मुकदमों के दबाव से भारतीय ओलम्पिक संघ हलाकान

74 मुकदमों पर खर्च हुए 4.23 करोड़, होगा दोबारा ऑडिट
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
देश में खेलों की सर्वोच्च संस्था भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) खेलों से ज्यादा मुकदमेबाजियों में उलझा हुआ है। 2019-20 और 2020-21 में आईओए में कानूनी लड़ाई पर चार करोड़ 23 लाख रुपये की भारी-भरकम राशि खर्च की गई है, जबकि इन दो सालों में आईओए का कुल खर्च 27.40 करोड़ रुपये रहा। अध्यक्ष पीटी उषा की अगुवाई में शनिवार को हुई आमसभा में पूर्व अध्यक्ष नरेंदर बत्रा और महासचिव राजीव मेहता के पिछले दो साल के कार्यकाल के इस खर्च को पास कर दिया गया। हालांकि आमसभा ने इस खर्च का दोबारा ऑडिट कराने का फैसला लिया है। साथ ही इसमें गड़बड़ी निकलने पर इसकी जिम्मेदारी पुराने आईओए की होगी। वहीं आमसभा में खर्च की फॉरेंसिक ऑडिट कराने की भी मांग उठी।
आईओए का प्रमुख काम राष्ट्रीय खेल का आयोजन कराना, राष्ट्रीय खेल संघों और राज्य ओलंपिक संघों की आर्थिक मदद करना, ओलंपिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों के लिए टीमें भेजना है, लेकिन आईओए जबरदस्त रूप से मुकदमेंबाजी में उलझी है। एक अनुमान के मुताबिक आईओए इस वक्त ढाई सौ से अधिक केस में उलझी है। 4.23 करोड़ रुपये की राशि तब खर्च की गई जब उस पर सिर्फ 74 केस चल रहे थे। आमसभा में फैसला लिया गया कि इन केसों का निपटारा जल्द से जल्द कर इनकी संख्या कम करना है।
आमसभा में आईओए की ओर से खेल मंत्रालय के अधिकारियों को बतौर पर्यवेक्षक आमंत्रित किया गया। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के चार्टर के अनुसार उसके सदस्यों की कार्यप्रणाली में सरकार का हस्तक्षेप वर्जित है। अमूमन आईओए की आमसभा में बाहरी व्यक्ति नहीं शामिल होते हैं। इसमें सिर्फ उसके सदस्य ही बैठते हैं। आमसभा में आईओए का 44 करोड़ रुपये का बजट पास हुआ है, जिसमें 31.40 करोड़ रुपये का खर्च है। वहीं 31 राज्य ओलंपिक संघों ने पीटी उषा को ज्ञापन दिया कि उनके वोटिंग अधिकार एक बार फिर से बहाल किए जाएं।

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