अपने लोगों से भरे कमरे में भी मैं अकेला महसूस करता था

जानें विराट कोहली ने मेंटल हेल्थ पर क्या कहा
मुम्बई।
देश में अक्सर मेंटल हेल्थ को लेकर काफी बातें की जाती हैं। कोरोना के दौरान डॉक्टर भी अपने मरीज को मेंटल हेल्थ को लेकर सुझाव देते थे और हमेशा पॉजिटिव रहने को कहते थे। अच्छे मेंटल हेल्थ की जरूरत न सिर्फ किसी मरीज को बल्कि हर फील्ड में होती है, चाहे वह क्रिकेटर हो या कोई बिजनेसमैन। अगर कोई इंसान मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं होता, तो उसके प्रगति का रास्ता भी रुक जाता है।
जब कोरोना अपनी पीक पर था, तब क्रिकेट में बायो-बबल का इस्तेमाल किया जाता था। खिलाड़ियों को एक तरह से एक कमरे में बंद रहना होता था और सीधे वह मैदान पर ही साथ दिखते थे। तब भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने मेंटल हेल्थ को लेकर काफी बयान दिए थे और कहा था कि यह खिलाड़ियों के लिए यह कितना जरूरी है। अब उन्होंने फिर एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए इंटरव्यू में मेंटल हेल्थ को लेकर बातचीत की है।
विराट जिम्बाब्वे दौरे पर टीम इंडिया का हिस्सा नहीं हैं। हालांकि, वह एशिया कप टी-20 टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम के साथ यूएई जाएंगे। एशिया कप की शुरुआत 27 अगस्त से हो रही है और टीम इंडिया अपने पहला मैच 28 अगस्त को पाकिस्तान के खिलाफ खेलेगी। गुरुवार को विराट ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 14 साल भी पूरे कर लिए।
हालांकि, उनके लिए पिछला कुछ समय अच्छा नहीं गुजरा है। विराट पिछले लगभग तीन साल से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतक के लिए जूझ रहे हैं। उनके बल्ले से रन तो निकले हैं, लेकिन कोई शतक नहीं निकल पाया है। ऐसे में एशिया कप में उन पर आगामी टी-20 वर्ल्ड कप के लिए स्क्वॉड में जगह बनाने का दबाव होगा। 
इससे पहले विराट ने एक इंटरव्यू में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बात की। उन्होंने मेंटल हेल्थ को लेकर सवाल पूछे जाने पर कहा- दबाव में हमेशा खिलाड़ी बिखर जाता है। प्रदर्शन नहीं कर पाने का दबाव मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। यह एक गंभीर मुद्दा है और हम सब मजबूत रहने की कोशिश करते हैं। हालांकि, हर कोई उतना मजबूत नहीं होता और वह टूट जाता है। युवा खिलाड़ियों से मैं यह कहना चाहूंगा कि फिट रहना और जल्द से जल्द रिकवरी करना आपकी सफलता की कुंजी है, लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी अपने आप से जुड़ाव है।
विराट ने कहा- मैं ऐसे भी समय का अनुभव कर चुका हूं, जब मेरे कमरे में मुझे समर्थन करने वाले मेरे अपने लोग मौजूद थे, इसके बावजूद मैं अकेल महसूस करता था। मुझे पता है कि ऐसा काफी लोगों के साथ गुजरा होगा और वह इसे समझेंगे। इसलिए खुद के लिए समय निकालें और खुद से जुड़ें। अगर ऐसा करने में आप असफल रहे तो चीजें बिखर जाएंगी। विराट कोहली ने जिस अनुभव के बारे में बताया वह साल 2014 के दौरान की है। तब विराट इंग्लैंड दौरे पर बतौर बल्लेबाज फेल रहे थे और डिप्रेशन में भी गए थे। हालांकि, समय के साथ उन्होंने मेहनत की और इससे बाहर निकले।
बतौर खिलाड़ी चैलेंज को लेकर विराट ने कहा- क्रिकेट जैसे खेल में गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। यह मुझे हमेशा चुनौती देता है। मैं अपने प्रदर्शन में सुधार करने पर लगातार ध्यान देता हूं। बतौर एथलीट मेरा फोकस बस इस बात पर रहता है कि मुझे अपनी टीम को जीत दिलाना है। हालांकि, चुनौतियों से मुझे बेहतर करने में मदद मिलती है। इससे आपका प्रदर्शन निखरता है। एक सीरीज के तनाव को दूर करने के लिए मैं अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करता हूं। इसके अलावा मैं वह करता हूं जिससे मुझे सबसे ज्यादा खुशी मिलती है। अलग-अलग जगहों पर जाना और कॉफी पीना मुझे बेहद पसंद है। इससे तनाव दूर करने में मदद मिलती है। 
विराट कई बार मेंटल हेल्थ पर बात कर चुके हैं। एक बार इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर मार्क निकोलस के साथ 'नॉट जस्ट पॉडकास्ट' कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था - 2014 में इंग्लैंड टूर उनके लिए भयावह रहा था। रन नहीं बना पाने की वजह से वह काफी बुरा एहसास कर रहे थे। मैं डिप्रेशन में था। सभी बल्लेबाजों के लाइफ में इस तरह का एक दौर आता है। उस समय आपके बस में कुछ नहीं होता। मुझे उस वक्त अहसास हुआ कि इस बीमारी में आपके आसपास लोग होने के बावजूद खुद को अकेला महसूस करते हैं। कोहली ने 2014 में इंग्लैंड दौरे पर पांच टेस्ट की 10 पारियों में 13.50 की औसत से 134 रन बनाए थे। उन्होंने 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0,7, 6 और 20 रन की पारियां खेली थीं।

रिलेटेड पोस्ट्स