होनहार तीरंदाज साक्षी चौधरी को कब मिलेगी आर्थिक मदद?

गाजियाबाद की बेटी अपने तीर-कमान से कर रही मेडलों की बरसात

खेलपथ संवाद

गाजियाबाद। एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खिलाड़ियों को सुविधाएं तथा आर्थिक मदद देने की जब तब घोषणाएं करते हैं तो दूसरी तरफ खेल निदेशालय में बैठे जवाबदेह पदाधिकारियों को उदीयमान प्रतिभाएं नजर ही नहीं आतीं। यदि ऐसा नहीं तो फिर गाजियाबाद की होनहार तीरंदाज साक्षी चौधरी को अब तक आर्थिक मदद क्यों नहीं मिली? इस बेटी ने हाल ही गुजरात में हुए राष्ट्रीय खेलों में दो कांस्य पदक जीतकर उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।

आर्थिक रूप से तंगहाल शशी-जीतेन्द्र चौधरी की यह बेटी जहां भी जाती है अपने सटीक निशानों से उत्तर प्रदेश को गौरवान्वित करती है। होनहार तीरंदाज साक्षी राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लगभग आधा दर्जन मेडल जीत चुकी है। मीडिया में इस बेटी की उपलब्धियों को लगभग दो साल से सराहा जा रहा है लेकिन दुख और अफसोस की बात तो यह है कि साक्षी पर गाजियाबाद की क्रीड़ा अधिकारी की ही नजरें अब तक इनायत नहीं हुई हैं, लखनऊ तो बहुत दूर की बात है। अपनी बेटी के सपनों को पंख लगाने के लिए जहां पिता दिन-रात मेहनत-मशक्कत करता है वहीं मां अपने आभूषण तक बेच देती है।           

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मादरेवतन का मान बढ़ाने वाली होनहार तीरंदाज साक्षी चौधरी को अब तक आर्थिक मदद मिल गई होती यदि गाजियाबाद जिला प्रशासन और जिला क्रीड़ाधिकारी पूनम बिश्नोई ने जरा भी ध्यान दिया होता। साक्षी के धनुष-बाण से राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल तो बरस रहे हैं लेकिन इन मेडलों की खनक अभी तक राजधानी लखनऊ को नहीं सुनाई पड़ी है। गौरतलब यह कि उत्तर प्रदेश तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष अवनीश अवस्थी हैं। अवस्थी जी के रहते गरीब की बेटी को आर्थिक मदद नहीं मिलना भी सोचनीय पहलू है।   

तीरंदाज साक्षी चौधरी पोलैंड में हुई यूथ विश्व चैम्पियनशिप में चांदी का तमगा जीत चुकी है वहीं इस होनहार बेटी ने एशिया कप फेज-1 और फेज-2 में तीन स्वर्ण और एक रजत पदक जीते हैं। साक्षी चौधरी ने थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित एशियाई तीरंदाजी स्पर्धा में व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण तो टीम स्पर्धा में रजत पदक जीतकर देश और शहर का नाम रोशन किया था। इराक में हुए फेज-2 में साक्षी ने व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण तो टीम स्पर्धा में भी स्वर्णिम निशाना लगया था। साक्षी की जहां तक बात है यह बेटी ग्रामीण परिवेश से ताल्लुक रखती है तथा फिलवक्त गाजियाबाद के चिरंजीव विहार में रहती है।

साक्षी की जहां तक बात है इस बेटी को बचपन से ही तीरंदाजी से प्यार है। वह बाल्यकाल से ही अपने घर के बाहर छोटा सा बोर्ड और तीर कमान से निशाना साधने की प्रैक्टिस करती थी। बेटी के शौक को पहचान कर उसके पिता जीतेन्द्र चौधरी ने इस खेल में आगे बढ़ने के लिए उसे प्रोत्साहित किया। गाजियाबाद में माकूल व्यवस्थाएं न होने से साक्षी ने दिल्ली और हरियाणा में तीरंदाजी की कोचिंग ली है।

