खेलो इंडिया गेम्स में परम्परागत भारतीय खेलों का दिखेगा जलवा

कलारीपयट्टू, थांग-ता, गतका और मलखम्ब खेल शामिल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2023 में कलारीपयट्टू, थांग-ता, गतका और मलखंब जैसे खेल भी शामिल हैं। इन खेलों के बारे में आपने कम ही सुना होगा और शायद ही कभी इन खेलों के मैच देखे होंगे। हालांकि, ये भारत पारंपरिक खेल हैं और इन खेलों का अस्तित्व बनाए रखने के लिए ही सरकार ने इन्हें खेलों इंडिया गेम्स में शामिल किया है। ये सभी खेल देश के किसी न किसी कोने में लोकप्रिय हैं, लेकिन पूरे देश में इनकी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए इन खेलों को खेलो इंडिया गेम्स में शामिल किया गया है। यहां हम बता रहे हैं कि ये खेल कैसे खेले जाते हैं। 
थांग-ता- थांग ता का शाब्दिक अर्थ है तलवार और भाला। थांग का अर्थ है तलवार और ता का मतलब है भाला। यह लगभग 400 साल पहले मणिपुर के राजा-महाराजों ने शुरू किया था। अंग्रेजों को डर था कि इस खेल में भाले और तलवार का उपयोग होता है। इस खेल में हिस्सा लेने वाले लोग बगावत में शामिल हो सकते हैं। इस वजह से इस खेल पर बैन लगा दिया गया था। हालांकि, मणिपुर में यह खेल अपना अस्तितिव बनाए रखने में सफल रहा और अब खेलो इंडिया गेम्स में भी इसे शामिल किया गया है। 
कलारीपयट्टू- केरल में उपजा यह खेल पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। बॉलीवुड अभिनेता विद्युत जामवाल भी इसमें माहिर हैं। यह एक तरह की मार्शल आर्ट है। इसमें दो लोग मिलकर कलाबाजियों दिखाते हैं। इस खेल में महिला और पुरुष दोनों हिस्सा लेते हैं। कलारीपयट्टू में कई तरह की तकनीक होती है, जिसमें मैपयट्टू, वादीपयट्टू , वेरुकैयपरयोगा आदि शामिल है। इस खेल में कुल 16 तरह की फाइट होती हैं। शुरुआत बॉडी एक्सरसाइज के साथ होती है। इसके बाद आगे की लड़ाई होती है। इसमें डिफेंस, अटैक कई चीजें शामिल होती है।
मलखम्बः मध्य प्रदेश का राज्य खेल मलखम्ब भी खेलो इंडिया गेम्स का हिस्सा है। इस बार खेलो इंडिया गेम्स का आयोजन मध्यप्रदेश में ही हो रहा है, ऐसे में राज्य के सबसे चर्चित खेल का इसमें शामिल होना लाजिमी है। इस खेल में लकड़ी के एक खंबे पर खिलाड़ियों को करतब दिखाने होते हैं। इसमें तीन तरह के खेल होते हैं, जिसमें फिक्स्ड मलखम्ब (केवल पुरुषों के लिए), हेंगिंग मलखम्ब (केवल पुरुषों के लिए), शेप मलखम्ब (महिलाओं के लिए) शामिल है।
गतकाः पंजाब के खेल गतका को भी खेलो इंडिया गेम्स में शामिल किया गया है। यह खेल निहंग सिख योद्धाओं की पारंपरिक लड़ाई शैली से उपजा है। इसका उपयोग आत्म-रक्षा के लिए भी होता है। गतका सिक्खों की पारंपरिक युद्ध कला है। सिक्खों के धार्मिक उत्सवों में इसका हथियारों के साथ प्रदर्शन किया जाता है। इसे पारंपरिक कपड़ों में तलवार और ढाल के साथ खेला जाता है।

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