अभ्यास के दौरान 100 कैच पकड़ने के बाद भी नहीं थकते विराट

कोच ने बताया कैसे सीखी स्लिप फील्डिंग
नई दिल्ली।
टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर विराट कोहली खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं। साल 2019 में अपने करियर का आखिरी शतक लगाने वाले कोहली भले ही बड़ा शतक न बना रहे हों, लेकिन वो अभी भी टीम के लिए अहम योगदान देने की क्षमता रखते हैं। अपने करियर के सबसे खराब दौर में भी कोहली ने कई अर्धशतकीय पारियों खेली हैं और उनका औसत ज्यादा खराब नहीं है। इसके अलावा विराट अपनी फील्डिंग से भी टीम की जीत में अहम योगदान देते हैं। 2011 विश्व कप में युवराज और रैना के साथ अपनी फील्डिंग के चलते चर्चा में आने वाले विराट 11 साल बाद भी टीम के सबसे बेहतरीन फील्डिरों में शामिल हैं। 
साल 2011 में विराट अक्सर तीस गज के दायरे के अंदर फील्डिंग करते थे और अफनी टीम के रन बचाते थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने अपनी फील्डिंग और बेहतर की। अब कप्तान अपनी जरूरत के हिसाब से विराट को मैदान के किसी भी कोने में खड़ा कर सकते हैं। स्लिप में फील्डिंग से लेकर बाउंड्री लाइन में कैच पकड़ने तक। हर जगह विराट कमाल की फील्डिंग करते हैं। हालांकि, विराट के लिए स्लिप का बेहतरीन फील्डर बनना आसान नहीं था, लेकिन समय के साथ उन्होंने यह कला भी सीख ली। 
टीम इंडिया के कोच आर श्रीधर ने एक स्पोर्ट्स वेबसाइट को बताया है कि विराट काफी उर्जावान खिलाड़ी हैं और स्लिप में फील्डिंग करने के लिए एकाग्रता और धैर्य की जरूरत होती है। समय के साथ विराट ने अपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल करना सीख लिया और अब वो स्लिप के बेहतरीन फील्डर बन चुके हैं। कप्तानी छोड़ने के बाद विराट को कई मौकों पर बाउंड्री लाइन में भी फील्डिंग करते देखा गया है और यहां भी उनकी तेजी कमाल की होती है। 
आर श्रीधर ने बताया कि कई बार अभ्यास के दौरान विराट 100 कैच पकड़ने के बाद भी प्रैक्टिस जारी रखना चाहते थे। जब श्रीधर प्रैक्टिस बंद करने को कहते थे को विराट का कहना होता था कि आप थक गए क्या, मैं और कैच पकड़ना चाहता हूं। श्रीधर ने यह भी बताया कि जब विराट को लगता था कि गेंद धीमे आ रही है तो वो दो कदम आगे आकर खड़े हो जाते थे, ताकि उनको मुश्किल कैच पकड़ने का मौका मिले। इसी मेहनत की वजह से विराट दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में शामिल हैं। 

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