समस्या थी तो पहले क्यों सामने नहीं आए पहलवानः दिव्या काकरान
मेरे लिए हर दिन बेहद अहम है, मैं शादी के बाद भी जारी रखूंगी रेसलिंग
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। पहलवानों और भारतीय कुश्ती संघ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश और दिल्ली के लिए कई मेडल जीत चुकी भारतीय पहलवान दिव्या काकरान का कहना है कि यदि कुश्ती संघ से किसी तरह की परेशानी थी तो भारतीय पहलवान पहले क्यों सामने नहीं आए। दिव्या की शादी 21 फरवरी को होने वाली है। उन्होंने अपने कुश्ती करियर के साथ ही पिछले दिनों ओलम्पियन पहलवानों द्वारा जंतर-मंतर पर किए गए धरना-प्रदर्शन के मुद्दे पर बातचीत की।
पहलवानों और भारतीय कुश्ती संघ विवाद पर दिव्या का कहना है कि इससे भारतीय कुश्ती की छवि को नुकसान जरूर पहुंचा है। मेरा मानना है कि हमारे देश के पहलवानों द्वारा धरना-प्रदर्शन करके जो भी बात उठाई गई है और वो जिस तरह के आरोप लगा रहे हैं, यह बात उन्हें पहले ही कहनी चाहिए थी। मुझे कभी भी किसी जूनियर पहलवान ने नहीं कहा कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है। जिन पहलवानों ने धरना दिया वो देश के कद्दावर खिलाड़ी हैं और वो पहले ही देश के खेल मंत्री से मुलाकात करके उनके सामने उस खिलाड़ी के लिए बोल सकते थे कि उसके साथ कुछ गलत बर्ताव हुआ है या फिर उसका शोषण हो रहा है। वैसे देश के लिए ओलम्पिक मेडल जीतने वाले पहलवानों ने जो भी आरोप लगाए हैं, जांच में यह सारी बातें सामने आनी चाहिए कि आखिर सच्चाई क्या है।
दिव्या काकरान का कहना है कि वह शादी के बाद भी रेसलिंग जारी रखेंगी। दिव्या कहती हैं कि अभी एशियन चैम्पियनशिप का आयोजन होना है। साथ ही अगले ओलम्पिक के लिए क्वालीफिकेशन मैच भी होने हैं और वर्ष 2023 मेरे लिए काफी अहम है, तो शादी के बाद मैं सिर्फ अपने खेल पर ही फोकस करूंगी। शादी के बाद मैं किसी भी तरह का ब्रेक नहीं लूंगी और इसके तुरंत बाद ही मैं मैट पर प्रैक्टिस के लिए वापसी करूंगी। एशियन चैम्पियनशिप के लिए तैयारी बहुत जरूरी है और मेरे लिए हर दिन बेहद अहम है। हां, शादी के बाद मैं ज्यादा से ज्यादा चार-पांच दिन का ब्रेक लूंगी, क्योंकि काफी सारे रीति-रिवाजों को पूरा करना होता है।
दिव्या कहती हैं कि मैं 68 किलोग्राम भारवर्ग में खेलती थी, लेकिन अब मैंने अपना भारवर्ग बदला है जो 76 किलोग्राम है। हाल ही में नेशनल गेम्स में मैंने इसी भारवर्ग में गोल्ड मेडल जीता था। एशियन चैम्पियनशिप में मैं पहली बार 76 किलोग्राम भारवर्ग में खेलने उतरने वाली हूं। मुझे लगता है कि किर्गिस्तान और कजाखस्तान की पहलवानों से ज्यादा चुनौती मिल सकती है।
दिव्या कहती हैं कि किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है कि वह अपने देश के लिए ओलम्पिक मेडल जीते। मेरा सपना इस इवेंट में पदक जीतने का है और मैं सिर्फ 2024 ही नहीं, बल्कि इससे आगे भी दो और ओलम्पिक में हिस्सा लेना चाहती हूं। मैं आपको साफ करना चाहती हूं कि यह सबकुछ आपकी सोच, आपकी ट्रेनिंग पर निर्भर करता है कि आप किस तरह से अपने शरीर का इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही आपने खुद को लेकर क्या सोच बना रखा है। सबसे अहम यह है कि अगर आप सोचते हैं कि मैं ढलान की तरफ जा रही हूं तो आप आगे नहीं खेल पाएंगे। अगर बढ़ती उम्र के बावजूद आपने अपने रूटीन को सही तरीके से फालो किया है और सही तरीके से वर्कआउट किया है तो आप अच्छे परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं। सबकुछ सिर्फ और सिर्फ खिलाड़ियों के सोच पर ही निर्भर करता है।