पूर्व भारतीय फुटबॉलर बोले- फीफा का फैसला बेहद कड़ा

लेकिन खेल को व्यवस्थित करने का भी मिलेगा मौका
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
प्रशासकों की समिति (सीओए) ने चुनाव और संविधान से जुड़े मसलों पर सहमति के बावजूद फीफा की ओर से भारतीय फुटबॉल महासंघ को निलंबित करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। सीओए ने एक बयान में कहा- हम हैरान हैं कि फीफा का यह फैसला तब आया है, जब उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार फीफा-एएफसी, एआईएफएफ, सीओए और खेल मंत्रालय सहित सभी हितधारकों के बीच कुछ दिनों से व्यापक चर्चा चल रही थी। सीओए सुप्रीम कोर्ट के 3 अगस्त को दिए निर्णय के अनुसार चुनाव कराने के साथ ही हितधारकों से चर्चा कर रहे थे।
सीओए ने कहा- खेल मंत्रालय के माध्यम से फीफा ने यह भी सुझाव दिया था कि कार्यकारी समिति में 23 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें छह प्रतिष्ठित खिलाड़ी शामिल हो सकते हैं। 17 सदस्यों, जिनमें अध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव के रूप में निर्वाचक मंडल चुना जाएगा। इनमें छह खिलाड़ियों में चार पुरुष और दो महिलाओं को शामिल करना है। 
पूर्व भारतीय फुटबॉल कप्तान बाइचुंग भूटिया ने कहा- यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि फीफा ने भारतीय फुटबॉल को निलंबित कर दिया है। व्यवस्था सुधारने के लिए सभी हितधारक महासंघ, राज्य संघ साथ आएं और भारतीय फुटबॉल की बेहतरी के लिए काम करें।
प्रशासकों की समिति (सीओए) ने चुनाव और संविधान से जुड़े मसलों पर सहमति के बावजूद फीफा (FIFA) की ओर से भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को निलंबित करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। सीओए ने एक बयान में कहा- हम हैरान हैं कि फीफा का यह फैसला तब आया है, जब उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार फीफा-एएफसी, एआईएफएफ, सीओए और खेल मंत्रालय सहित सभी हितधारकों के बीच कुछ दिनों से व्यापक चर्चा चल रही थी। सीओए सुप्रीम कोर्ट के 3 अगस्त को दिए निर्णय के अनुसार चुनाव कराने के साथ ही हितधारकों से चर्चा कर रहे थे। पूरा मामला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
सीओए ने कहा- खेल मंत्रालय के माध्यम से फीफा ने यह भी सुझाव दिया था कि कार्यकारी समिति में 23 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें छह प्रतिष्ठित खिलाड़ी शामिल हो सकते हैं। 17 सदस्यों, जिनमें अध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव के रूप में निर्वाचक मंडल चुना जाएगा। इनमें छह खिलाड़ियों में चार पुरुष और दो महिलाओं को शामिल करना है। 
सीओए ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एआईएफएफ के चुनाव स्वतंत्र समिति के तहत कराने की व्यवस्था की जा रही थी। सारी प्रक्रिया 15 अगस्त को फीफा की ओर से जारी पत्र के अनुसार ही करा रहे थे। सीओए सदस्य एसवाई कुरैशी ने कहा, जब चीजें ठीक की जा रही थी तो फीफा ने निलंबन का आदेश दे दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि मामला सुलझ जाएगा।
सीओए के चेयरमैन न्यायमूर्ति अनिल दवे ने कहा- भारतीय फुटबॉल को सही दिशा में लाने के प्रयास किए जा रहे थे। ऐसे में फीफा का कदम दुर्भाग्यपूर्ण है। यह वास्तव में निंदनीय है कि लगभग दो वर्ष पहले ही एआईएफएफ का कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका था। उसे पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और अवैध तरीके से जारी रखा हुआ था, तब कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
पूर्व भारतीय फुटबॉल कप्तान बाइचुंग भूटिया ने कहा- यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि फीफा ने भारतीय फुटबॉल को निलंबित कर दिया है। व्यवस्था सुधारने के लिए सभी हितधारक महासंघ, राज्य संघ साथ आएं और भारतीय फुटबॉल की बेहतरी के लिए काम करें। यह देश में फुटबॉल को व्यवस्थित करने का भी मौका है।
पूर्व भारतीय फुटबॉलर शब्बीर अली ने कहा- जो कुछ भी हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उम्मीद है कि चुनाव के बाद निलंबन जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा। अंडर-17 महिला विश्वकप भारत में ही होना चाहिए। आशा है कि सभी चीजें अनुकूल होंगी और भारत में यह टूर्नामेंट खेला जाएगा। पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी मेहताब हुसैन ने कहा- इसके लिए पूर्व अधिकारी और प्रशासकों की समिति (सीओए) दोनों ही जिम्मेदार हैं। फीफा ने जब जल्द से जल्द चुनाव कराने के निर्देश दे दिए थे तो फिर किसका इंतजार कर रहे थे। हमने समय गंवाया और अब उसकी सजा भुगत रहे हैं। इससे खिलाड़ियों और प्रशंसकों का नुकसान हुआ है।

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