी बॉक्सर पूनम पूनिया ने कहा कि नेशनल में गोल्ड मेडल जीतने वाली 11 अन्य बॉक्सरों में से 9 को वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए चुना है। इंडिया के लिए टॉप परफॉर्मेंस देने के बाद भी देश के लिए नहीं खेल रही हैं। पिछले कुछ सालों में देश के टॉप खिलाड़ी कोर्ट गए हैं। देश में कुछ खेल संघ को कोर्ट द्वारा निलंबित भी किया गया।
शिक्षा नरवाल ने 20-26 दिसंबर 2022 में आयोजित सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। वहीं मई 2022 में तूर्किये में आयोजित महिला वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लिया, 2021 में हिसार में आयोजित सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, साउथ एशियन गेम में सिल्वर मेडल जीता। इसके अलावा अन्य प्रतियोगिताओं में भी मेडल अपने नाम कर चुकी हैं, लेकिन उनको भी टीम में जगह नहीं दी।

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