बाएं हाथ के गेंदबाजों ने पकड़ी भारतीय बल्लेबाजों की कमी

सही टीम चुनाव करने में भी फेल हुए रोहित शर्मा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय टीम एक बार फिर बड़े टूर्नामेंट से बाहर होने के कगार पर है। एशिया कप के सुपर-4 राउंड में पाकिस्तान के बाद श्रीलंका से मिली हार ने उसे मुश्किलों में डाल दिया है। टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचने के लिए अफगानिस्तान को हराने के अलावा दूसरी टीमों के नतीजों पर भी निर्भर रहना पड़ेगा। यह मुश्किल रोहित शर्मा की टीम ने खुद ही खड़ी की है। एक के बाद एक प्रयोगों ने टीम का बंटाढार कर दिया। पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप में हार के बाद टीम इंडिया लगातार प्रयोग ही कर रही है, लेकिन अब तक एक सही प्लेइंग-11 का चुनाव नहीं कर पाई है।
रोहित शर्मा ने मैच के बाद इन प्रयोगों का बचाव किया। उन्होंने कहा, ''हम टी20 वर्ल्ड कप से पहले खुद को हर तरह से तैयार करना चाहते हैं। हम जान-बूझकर खुद को मुश्किलों में डाल रहे हैं ताकि उससे बाहर निकलने का रास्ता निकाल सकें। टीम में कोई खामी नहीं है और सभी उच्चस्तरीय खिलाड़ी हैं।'' अब सवाल यह उठता है कि क्या टीम इंडिया एक ट्रॉफी को दांव पर रखकर प्रयोग कर रही है? क्या उसने एशिया कप जीतने के लिए सही मानसिकता दिखाई?
रोहित ने कहा कि टीम में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन श्रीलंका के एक नए गेंदबाज ने दिग्गज बल्लेबाजों को परेशान किया। बाएं हाथ के दिलशान मदुशंका के सामने भारतीय खिलाड़ी बेबस दिखे। मदुशंका ने चार ओवर में सिर्फ 24 रन दिए और तीन विकेट लिए। यह उनका चौथा ही टी20 मैच था। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज के आगे फिर टीम इंडिया दबाव में दिखी। मदुशंका ने कहर बरपा दिया। उन्होंने विराट कोहली को अंदर आती गेंद पर क्लीन बोल्ड किया। इसके बाद डेथ ओवरों में ऋषभ पंत और दीपक हुड्डा का विकेट ले लिया। पंत को मदुशंका ने पथुम निसांका के हाथों कैच कराया वहीं, हुड्डा को यॉर्कर पर क्लीन बोल्ड कर दिया। टीम इंडिया इससे पहले भी बाएं हाथ के गेंदबाजों के खिलाफ विकेट गंवाती रही है। मोहम्मद आमिर, ट्रेंट बोल्ट, शाहिन अफरीदी, रीस टॉपली जैसे बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को परेशान किया है।
टीम चयन में रोहित ने की गलती
आउट ऑफ फॉर्म ऋषभ पंत को रोहित शर्मा ने लगातार दूसरे मैच में मौका दिया। मध्यक्रम में ज्यादा रन बनाने वाले दीपक हुड्डा को उन्होंने फिनिशर की भूमिका में उतारा। दिनेश कार्तिक को अगर रोहित चुनते तो वह विकेटकीपिंग के साथ-साथ बल्लेबाजी में फिनिशर की भूमिका भी निभा सकते थे। ऐसे में दीपक हुड्डा को टीम में रखने की जरूरत नहीं पड़ती। अक्षर पटेल की जगह बन जाती। वह सटीक गेंदबाजी के साथ-साथ उपयोगी रन भी बनाने में सक्षम हैं। वेस्टइंडीज दौरे तक उन्हें रवींद्र जडेजा के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन एशिया कप में जडेजा के चोटिल होने के बाद उन्हें चुना ही नहीं गया।
रोहित पुराने अंदाज में दिखे: कप्तान रोहित शर्मा ने इस टूर्नामेंट में अपना पहला अर्धशतक लगाया। उन्होंने पिछले मैचों में अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन उसे बड़ी पारी में नहीं बदल पा रहे थे। इस बार रोहित अपने पुराने रंग में दिखे। उन्होंने तूफानी अंदाज में बल्लेबाजी की। रोहित ने 41 गेंद पर 72 रनों की शानदार पारी खेली। इस दौरान पांच चौके और चार छक्के लगाए। उनका स्ट्राइक रेट 175.61 का रहा।
राहुल एक बार फिर से फेल: कप्तान रोहित और टीम प्रबंधन ने राहुल के ऊपर लगातार चौथे मैच में भरोसा जताया। राहुल इस भरोसे पर खरे नहीं उतर पाए। वह सात गेंद पर छह रन बनाकर आउट हो गए। इस बार उन्हें स्पिनर महीश तीक्ष्णा ने एलबीडब्ल्यू कर दिया। एशिया कप में राहुल ने क्रमश: छह, 28, 36 और शून्य रन बनाए हैं।
विराट कोहली इस बार नहीं कर सके कमाल: टूर्नामेंट में शानदार फॉर्म में चल रहे कोहली इस मैच में कुछ खास नहीं कर सके। चार गेंदों का सामना करने के बाद वह शून्य पर क्लीन बोल्ड हो गए। उन्होंने पिछले दो मैचों में अर्धशतक लगाया था।
मध्यक्रम ने फिर किया निराश: शीर्ष क्रम के दो बल्लेबाजों के फेल होने के बाद मध्यक्रम से उम्दा प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन टीम को निराशा हाथ लगी। सूर्यकुमार यादव ने मध्यक्रम में सबसे ज्यादा 34 रन बनाए, लेकिन उनका स्ट्राइक रेट 117.24 का रहा। क्रीज पर टिकने के बाद उन्होंने अपना विकेट फेंक दिया। पहले मैच के हीरो हार्दिक पांड्या 17, बाएं हाथ के बल्लेबाज ऋषभ पंत 17 और दीपक हुड्डा तीन रन बनाकर पवेलियन लौट गए।
गेंदबाजों का कैसा रहा प्रदर्शन?
गेंदबाजी में अर्शदीप सिंह काफी महंगे रहे। उन्होंने 3.5 ओवर में 40 रन दिए। आखिरी ओवर में जब श्रीलंका को सात रन की जरूरत थी तब उन्होंने जरूर प्रभावित किया, लेकिन उससे पहले ही वह काफी रन दे चुके थे। भुवनेश्वर ने शुरुआती तीन ओवर में 16 रन दिए तो आखिरी ओवर में 14 रन देकर मैच को भारत की पहुंच से दूर कर दिया। हार्दिक पांड्या, अश्विन और युजवेंद्र चहल ने आठ से ज्यादा की इकोनॉमी से रन दिए। चहल और अश्विन को सफलता मिली, लेकिन हार्दिक बेअसर साबित हुए।

 

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