साई की कुव्यवस्था से दिल्ली के हॉकी खिलाड़ियों में निराशा

खिलाड़ियों के अभ्यास में साई अधिकारी डाल रहे बाधाः महेश दयाल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
किसी भी खेल को खेलने वाले खिलाड़ी की इच्छा होती है कि वो न सिर्फ अपने देश का प्रतिनिधित्व करे बल्कि अपने खेल से पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करे। प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए तमाम तरह के प्रयास किए भी जा रहे हैं, लेकिन दिल्ली हॉकी के अंडर में खेलने वाले खिलाड़ियों के साथ ऐसा नहीं है। इन खिलाड़ियों को वो सुविधा नहीं मिल पा रही हैं जो उन्हें आगे बढ़ने में मदद करे।
हालात यह हैं कि दिल्ली हाकी और स्पोर्ट्स अथारिटी आफ इंडिया (साई) की इस लड़ाई में खिलाड़ियों का अभ्यास बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। मामला दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद नेशनल राष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम का है। जहां दिल्ली हॉकी और साई की आपसी लड़ाई के चलते दिल्ली हॉकी के अंडर में खेलने वाले खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं।
दिल्ली हॉकी के पूर्व जनरल सेक्रेटरी महेश दयाल ने साई के कुव्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। दयाल का कहना है कि हमें साई द्वारा स्टेडियम में अभ्यास की इजाजत तो दी जाती है, लेकिन स्ट्रोटर्फ (जहां पर खिलाड़ी मैच खेलते हैं) पर पानी डालने का खर्च भुगतान करने की मांग की जा रही है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोटर्फ पर एक बार पानी डालने का खर्च 1800 रुपये है।
ऐसे में खिलाड़ी दिन में तीन से चार बार अभ्यास करेंगे तो यह राशि बहुत बड़ी हो जाती है। साई की तरफ से यह भी कहा जाता है कि स्टेडियम का बिल 25 लाख रुपये का आया है। ऐसे में हम यह कदम उठाने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि साई नहीं चाहती है कि दिल्ली हॉकी से जुड़े खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए ग्राउंड की सुविधा प्रदान की जाए।
महेश दयाल ने कहा कि पहले सभी सुविधाएं खिलाड़ियों को मिल रही थीं, लेकिन बीते कुछ समय से सुविधाएं देने के नाम पर तमाम बहाने किए जा रहे हैं। अब हम खिलाड़ियों के लिए कैंप भी बाहर ही करते हैं और हमें किसी भी तरह की सुविधा नहीं मिल पा रही है। यही नहीं साई द्वारा पैसों की मांग किए जाने की वजह से हम कोई भी टूर्नामेंट इस स्टेडियम में आयोजित नहीं करवा पा रहे हैं। दयाल के आरोपों का स्टेडियम से जुड़े अधिकारी भी इसकी पुष्टि नाम न उजागर करने की शर्त पर कर रहे हैं। बातचीत में साई एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की भी पुष्टि की है उच्च अधिकारियों के कुछ निर्णयों की वजह से हॉकी के खिला़ड़ियों का अभ्यास प्रभावित हो रहा है।
साई ने दी कुव्यवस्था पर सफाई
आरोपों पर साई ने जवाब देते हुए कहा है कि 1800 रुपये का शुल्क पानी का नहीं है बल्कि पानी डालने पर जो बिजली की खपत होती है उसका है। 2019 से पहले हम तीन हजार रुपये प्रतिदिन और प्रोसेसिंग शुल्क ले रहे थे जिसे घटाकर 1800 रुपये किया गया है। इतना ही नहीं खिलाड़ियों को मासिक शुल्क का भुगतान करना पड़ता था जिसे खत्म कर दिया है। शुल्क तब ही लिया जाता है जब कोई एजेंसी या फेडरेशन मैदान बुक करती है। नेशनल कैंप के दौरान फेडरेशन के लिए सब कुछ मुफ्त होता है। खिलाड़ियों को केवल 100 रुपये प्रति वर्ष शुल्क देना होता है इसके अलावा कोई और शुल्क नहीं लिया जाता है।
मेजर ध्यानचंद अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम है, लेकिन साई के वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही से यहां पर अव्यवस्था का माहौल है। स्टेडियम में कई जगह नल लगे हैं, लेकिन उनसे पानी नहीं आता। शौचालय में साफ-सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है। इसके अलावा स्टेडियम की सीटें भी गंदी पड़ी रहती हैं। जगह-जगह कचरे के ढेर हैं। वहीं, जलजमाव होने से मच्छरजनित बीमारियों के होने का खतरा भी है।

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