साक्षी अगस्त, 2021 में पोलैंड में हुई विश्व युवा तीरंदाजी चैम्पियनशिप में भी रजत पदक जीत चुकी है। इससे पहले इसने अहमदाबाद में आयोजित जूनियर नेशनल रैंकिंग टूर्नामेंट में दूसरा और सीनियर नेशनल रैंकिंग में चौथा स्थान हासिल किया था। साक्षी ने दिसम्बर 2018 में तीरंदाजी की प्रैक्टिस शुरू की थी। इसके दो महीने बाद फरवरी 2019 में यूपी स्टेट जूनियर चैम्पियनशिप में पहला कांस्य पदक जीता था। फिर जून, 2019 में साक्षी ने मुंबई मेयर कप में गोल्ड जीता। मार्च 2021 में हापुड़ में हुई यूपी स्टेट जूनियर व सीनियर चैम्पियनशिप में इस बेटी ने 3-3 गोल्ड मेडल जीतकर अपने स्वर्णिम भविष्य के संकेत दिए थे। प्रदेश स्तर की बात करें तो वह राज्यस्तर पर जिस प्रतियोगिता में उतरती है उसके तीर-कमान से सोने की ही बरसात होती है। वह कानपुर में हुए स्टेट आर्चरी टूर्नामेंट में भी दो स्वर्ण पदक जीते थे।

हाल ही गुजरात में हुए 36वें राष्ट्रीय खेलों में इस बेटी ने दो कांस्य पदक जीतकर उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ाया था। राष्ट्रीय खेलों में शानदार प्रदर्शन के बाद उम्मीद जगी थी कि उत्तर प्रदेश सरकार इस बेटी की सुध लेगी लेकिन समय बीतते ही खेल निदेशालय के अधिकारी भूल गए। फिलवक्त यह बेटी साई सेंटर सोनीपत में कोरियाई प्रशिक्षक की निगरानी में अपने कौशल को निखार रही है। साक्षी चौधरी का लक्ष्य एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए मेडल जीतना है। खेल निदेशालय उत्तर प्रदेश ने खिलाड़ियों के आर्थिक प्रोत्साहन के लिए एकलव्य कोष का गठन किया है लेकिन साक्षी चौधरी जैसी प्रतिभाओं की उपेक्षा को देखते हुए कैसे माना जाए कि इस कोष से खिलाड़ियों का भला होगा।

ऐसे में कैसे परवान चढ़ेगा 'हर घर तीरंदाजी, हर गांव तीरंदाजी' मिशन

भारतीय तीरंदाजी संघ की ओर से 'हर घर तीरंदाजी, हर गांव तीरंदाजी' मिशन की शुरुआत की गई है। देश के प्रतिभाशाली तीरंदाजों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई के सहयोग से इसकी शुरुआत नार्थ जोन से की गई है जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। इस मिशन के अंतर्गत खेलो इंडिया तीरंदाजी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। भारतीय तीरंदाजी संघ के कैलेंडर में इस प्रतियोगिता को रेगुलर इवेंट के तौर पर शामिल कर लिया गया है।

भारतीय तीरंदाजी संघ और भारतीय खेल प्राधिकरण को उम्मीद है कि इस तरह के आयोजन से जमीनी स्तर से तीरंदाजों को तैयार करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही उभरते तीरंदाजों के प्रदर्शन को और अधिक विकसित करने के लिए बढ़ावा मिलेगा। घरेलू प्रतिस्पर्धा बढ़ने से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन में भी निखार आएगा। उत्तर प्रदेश तीरंदाजी संघ के महासचिव अजय गुप्ता के अनुसार घरेलू प्रतिस्पर्धा समय की मांग है क्योंकि इससे खिलाड़ी मानसिक रूप से मजबूत होंगे।

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